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वाराणसी मदरसे की शिक्षिकाओं ने क्यों उठाया जूता-चप्पल और खून से लिखा पत्र? - मदरसा मैनेजर को जूते चप्पल से पीटा

वाराणसी के मदरसे में मारपीट और शिक्षिकाओं के शोषण का मामला सामने आया था. इससे संबंधित मारपीट का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. ईटीवी भारत ने पूरे मामले की जानकारी के लिए बात की मदरसे में पढ़ाने वाली पीड़ित शिक्षिकाओं से ...

जाने वाराणसी मदरसा मामले की क्या है सच्चाई,
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Published : Jul 25, 2023, 5:03 PM IST

जाने वाराणसी मदरसा मामले की क्या है सच्चाई

वाराणसी: उत्तर प्रदेश में छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर मदरसा की चर्चा जोरों पर हो रही है. इन्हीं चर्चाओं के बीच वाराणसी का मदरसा भी खासा चर्चा का विषय बना हुआ है. इसके चर्चा में होने का कारण यहां पढ़ाने वाले शिक्षिकाओ के साथ शोषण व मारपीट है. जिसके बाद बकायदा महिलाओं ने अपने खून से सीएम योगी को पत्र लिखा और उसके बाद मदरसा प्रबंधन के जरिए महिलाओं के साथ मारपीट की गई. जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ. इस वीडियो की क्या सच्चाई रही, शिक्षिकाओं के क्या आरोप रहे. इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने मदरसा में पढ़ाने वाले शिक्षिकाओं से खास बातचीत की.


दरअसल, बीते बुधवार को वाराणसी के मैदागिन स्थित पराड़कर भवन में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जैतपुरा के मदरसा दायरतुल इस्लाह चिरांगे उलूम की शिक्षिका ने खुद को बचाने के लिए मदरसे के मैनेजर रिजवान अहमद को जूते-चप्पलों से पीट दिया था. इसके बाद वहां पर जमकर बवाल हुआ था. ये प्रेस कॉन्फ्रेंस रिजवान ने ही आयोजित कराया था. शिक्षिकाओं की माने तो उन्हे भी यहां बुलाया गया था. जब वो पहुंची तो वहां मौजूद व्यक्ति ने उनके साथ मारपीट कर दी. जिसके बाद बचाव में उन्होनें ने भी जूता चप्पल उठाया और मौजूद प्रबंधक की पिटाई कर दी.


नियुक्ति के लिए 15 लाख की मांगी रकम: ईटीवी भारत की टीम से शिक्षिकाओं ने बातचीत की. पीड़ित शिक्षिका शाहिदा ने बताया कि वह इस मदरसे में 16 साल से पढ़ा रही हैं. सरकारी नियुक्ति के लिए आवेदन प्रबंधक मौलाना रिजवान को दिया था. 16 जून को रिजवान ने मास्टर क्लर्क बिलाल से 2 लाख रुपये उसके घर से मंगाए थे. सभी का सरकारी नियुक्ति में हो गया, लेकिन उसका नहीं हुआ. इसके बाद बिलाल और प्रबंधक ने मिलने के लिए बुलाया था. उस दौरान कहा गया कि 13 लाख और दो तो तुम्हारी सरकारी नियुक्ति कर दूंगा.

प्रबंधक ने दिया शारीरिक संबंध बनाने का ऑफर: महिला शिक्षिका ने आरोप लगाया कि 'पैसे नहीं देने पर शारीरिक संबंध बनाने का ऑफर दिया. मैंने इसका विरोध किया. उस समय मैं दो माह की गर्भवती भी थी. फिर भी उस दौरान उन्होंने मेरे साथ जबरदस्ती की और धक्का-मुक्की के बाद पीछे से पेट के बल गिरा दिया, जिससे मेरा मिसकैरेज हो गया. मेरे चीखने-चिल्लाने के बाद शिक्षिका शगुफ्ता अफरोज मुझे बचाने आई. उनके साथ भी मैनेजर ने धक्का-मुक्की की. इसके बाद परिजनों घटना की जानकारी दी और 112 नंबर पर पुलिस को भी फोन किया. इसके बाद हमने मुख्यमंत्री को शिकायत देने की बात कही'.

शिक्षिकाओं ने अपने बचाव में जूता-चप्पल चलाया: शिक्षिका ने बताया कि 'जैतपुरा थाना पुलिस हमारी बात नहीं सुन रही थी. एसओ ने इस मामले को खत्म करने की बात कही. हमारी शिकायत भी नहीं लिखी जा रही थी. 28 जून को ही हमने शिकायत पत्र लिखा. फिर भी सुनवाई नहीं हो रही थी तो इसके बाद हमने मुख्यमंत्री को खून से खत लिखा. आरोपी पक्ष इस मामले को दबाने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस करने जा रहा था. इसका हमें पता चला, तो हम भी वहां पहुंच गए. वहां पहुंचते ही वे लोग गाली-गलौज करने लगे. रिजवाना और फातिमा की पिटाई कर दी. जिसपर हम लोगों ने अपने बचाव में जूता-चप्पल चलाया'.

