वाराणसी: वर्तमान समय में अनियमित दिनचर्या और जंक फूड से लोगों के जीवन में खासा परिवर्तन देखने को मिल रहा है. लोग कई सारी बीमारियों की जद में भी आ रहे हैं. बात वाराणसी की करें तो वाराणसी के अन्य सरकारी अस्पतालों संग आर्युवेद अस्पताल की ओपीडी में भी इन दिनों जंक फूड से मरीजों में नई समस्या देखने को मिल रही है. यह नई समस्या है फैटी लीवर की.
बता दें कि पहले जहां अस्पताल की ओपीडी में दो से चार मरीज इससे जुड़े आते थे तो वर्तमान समय में 8 से 10 मरीज प्रतिदिन ओपीडी में फैटी लिवर की समस्या से जूझ रहे हैं. बड़ी बात यह है कि यदि समय से इसका इलाज न हुआ तो ये बीमारी लिवर फेल्योर, सिरोसिस और कैंसर जैसी बीमारियों को उत्पन्न करती है. कैसे फैलती है ये बीमारी, आर्युवेद में क्या है इसका उपचार इस संबंध में राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय में कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के डॉ. अजय कुमार ने जानकारी दी.
युवा वर्ग हो रहा फैटी लिवर का शिकार
डॉक्टर अजय कुमार बताते हैं कि कुछ समय पूर्व तक चिकित्सालय में महीने भर में 4-6 फैटी लिवर मरीज आते थे. यही आंकड़ा वर्तमान में 8-10 हो गया है. खास बात यह है कि इसमें अधिकतर ऐसे किशोर और युवा होते हैं, जो अनियमित दिनचर्या व जंक फ़ूड के आदि होते हैं.
क्या है फैटी लीवर
डॉ. अजय कहते हैं कि लीवर यानी यकृत हमारे खून से हानिकारक पदार्थों को फिल्टर करता है. हम जो भी भोजन करते हैं, उससे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन और मिनरल्स जैसे पोषक तत्वों को प्रोसेस करने का काम लिवर ही करता है. जब हम फास्ट-फूड, तला हुआ भोजन अधिक करते हैं तो वह लिवर पर अटैक करता है. उसे सही से काम करने से रोकने लगता है. आगे चलकर यही फैटी लिवर का कारण बन जाता है. उन्होंने बताया कि लिवर की कोशिकाओं में अनावश्यक वसा का जमना ही फैटी लिवर होता है. इससे लिवर को स्थायी नुकसान हो सकता है. मुख्य रूप से यह दो प्रकार का होता है. पहला नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर और दूसरा अल्कोहलिक फैटी लिवर.
क्या है लक्षण
डॉ. अजय कुमार बताते हैं कि शुरू में इस बीमारी का आमतौर पर कोई संकेत नहीं होता है. इसलिए इस रोग का पता काफी देर से चलता है. इन लक्षणों के होने पर फैटी लिवर होने की आशंका हो सकती है. जैसे थकान लगना, वजन घटना, भूख न लगना, कमजोरी, लिवर का साइज में बढ़ जाना, पेट के उपरी हिस्से या बीच में दर्द होना, नॉन अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस यानी नैश और सिरोसिस होने पर हथेलियों का लाल होना, पेट में सूजन, त्वचा की सतह के नीचे बढ़ी हुईं रक्त वाहिकाएं और त्वचा व आंखों का पीला होना आदि लक्षण दिख सकते हैं.
फैटी लिवर से बचने के उपाय
अल्कोहल का सेवन कम या बंद करना चाहिए, अपने कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखना चाहिए, चीनी और सैचुरेटेड फैटी एसिड का सेवन कम करे, वजन और BMI को नियंत्रित रखे, ब्लड सुगर को नियंत्रित करे, शारीरिक श्रम करें, ज्यादा तलीभुनी व वसायुक्त भोजन से परहेज करे, ताजे फल व सब्जियां खाना, रेड मीट की जगह चिकन या फिश खाना, रोज कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करें, खाने में ज्यादातर ताजा फल, सब्जियां लेनी चाहिए.
फैटी लिवर के आयुर्वेदिक इलाज
फैटी लिवर होने पर इलाज लेने में विलम्ब नहीं करना चाहिए. शीघ्र ही किसी योग्य वैद्य की सलाह से चिकित्सा प्रारंभ कर देनी चाहिए.
आयुर्वेद में लिवर के रोगों के लिए औषधियां भरपूर मात्रा में उपलब्ध हैं. कालमेघ, कुटकी, भूमिआवला, गुडुची, पुनर्नवा, रोहितक आदि औषधियां इसमें बहुत लाभदायक हैं. इसके अलावा रोहितकरिष्ट, आरोग्यवर्धिनी, कालमेघासव, फलत्रिकादी क्वाथ से इसका इलाज किया जाता है.
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