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बीएचयू भारत कला भवन ने कलाकारों को दी आर्ट गैलरी की सौगात - bharat kala bhawan in varansi

यूपी के वाराणसी के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के भारत कला भवन में एक गैलरी का उद्घाटन किया गया. यह प्रदर्शनी लगभग एक हफ्ते से चल रही है. इस प्रदर्शनी को करीब पांच हजार से ज्यादा लोगों ने देखा है.

भारत कला भवन में गैलरी का उद्घाटन
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Published : Oct 1, 2019, 12:27 PM IST

वाराणसी: जिले के भारत कला भवन ने एक नई गैलरी की शुरुआत की है. जिसमें जिला सहित देश के कोने-कोने से उन कलाकारों को स्थान दिया गया है, जो नई चीजों को इस गैलरी में प्रदर्शित करेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि लोग पुरानी चीजों को देखने भारत कला भवन आते हैं. जब लोग नई चीजों को देखेंगे तो पुरानी और नई चीजों का तारतम्य बना रहेगा.

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के भारत कला भवन में एक गैलरी का उद्घाटन.

भारत कला भवन में 25 सितंबर से लेकर 1 अक्टूबर तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में कुल 47 चित्र प्रदर्शित किए गए. इन चित्रों की खास बात यह है कि इनमें कोई आकृति नहीं है. पेंटिंग के माध्यम से लेह लद्दाख से लेकर हिमालय की सुंदरता का वर्णन किया गया है. यह प्रदर्शनी लगभग एक हफ्ते से चल रही है. इस प्रदर्शनी को लगभग पांच हजार से ज्यादा लोगों ने देखा है.

इसे भी पढ़ें- झांसी: स्टेशन की दीवारों पर विद्यार्थियों की चित्रकारी में दिखती है बुन्देलखंड की झलक

प्रो. मंजुलता चतुर्वेदी ने कहा
मैंने यहां पर लगभग 47 चित्र प्रदर्शित किए हैं. मेरे लद्दाख, लाहौर की यात्रा के पश्चात चित्रित किया गया है. यह चित्रण प्रकृति के हुबहू चित्रण नहीं हैंं. प्रकृति की विराटता में हम अपने बारे में या अपने होने के बारे में सोचते हैं. उन सबको सामूहिक रूप से मैंने यहां पर प्रदर्शित किया है. मैंने इसमें कुछ दृश्य और अदृश्य के बीच का चित्रण प्रस्तुत किया है.

अजय कुमार सिंह ने बताया
भारत कला भवन की स्थापना कला के संरक्षण उसके संवर्धन और प्रसार के लिए किया गया है. हम लोग सम्वर्धन कर रहे थे और शोकेसिंग कर रहे थे. मुझे लगा कि इंटरनेशनल फोरम है यहां पर आर्टिस्ट को स्थान देना चाहिए क्योंकि वह भी अपने समय के आर्टिस्ट हैं. क्यों न हम आज की चीजों को संरक्षित करें और उसका प्रसार करें. इसलिए मैंने एक छोटी सी गैलरी बनाई है ताकि जो अपकमिंग आर्टिस्ट हैं, उनको बनारस में हम सबके बीच एक इंटरनेशनल प्लेटफार्म दे सकें.

वाराणसी: जिले के भारत कला भवन ने एक नई गैलरी की शुरुआत की है. जिसमें जिला सहित देश के कोने-कोने से उन कलाकारों को स्थान दिया गया है, जो नई चीजों को इस गैलरी में प्रदर्शित करेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि लोग पुरानी चीजों को देखने भारत कला भवन आते हैं. जब लोग नई चीजों को देखेंगे तो पुरानी और नई चीजों का तारतम्य बना रहेगा.

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के भारत कला भवन में एक गैलरी का उद्घाटन.

भारत कला भवन में 25 सितंबर से लेकर 1 अक्टूबर तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में कुल 47 चित्र प्रदर्शित किए गए. इन चित्रों की खास बात यह है कि इनमें कोई आकृति नहीं है. पेंटिंग के माध्यम से लेह लद्दाख से लेकर हिमालय की सुंदरता का वर्णन किया गया है. यह प्रदर्शनी लगभग एक हफ्ते से चल रही है. इस प्रदर्शनी को लगभग पांच हजार से ज्यादा लोगों ने देखा है.

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प्रो. मंजुलता चतुर्वेदी ने कहा
मैंने यहां पर लगभग 47 चित्र प्रदर्शित किए हैं. मेरे लद्दाख, लाहौर की यात्रा के पश्चात चित्रित किया गया है. यह चित्रण प्रकृति के हुबहू चित्रण नहीं हैंं. प्रकृति की विराटता में हम अपने बारे में या अपने होने के बारे में सोचते हैं. उन सबको सामूहिक रूप से मैंने यहां पर प्रदर्शित किया है. मैंने इसमें कुछ दृश्य और अदृश्य के बीच का चित्रण प्रस्तुत किया है.

