वाराणसी: वैसे तो सरकारी योजनाओं की प्लानिंग और उसकी हकीकत कई बार चुनाव नजदीक आने पर दिखाई देने लगती है. सरकार भी अपनी योजनाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए चीजों को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करती है, लेकिन कई बार सरकार की इन योजनाओं के पूरे होने के बाद इनको संभाल पाना मुश्किल हो जाता है. स्थानीय लोगों के प्रयासों से अगर कुछ योजनाएं संवर जाए तो बात अलग है. इसी कड़ी में हम बात करने जा रहे हैं, बनारस के एक खास मोहल्ले की. सरकारी योजना से संवारे गए इस मोहल्ले को यहां के लोगों ने संभाल कर रखा है. इन लोगों ने एक नजीर पेश की है.
बनारस की धड़कन कहे जाने वाले गोदौलिया इलाके से महज 200 मीटर दूरी पर स्थित जंगमबाड़ी मोहल्ला सरकार की स्मार्ट सिटी योजना के तहत नए लुक में संवरा. गलियां बनाईं गईं दीवारों पर पेंटिंग हुई और साफ सफाई की व्यवस्था भी बेहतर की गई.
इस मोहल्ले को संवारने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च किए. कई मोहल्ले जो सरकारी योजना से लाभान्वित हुए अधिकांश एक बार फिर से पुरानी स्थिति में लौटने लगे हैं, गंदगी और बदहाली और यहां के लोगों की उदासीनता इसकी बड़ी वजह मानी जा सकती है, लेकिन इन सबसे परे जंगमबाड़ी इलाके की इस गली में रहने वाले लोगों ने सरकार की योजना से गली की सूरत बदलने के बाद इसे संभाल कर रखना अपनी जिम्मेदारी समझा.
शायद यही वजह है कि आज यह गली पूरे बनारस में एक नजीर पेश कर रही है. यहां के रहने वाले लोगों ने साफ-सफाई से लेकर इस गली के सौंदर्यकरण का जिम्मा खुद उठा लिया. यहां तक की सुरक्षा के लिए अलग-अलग स्थानों पर 8 सीसीटीवी कैमरे तक लगाए गए ताकि गली में खड़ी होने वाली गाड़ियां और गली में निकलने वाली महिलाएं सुरक्षित रह सकें. गली के मुहाने पर अपने खर्चे से एक गेट भी लगाया गया ताकि आवारा और छुट्टा जानवर आकर गली में गंदगी ना करें.
इस गली में प्रवेश करने के साथ ही आपको एक अलग ऊर्जा का अहसास होगा. इसकी बड़ी वजह यह है कि यहां पर कूड़ा फेंकने के लिए अपने खर्च पर लोगों ने छोटे-छोटे कूड़ेदान रखवा रखे हैं. इतना ही नहीं एक सपोर्ट ऐसा भी था जहां सिर्फ कूड़ा फेंक कर पूरी गली के सुंदरता को बर्बाद किया जाता था, लेकिन लोगों ने अपने खर्च पर यहां पर तुलसी का पौधा लगवाने के लिए एक अलग स्थान बनवाया.
कूड़ा फेंकने वाली जगह पर तुलसी का पौधा लगवाकर लोगों ने आस्था से इसे जोड़कर मोहल्ले की महिलाओं को इस तुलसी के पौधे की देखरेख करने की जिम्मेदारी सौंप दी. जिसकी वजह से आज यह स्थान कूड़ा फेंकने वाले स्थान से उबर कर एक श्रद्धा और आस्था का केंद्र बन गया है.
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सबसे सुंदर बात तो यह है कि कोरोना की इस भीषण महामारी के दौर में जब हर कोई पेड़ों की कीमत समझने लगा. ऑक्सीजन पर लोग निर्भर रहने के लिए पेड़ पौधे लगाने लगे तो यहां के लोगों ने भी अपने खर्च पर अपने अपने घरों के बाहर पौधों की क्यारियां बनाकर सुंदर तरीके से हरियाली बढ़ाने का काम किया है. यहां पर रहने वाले लोग हर महीने 500 रुपये प्रति घर से खर्च लेकर इस मोहल्ले को मेंटेन करने का काम कर रहे हैं.
बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश के लिए मोहल्ले के ही एक बुजुर्ग दिन-रात यहां पर बैठकर निगरानी भी करते हैं, यानी हर कोई अपनी जिम्मेदारी समझकर सरकार की योजना के बाद स्मार्ट किए गए इस मोहल्ले को अब भी स्मार्ट रखने की पूरी कोशिश कर रहा है. निश्चित तौर पर चुनाव के इस दौर में जब हर कोई अपने काम ना हो पाने का ठीकरा सरकार और राजनीतिक पार्टियों पर फोड़ रहा है. वही इन सब से पहले इस मोहल्ले के लोगों ने अपने स्मार्ट मोहल्ले को अब तक स्मार्ट रखने की कवायद करके एक नजीर जरूर पेश की है.
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