वाराणसी: महामना मदनमोहन मालवीय गंगा शोध केंद्र बीएचयू के ईको-स्किल्ड गंगा मित्रों ने शनिवार को मणिकर्णिका घाट से आदिकेशव घाट तक सर्वेक्षण किया. सर्वेक्षण के दौरान गंगामित्रों ने स्थानीय लोगों से एक-एक घाट की ऐतिहासिक और पौराणिकता की जानकारी ली.
कई पॉइंट है सर्वे में शामिल
बीते कुछ सालों से गंगा घाट पर सुविधाओं के साथ कई अन्य तरह के सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन भी किए जा रहे हैं. इसे देखते हुए केंद्र सरकार के साथ मिलकर गंगा शोध केंद्र वरंधा मित्रों की टीम इस तरह के विशेष सर्वे कर रही है. इसमें घाटों पर होने वाली दैनिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आर्थिक, सरकारी, गैर-सरकारी आदि गंगा बेसिन की सारी गतिविधियों को बारीकी से परखा जा रहा है.
घाटों पर बढ़ी हैं आर्थिक गतिविधियां
सर्वेक्षण दल का नेतृत्व कर रहे रजनीश चौरसिया ने बताया कि 6 सालों से काशी के घाटों पर सुविधाएं बढ़ी हैं. स्वच्छता बढ़ी है. घाटों का सौन्दर्य बढ़ा है. चौरासी में सत्तर घाट देशी-विदेशी पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं. इससे घाटों पर आर्थिक गतिविधियों के साथ जीवन यापन की संभावनाएं भी बढ़ी रही हैं.
सर्वेक्षण की रिपोर्ट जाएगी केंद्र सरकार के पास
गंगा शोध केंद्र के चेयरमैन प्रो. बी.डी त्रिपाठी ने बताया कि गंगा बेसिन सर्वेक्षण 2020 की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जाएगी. उन्होंने बताया कि इस सर्वेक्षण की जिम्मेदारी 20-20 गंगामित्रों की पांच टीम को सौंपी गई है. यह सर्वेक्षण दस दिसंबर तक पूरा हो जाएगा.