वाराणसी: काशी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ को 100 वर्ष पूरे हो गए हैं. उसको लेकर के विश्वविद्यालय परिसर में जहां विद्यार्थी काफी उत्साहित है, तो वहीं दूसरी ओर विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से शताब्दी वर्ष समारोह का भी आयोजन किया गया है. बुधवार को विश्वविद्यालय परिसर में सात दिवसीय शताब्दी वर्ष समारोह कार्यक्रम का आगाज हुआ. सात दिवसीय शताब्दी वर्ष समारोह में देश की तमाम बड़ी हस्तियां शिरकत करेंगी.
समारोह की हुई औपचारिक शुरुआत
बुधवार को विद्यापीठ परिसर के महात्मा गांधी काशी अध्ययन पीठ सभागार में शताब्दी वर्ष समारोह की औपचारिक शुरुआत हुई. इस दौरान विश्वविद्यालय के गौरवशाली इतिहास का चित्रण भी किया गया. कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश सरकार के स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री रविंद्र जायसवाल, राज्यसभा सांसद एम जे अकबर बतौर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे.
विद्यापीठ ने देश को दिए नायाब नायक
इस दौरान राज्य मंत्री रविंद्र जायसवाल ने कहा कि काशी विद्यापीठ की स्थापना को पूरा एक शताब्दी बीत गया है. इस 100 वर्षों में विद्यापीठ ने हर क्षेत्र में कई नायाब नायकों को दिया है. जिसके कारण आज देश एक अलग पहचान बनाए हुए हैं. उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि आज हम इस विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में बतौर अतिथि शामिल हुए हैं. यह विद्यापीठ महात्मा गांधी की वह पावन भूमि है, जहां का कण कण उनके विचारों को परिलक्षित करता हुआ प्रतीत होता है.
हमारे लिए है गौरवशाली पल
इस दौरान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर टी एन सिंह ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय अपने 100 वर्षों के गौरवशाली इतिहास और उपलब्धियों के साथ खड़ा है. इसमें कई सारी चुनौतियां भी रहीं. इन चुनौतियों ने हमें आगे बढ़ना सिखाया है. यह विश्वविद्यालय परिसर गांधी जी के विचारों पर चल रहा है और वर्तमान एवं भविष्य में भी यह इन्हीं विचारों को आत्मसात करके चलेगा. हम सभी अध्यापकों और छात्रों के लिए यह बेहद ही गौरवशाली पल है. उन्होंने कहा कि हम विद्यार्थियों से यही अपील करना चाहेंगे कि वह विश्वविद्यालय के इस गौरवशाली इतिहास से प्रेरणा लेकर उसमें नए अध्याय को जोड़ने का प्रयत्न करें और इस विश्वविद्यालय को एक अलग मुकाम पर ले कर जाएं.
1921 में हुई थी स्थापना
काशी विद्यापीठ की स्थापना 10 फरवरी 1921 को बाबू शिवप्रसाद गुप्त ने की थी. इसके पश्चात 11 जुलाई 1995 में इसे गांधी जी को समर्पित कर दिया गया. जिसके बाद से इस विश्वविद्यालय को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के नाम से जाना जाने लगा. 1963 में विश्वविद्यालय को अनुदान आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय घोषित कर दिया गया.