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किसान आंदोलन ने खाद्य तेलों की कीमतों में लगाई आग, गृहस्थी पर पड़ा असर

बीते सवा महीने से किसानों का आंदोलन लगातार जारी है. जिसके चलते खाद्य तेलों की कीमतों में जबरदस्त उछाल आ गया है. जिससे न सिर्फ व्यापारी बल्कि आम जनमानस की जेब पर भी ज्यादा बोझ पड़ रहा है. इसे लेकर ईटीवी भारत के संवाददाता ने कुछ गृहणियों और व्यापारियों से बात की. देखिए ये खास रिपोर्ट...

खाद्य तेलों की कीमतों में लगी आग.
खाद्य तेलों की कीमतों में लगी आग.
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Published : Dec 30, 2020, 8:00 PM IST

वाराणसी: नए कृषि कानून को लेकर लगभग 1 महीने से ज्यादा समय से किसानों और सरकार के बीच गतिरोध जारी है. दिल्ली बॉर्डर पर बड़ी संख्या में किसान धरने पर बैठे हैंं. ठंड की परवाह किए बिना लगातार वह लगातार सरकार के खिलाफ लामबंद हैं. सरकार भले ही इस मुद्दे पर झुकने को तैयार ना हो, लेकिन अब इस आंदोलन का असर दिल्ली के अलावा अन्य राज्यों के रहवासियों की जिंदगी पर पड़ने लगा है. इस आंदोलन के चलते सबसे ज्यादा दिक्कत दिल्ली बॉर्डर के जरिए यूपी और अन्य राज्यों में भेजे जाने वाले सामानों की आमद को लेकर हो रही है. राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और गुजरात में सड़क के रास्ते आने वाले खाद्य पदार्थों की कीमतें अचानक से बढ़ने लगी हैं. इसके चलते वनस्पति और सरसों के तेल की कीमतें 1 महीने में लगभग 40 से 50 रुपये प्रति लीटर बढ़ गई है. जिसने गृहणियों की जिंदगी पर खासा असर डाला है.

खाद्य तेलों की कीमतों में लगी आग.
हर रोज बढ़ रही कीमत
खाद्य तेलों में वनस्पति तेल गुजरात से तो सरसों का तेल राजस्थान से अन्य राज्यों में पहुंचता है. इन राज्यों में चलने वाली बड़ी कंपनियों से निकलने वाले प्रोडक्ट सड़क मार्ग से यूपी-बिहार तथा अन्य राज्यों तक पहुंचाए जाते हैं, लेकिन इस दौरान किसान आंदोलन के चलते दिल्ली बॉर्डर सील होने की वजह से खाद्य तेलों के आने का सिलसिला थम गया है. व्यापारियों का कहना है कि लगभग 1 महीने से खाद्य तेलों की आपूर्ति प्रभावित हुई है. जिसका खामियाजा इसकी बढ़ रही कीमतों के रूप में उठाना पड़ रहा है. प्रतिदिन दो से तीन रुपये लीटर की बढ़ोतरी के साथ ही 1 महीने में लगभग 40 से 50 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी खाद्य तेलों में हुई है. पहले रिफाइंड के 1 लीटर के एक पैकेट की कीमत 85 से 90 रुपये प्रति लीटर थी, उसकी वर्तमान कीमत 135 से 145 रुपये के बीच हो गई है. वहीं सरसों का तेल 95 रुपये लीटर से बढ़कर 155 से 160 रुपये लीटर हो गया है, जो मिडल क्लास फैमिली के घर का बजट बिगड़ने के लिए काफी है.
घर में महिलाएं परेशान
दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन की वजह से तीनों की बढ़ रही कीमतों ने जहां बाजार में व्यापारियों के माथे पर शिकन ला दी है. वहीं घर चलाने वाली गृहणियां भी परेशान हैं. महिलाओं का कहना है कि पहले से ही महंगाई ने कमर तोड़ रखी थी. अचानक से 1 महीने के अंदर में जिस तरह से खाद्य पदार्थों के साथ खाद्य तेलों की कीमतें बढ़ी है, उसने परेशानी को और बढ़ा दिया है, क्योंकि बिना खाद्य तेलों के किसी भी काम को किचन में कर पाना संभव है. इसलिए कम तेल का प्रयोग करना मजबूरी हो रहा है. इसके अलावा अचानक से दो से तीन रुपए प्रति लीटर प्रतिदिन बढ़ोतरी ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अब इसका विकल्प क्या तलाशा जाए. महिलाओं का कहना है कि यह जरूरी है कि आंदोलन कर रहे किसानों को समझें और सरकार से बातचीत को तैयार हो, ताकि उनके साथ आम लोगों की जिंदगी भी पटरी पर आ सके.

