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वाराणसी: नौनिहालों के टीकाकरण को लेकर बढ़ी समस्या, अभिभावक परेशान - वाराणसी में बच्चों का टीकाकरण

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में बच्चों के टीकाकरण में वाराणसी मंडल सबसे पिछले पायदान पर आ गया है. वाराणसी जिले में 1,07,220 बच्चों के टीकाकरण का लक्ष्य था. परंतु अभी तक 25 फीसदी ही बच्चों का टीकाकरण हो पाया है.

नवजात का टीकाकरण.
नवजात का टीकाकरण.
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Published : Oct 6, 2020, 8:40 PM IST

वाराणसी: देश में दिन प्रतिदिन कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. इसी क्रम में नौनिहालों के स्वास्थ्य को लेकर भी संकट बढ़ता जा रहा है. जन्म से 1 वर्ष तक के बच्चों के टीकाकरण में वाराणसी मंडल सबसे पिछले पायदान पर आ गया है. अगस्त में आई रिपोर्ट की मानें तो 76.68 फ़ीसदी के साथ जौनपुर टीकाकरण के मामले में पहले पायदान पर है. 34.38 फ़ीसदी के साथ चन्दौली दूसरे और गाज़ीपुर 27.58 के साथ तीसरे पायदान पर है. इन सबमें वाराणसी सबसे पिछले स्थान पर है.

कोरोना वायरस के कारण वर्तमान में कई शिशु ऐसे हैं, जिनके माता-पिता को उनके टीकाकरण के लिए अस्पतालों में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. इस बाबत सीएमओ डॉ. वीबी सिंह का कहना है कि जो एरिया कंटेनमेंट जोन और हॉटस्पॉट में है, वहां से आने वाले अभिभावकों के बच्चों का टीकाकरण नहीं किया जा रहा है. क्योंकि वह संक्रमित क्षेत्र से हैं. वहीं आशा और एएनएम की ड्यूटी विशेष अभियान में लगना भी टीकाकरण अभियान में पिछड़ने का कारण है. उन्होंने बताया कि उनकी टीम कोरोना पर प्रभावी नियंत्रण के साथ ही टीकाकरण के लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास कर रही है.

इस बारे में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मृदुला मलिक का कहना है कि बच्चे के जन्म से पहले साल में लगने वाले टीके बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. ये टीके समय से दिए जाने बेहद जरूरी हैं. इनमें देर होना किसी बीमारी को न्योता दे सकता है. जन्म के समय लगने वाले बीसीजी, पोलियों और हेपेटाइटिस बी के टीके प्रसव के बाद अस्पताल में ही दे दिए जाते हैं. उसके बाद 6 सप्ताह, 10 सप्ताह, 14 सप्ताह, 9 से 12 महीने, 16 से 24 महीने, 5 से 6 साल, 10 वर्ष, 16 वर्ष पर अलग-अलग टीके बच्चे को दिए जाते हैं.

जानकारी के मुताबिक वाराणसी जिले में 1,07,220 बच्चों के टीकाकरण का लक्ष्य था. परंतु अभी तक 25 फ़ीसदी ही बच्चों का टीकाकरण हो पाया है.

वाराणसी: देश में दिन प्रतिदिन कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. इसी क्रम में नौनिहालों के स्वास्थ्य को लेकर भी संकट बढ़ता जा रहा है. जन्म से 1 वर्ष तक के बच्चों के टीकाकरण में वाराणसी मंडल सबसे पिछले पायदान पर आ गया है. अगस्त में आई रिपोर्ट की मानें तो 76.68 फ़ीसदी के साथ जौनपुर टीकाकरण के मामले में पहले पायदान पर है. 34.38 फ़ीसदी के साथ चन्दौली दूसरे और गाज़ीपुर 27.58 के साथ तीसरे पायदान पर है. इन सबमें वाराणसी सबसे पिछले स्थान पर है.

कोरोना वायरस के कारण वर्तमान में कई शिशु ऐसे हैं, जिनके माता-पिता को उनके टीकाकरण के लिए अस्पतालों में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. इस बाबत सीएमओ डॉ. वीबी सिंह का कहना है कि जो एरिया कंटेनमेंट जोन और हॉटस्पॉट में है, वहां से आने वाले अभिभावकों के बच्चों का टीकाकरण नहीं किया जा रहा है. क्योंकि वह संक्रमित क्षेत्र से हैं. वहीं आशा और एएनएम की ड्यूटी विशेष अभियान में लगना भी टीकाकरण अभियान में पिछड़ने का कारण है. उन्होंने बताया कि उनकी टीम कोरोना पर प्रभावी नियंत्रण के साथ ही टीकाकरण के लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास कर रही है.

इस बारे में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मृदुला मलिक का कहना है कि बच्चे के जन्म से पहले साल में लगने वाले टीके बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. ये टीके समय से दिए जाने बेहद जरूरी हैं. इनमें देर होना किसी बीमारी को न्योता दे सकता है. जन्म के समय लगने वाले बीसीजी, पोलियों और हेपेटाइटिस बी के टीके प्रसव के बाद अस्पताल में ही दे दिए जाते हैं. उसके बाद 6 सप्ताह, 10 सप्ताह, 14 सप्ताह, 9 से 12 महीने, 16 से 24 महीने, 5 से 6 साल, 10 वर्ष, 16 वर्ष पर अलग-अलग टीके बच्चे को दिए जाते हैं.

जानकारी के मुताबिक वाराणसी जिले में 1,07,220 बच्चों के टीकाकरण का लक्ष्य था. परंतु अभी तक 25 फ़ीसदी ही बच्चों का टीकाकरण हो पाया है.

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