जिस दिन इंटरव्यू हुआ, मदरसा में छुट्टी थी: पीड़ित शिक्षिका ने बताया कि '164 का बयान हो चुका है. मेरे पेट में बच्चे का हत्यारा जेल जाना चाहिए'. वहीं दूसरी शिक्षिका शगुफ्ता ने बताया कि 'प्रबंधक ने मुझसे 2 लाख रुपये सरकारी शिक्षिका नियुक्त करने के लिए लिया था. न सरकारी शिक्षिका बनाया गया और न ही ये लोग 4 साल से सैलरी दे रहे थे. 28 जून को जो इण्टरव्यू हुआ, उस दिन मदरसा बंद था. बकरीद से पहले छुट्टी थी. उस दिन बंद कैमरे के सामने इण्टरव्यू लिया जा रहा था'.


मदरसा प्रबंधन के पास होता है इंटरव्यू का अधिकार: जिला अल्पसंख्यक अधिकारी संजय मिश्रा ने बताया कि नियुक्तियों के लिए मदरसा प्रबंधन द्वारा विज्ञापन प्रकाशित किया जाता है. इसके माध्यम से आवेदन मांगे जाते हैं. मदरसा प्रबंध समिति ही एक चयन समिति गठित करती है. ये लोग मदरसों में उनका इण्टरव्यू लेते हैं और प्रमाण पत्रों एवं योग्यता के आधार पर उनका चयन किया जाता है. ये अधिकार मदरसा प्रबंध तंत्र को ही है. विभाग के पास जब कागज आते हैं तो नियमावली के आधार पर ये पत्रावली उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्ट्रार कार्यालय भेजते हैं.

अल्पसंख्यक विभाग पत्रावलियों की करेगा जांच: उन्होंने मदरसे के विवाद के बारे में बताया कि मामला संज्ञान में आया है. वहां पर विज्ञापन प्रकाशित करने के बाद इण्टरव्यू लेने की प्रक्रिया कर रहे थे. इस मामले में हंगामा होने के बाद प्रत्रावली हमारे पास आई नहीं है. इस बारे में हम अभी कुछ नहीं कह सकते. इसी में एक और घटना हुई है, जिसमें एफआईआर भी हुई है. पत्रावली हमारे पास आती है तो यह देखा जाएगा कि उन्होंने विज्ञापन नियमानुसार कराया है कि नहीं. आवेदकों को आमंत्रित करने, चयन समिति ने किस आधार पर चयन किया, उनकी शैक्षिक योग्यता क्या है. इसकी नियमानुसार पूरी जांच की जाएगी.

जाने वाराणसी मदरसा मामले की क्या है सच्चाई

वाराणसी: उत्तर प्रदेश में छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर मदरसा की चर्चा जोरों पर हो रही है. इन्हीं चर्चाओं के बीच वाराणसी का मदरसा भी खासा चर्चा का विषय बना हुआ है. इसके चर्चा में होने का कारण यहां पढ़ाने वाले शिक्षिकाओ के साथ शोषण व मारपीट है. जिसके बाद बकायदा महिलाओं ने अपने खून से सीएम योगी को पत्र लिखा और उसके बाद मदरसा प्रबंधन के जरिए महिलाओं के साथ मारपीट की गई. जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ. इस वीडियो की क्या सच्चाई रही, शिक्षिकाओं के क्या आरोप रहे. इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने मदरसा में पढ़ाने वाले शिक्षिकाओं से खास बातचीत की.


दरअसल, बीते बुधवार को वाराणसी के मैदागिन स्थित पराड़कर भवन में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जैतपुरा के मदरसा दायरतुल इस्लाह चिरांगे उलूम की शिक्षिका ने खुद को बचाने के लिए मदरसे के मैनेजर रिजवान अहमद को जूते-चप्पलों से पीट दिया था. इसके बाद वहां पर जमकर बवाल हुआ था. ये प्रेस कॉन्फ्रेंस रिजवान ने ही आयोजित कराया था. शिक्षिकाओं की माने तो उन्हे भी यहां बुलाया गया था. जब वो पहुंची तो वहां मौजूद व्यक्ति ने उनके साथ मारपीट कर दी. जिसके बाद बचाव में उन्होनें ने भी जूता चप्पल उठाया और मौजूद प्रबंधक की पिटाई कर दी.