वाराणसी: नए कृषि कानून को लेकर लगभग 1 महीने से ज्यादा समय से किसानों और सरकार के बीच गतिरोध जारी है. दिल्ली बॉर्डर पर बड़ी संख्या में किसान धरने पर बैठे हैंं. ठंड की परवाह किए बिना लगातार वह लगातार सरकार के खिलाफ लामबंद हैं. सरकार भले ही इस मुद्दे पर झुकने को तैयार ना हो, लेकिन अब इस आंदोलन का असर दिल्ली के अलावा अन्य राज्यों के रहवासियों की जिंदगी पर पड़ने लगा है. इस आंदोलन के चलते सबसे ज्यादा दिक्कत दिल्ली बॉर्डर के जरिए यूपी और अन्य राज्यों में भेजे जाने वाले सामानों की आमद को लेकर हो रही है. राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और गुजरात में सड़क के रास्ते आने वाले खाद्य पदार्थों की कीमतें अचानक से बढ़ने लगी हैं. इसके चलते वनस्पति और सरसों के तेल की कीमतें 1 महीने में लगभग 40 से 50 रुपये प्रति लीटर बढ़ गई है. जिसने गृहणियों की जिंदगी पर खासा असर डाला है.

खाद्य तेलों की कीमतों में लगी आग.
हर रोज बढ़ रही कीमत
खाद्य तेलों में वनस्पति तेल गुजरात से तो सरसों का तेल राजस्थान से अन्य राज्यों में पहुंचता है. इन राज्यों में चलने वाली बड़ी कंपनियों से निकलने वाले प्रोडक्ट सड़क मार्ग से यूपी-बिहार तथा अन्य राज्यों तक पहुंचाए जाते हैं, लेकिन इस दौरान किसान आंदोलन के चलते दिल्ली बॉर्डर सील होने की वजह से खाद्य तेलों के आने का सिलसिला थम गया है. व्यापारियों का कहना है कि लगभग 1 महीने से खाद्य तेलों की आपूर्ति प्रभावित हुई है. जिसका खामियाजा इसकी बढ़ रही कीमतों के रूप में उठाना पड़ रहा है. प्रतिदिन दो से तीन रुपये लीटर की बढ़ोतरी के साथ ही 1 महीने में लगभग 40 से 50 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी खाद्य तेलों में हुई है. पहले रिफाइंड के 1 लीटर के एक पैकेट की कीमत 85 से 90 रुपये प्रति लीटर थी, उसकी वर्तमान कीमत 135 से 145 रुपये के बीच हो गई है. वहीं सरसों का तेल 95 रुपये लीटर से बढ़कर 155 से 160 रुपये लीटर हो गया है, जो मिडल क्लास फैमिली के घर का बजट बिगड़ने के लिए काफी है.
घर में महिलाएं परेशान
दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन की वजह से तीनों की बढ़ रही कीमतों ने जहां बाजार में व्यापारियों के माथे पर शिकन ला दी है. वहीं घर चलाने वाली गृहणियां भी परेशान हैं. महिलाओं का कहना है कि पहले से ही महंगाई ने कमर तोड़ रखी थी. अचानक से 1 महीने के अंदर में जिस तरह से खाद्य पदार्थों के साथ खाद्य तेलों की कीमतें बढ़ी है, उसने परेशानी को और बढ़ा दिया है, क्योंकि बिना खाद्य तेलों के किसी भी काम को किचन में कर पाना संभव है. इसलिए कम तेल का प्रयोग करना मजबूरी हो रहा है. इसके अलावा अचानक से दो से तीन रुपए प्रति लीटर प्रतिदिन बढ़ोतरी ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अब इसका विकल्प क्या तलाशा जाए. महिलाओं का कहना है कि यह जरूरी है कि आंदोलन कर रहे किसानों को समझें और सरकार से बातचीत को तैयार हो, ताकि उनके साथ आम लोगों की जिंदगी भी पटरी पर आ सके.
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