अजय कुमार सिंह ने बताया
भारत कला भवन की स्थापना कला के संरक्षण उसके संवर्धन और प्रसार के लिए किया गया है. हम लोग सम्वर्धन कर रहे थे और शोकेसिंग कर रहे थे. मुझे लगा कि इंटरनेशनल फोरम है यहां पर आर्टिस्ट को स्थान देना चाहिए क्योंकि वह भी अपने समय के आर्टिस्ट हैं. क्यों न हम आज की चीजों को संरक्षित करें और उसका प्रसार करें. इसलिए मैंने एक छोटी सी गैलरी बनाई है ताकि जो अपकमिंग आर्टिस्ट हैं, उनको बनारस में हम सबके बीच एक इंटरनेशनल प्लेटफार्म दे सकें.

Intro:विशेष

वाराणसी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भारत कला भवन एक प्राचीन म्यूजियम है ऐसे में हम बात करें तो जिसमें कई पुराने बेशकीमती चीज रखी हैं।वही भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न सहित उनके जिंदगी से जुड़े काफी महत्वपूर्ण वस्तुएं संरक्षित और सुरक्षित रखी गई हैं। ऐसे में यह एक अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म में जहां पर विश्व की बेशकीमती चीजों को सुरक्षित रखा गया है।


Body:भारत कला भवन ने एक नई गैलरी की शुरुआत की है जिसमें यह बनारस सहित देश के कोने कोने से उन कलाकारों को स्थान दे रहे हैं जो नई चीजों को वहां प्रदर्शित करेंगे। क्योंकि लोग पुरानी चीजों को देखने भारत कला भवन आते हैं ऐसे में अगर वह नई चीजों को देखेंगे तो एक तरह से पुरानी और नई चीजों का तारतम्य तक बना रहेगा।

भारत कला भवन में 25 सितंबर से लेकर 1 अक्टूबर तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में कुल 47 चित्र प्रदर्शित किए गए इन चित्रों की खास बात यह थी कि इनमें कोई आकृति नहीं था बल्कि पेंटिंग के माध्यम से लेह लद्दाख से लेकर हिमालय की सुंदरता का वर्णन किया गया लगभग 1 हफ्ते से ज्यादा समय तक चलने वाले इस प्रदर्शनी में पाँच हजार से ज्यादा लोगों ने इस प्रदर्शनी को देखा।


Conclusion:प्रो मंजुलता चतुर्वेदी ने कहा मैंने यहां पर लगभग 47 चित्र प्रदर्शित किए हैं जो मेरे लद्दाख लाहौर की यात्राओं को करने के पश्चात मैंने उनको चित्रित किया है और यह प्रकृति के हुबहू रूफ नहीं है। बल्कि प्रकृति की विराटता में हम जो अपने अस्तित्व के बारे में अपने जीवन के बारे में महसूस करते हैं या रंगों के साथ जो हमारे मन की प्रतीकात्मक था या जीवन दर्शन है जो प्रकृति की विराटता में हम अपनी अपने बारे में अपने होने के बारे में सोचते हैं उन सब को सामूहिक रूप से मैंने यहां पर प्रदर्शित किया है। कुछ दृश्य और अदृश्य के बीच का चित्र मैंने प्रस्तुत किया है।

बाईट :-- प्रो मंजुलता चतुर्वेदी, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ

अजय कुमार सिंह ने बताया हमने एक गैलरी खोली है भारत कला भवन की स्थापना कला के संरक्षण उसके संवर्धन और प्रसार के लिए किया गया। सम्वर्धन हम लोग कर रहे थे और शोकेसिंग कर रहे थे। मुझे लगा कि इंटरनेशनल फोरम है अगर हम यहां पर आर्टिस्ट को स्थान दे।क्योंकि वह भी अपने समय के आर्टिस्ट हैं आज का जो आर्टिस्टियर यह भी इतिहास में जाकर प्राचीन हो जाएगा क्यों ना हम आज की चीजों को भी संरक्षित करें और उसका प्रसार करें इसलिए मैंने एक छोटी सी गैलरी बनाई है ताकि जो अपकमिंग आर्टिस्ट हैं उनको बनारस में हम सबके बीच में एक इंटरनेशनल प्लेटफार्म हम दे सकें।

बाईट :-- अजय कुमार सिंह, भारत कला भवन बीएचयू
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