नियुक्ति के लिए 15 लाख की मांगी रकम: ईटीवी भारत की टीम से शिक्षिकाओं ने बातचीत की. पीड़ित शिक्षिका शाहिदा ने बताया कि वह इस मदरसे में 16 साल से पढ़ा रही हैं. सरकारी नियुक्ति के लिए आवेदन प्रबंधक मौलाना रिजवान को दिया था. 16 जून को रिजवान ने मास्टर क्लर्क बिलाल से 2 लाख रुपये उसके घर से मंगाए थे. सभी का सरकारी नियुक्ति में हो गया, लेकिन उसका नहीं हुआ. इसके बाद बिलाल और प्रबंधक ने मिलने के लिए बुलाया था. उस दौरान कहा गया कि 13 लाख और दो तो तुम्हारी सरकारी नियुक्ति कर दूंगा.

प्रबंधक ने दिया शारीरिक संबंध बनाने का ऑफर: महिला शिक्षिका ने आरोप लगाया कि 'पैसे नहीं देने पर शारीरिक संबंध बनाने का ऑफर दिया. मैंने इसका विरोध किया. उस समय मैं दो माह की गर्भवती भी थी. फिर भी उस दौरान उन्होंने मेरे साथ जबरदस्ती की और धक्का-मुक्की के बाद पीछे से पेट के बल गिरा दिया, जिससे मेरा मिसकैरेज हो गया. मेरे चीखने-चिल्लाने के बाद शिक्षिका शगुफ्ता अफरोज मुझे बचाने आई. उनके साथ भी मैनेजर ने धक्का-मुक्की की. इसके बाद परिजनों घटना की जानकारी दी और 112 नंबर पर पुलिस को भी फोन किया. इसके बाद हमने मुख्यमंत्री को शिकायत देने की बात कही'.

शिक्षिकाओं ने अपने बचाव में जूता-चप्पल चलाया: शिक्षिका ने बताया कि 'जैतपुरा थाना पुलिस हमारी बात नहीं सुन रही थी. एसओ ने इस मामले को खत्म करने की बात कही. हमारी शिकायत भी नहीं लिखी जा रही थी. 28 जून को ही हमने शिकायत पत्र लिखा. फिर भी सुनवाई नहीं हो रही थी तो इसके बाद हमने मुख्यमंत्री को खून से खत लिखा. आरोपी पक्ष इस मामले को दबाने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस करने जा रहा था. इसका हमें पता चला, तो हम भी वहां पहुंच गए. वहां पहुंचते ही वे लोग गाली-गलौज करने लगे. रिजवाना और फातिमा की पिटाई कर दी. जिसपर हम लोगों ने अपने बचाव में जूता-चप्पल चलाया'.

जिस दिन इंटरव्यू हुआ, मदरसा में छुट्टी थी: पीड़ित शिक्षिका ने बताया कि '164 का बयान हो चुका है. मेरे पेट में बच्चे का हत्यारा जेल जाना चाहिए'. वहीं दूसरी शिक्षिका शगुफ्ता ने बताया कि 'प्रबंधक ने मुझसे 2 लाख रुपये सरकारी शिक्षिका नियुक्त करने के लिए लिया था. न सरकारी शिक्षिका बनाया गया और न ही ये लोग 4 साल से सैलरी दे रहे थे. 28 जून को जो इण्टरव्यू हुआ, उस दिन मदरसा बंद था. बकरीद से पहले छुट्टी थी. उस दिन बंद कैमरे के सामने इण्टरव्यू लिया जा रहा था'.


मदरसा प्रबंधन के पास होता है इंटरव्यू का अधिकार: जिला अल्पसंख्यक अधिकारी संजय मिश्रा ने बताया कि नियुक्तियों के लिए मदरसा प्रबंधन द्वारा विज्ञापन प्रकाशित किया जाता है. इसके माध्यम से आवेदन मांगे जाते हैं. मदरसा प्रबंध समिति ही एक चयन समिति गठित करती है. ये लोग मदरसों में उनका इण्टरव्यू लेते हैं और प्रमाण पत्रों एवं योग्यता के आधार पर उनका चयन किया जाता है. ये अधिकार मदरसा प्रबंध तंत्र को ही है. विभाग के पास जब कागज आते हैं तो नियमावली के आधार पर ये पत्रावली उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्ट्रार कार्यालय भेजते हैं.

अल्पसंख्यक विभाग पत्रावलियों की करेगा जांच: उन्होंने मदरसे के विवाद के बारे में बताया कि मामला संज्ञान में आया है. वहां पर विज्ञापन प्रकाशित करने के बाद इण्टरव्यू लेने की प्रक्रिया कर रहे थे. इस मामले में हंगामा होने के बाद प्रत्रावली हमारे पास आई नहीं है. इस बारे में हम अभी कुछ नहीं कह सकते. इसी में एक और घटना हुई है, जिसमें एफआईआर भी हुई है. पत्रावली हमारे पास आती है तो यह देखा जाएगा कि उन्होंने विज्ञापन नियमानुसार कराया है कि नहीं. आवेदकों को आमंत्रित करने, चयन समिति ने किस आधार पर चयन किया, उनकी शैक्षिक योग्यता क्या है. इसकी नियमानुसार पूरी जांच की जाएगी.

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