वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में इन दिनों इंडिया कारपेट एक्सपोर्ट-2019 का आयोजन किया गया है. शुक्रवार से शुरू हुए इस कारपेट एक्स्पो के 4 दिनों तक चलने की वजह से यहां 49 देशों के खरीदार के आने की उम्मीद है. बताया जा रहा है कि लगभग 4 दिनों के इस आयोजन में कारपेट इंडस्ट्री को 300 करोड़ रुपये से ज्यादा का आर्डर सिर्फ बनारस के इस कारपेट एक्सपो में मिल सकता है, लेकिन इन सबके बीच मंदी की आहट से व्यापारी डरे हुए हैं. कारपेट तैयार करने वाले कारीगरों समेत निर्यातकों का कहना है कि खरीदार खर्च करना नहीं चाह रहे. इससे कालीन रोजगार प्रभावित हो रहा है. साथ कालीन कारीगर बेरोजगार हो रहे हैं.
230 से ज्यादा निर्यातक देशों की लगी है टॉप डिजाइन
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के मैदान में शुरू हुए इस एक्सपो के दूसरे दिन जापान, जर्मनी, फ्रांस समेत कई अन्य देशों के खरीदारों के आने की उम्मीद है. इस पंडाल में पूर्वांचल के भदोही, मिर्जापुर समेत कई अन्य जिलों के अलावा देश के अलग-अलग हिस्सों में जयपुर, दिल्ली, आगरा, पानीपत समेत कई अन्य राज्यों के अलग-अलग जिलों से भी बड़ी संख्या में कालीन निर्यातक और इसे तैयार करने वाले कारीगर अपनी स्टॉल यहां लगा चुके हैं. 230 से ज्यादा निर्यातक और कालीन निर्माता देशों में तैयार की गई टॉप डिजाइन के कालीन यहां पर लेकर पहुंचे हैं, ताकि विदेशों से आने वाले खरीदारों को यह पसंद आ सके.
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कालीन व्यापरियों ने कहा मंदी से रोजगार छिन रहा है
भारत सरकार के अधीन कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष सिद्धार्थ नाथ सिंह कालीन उद्योग के मंदी की चपेट में आने की बात कह रहे हैं. उनका कहना है कि देश से निर्यात होने वाली कालीन का करीब 60 प्रतिशत उत्पादन भदोही, मिर्जापुर में होता है. ऐसे में यहां खासा असर मंदी का दिखाई दे रहा है. केंद्र सरकार से कहा गया है कि वह लागत कम करने के तरीके बताएं, ताकि इससे बेहतर कारोबार हो सके. वहीं कालीन निर्यातक और कालीन निर्माताओं का कहना है कि मंदी की वजह से लोगों का रोजगार छिन रहा है. इसकी वजह से कालीन कारोबार काफी प्रभावित है. वहीं विदेशों में तैयार होने वाले कालीन की तुलना में यहां की टेक्नॉलॉजी अभी काफी पीछे है.