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सैकड़ों साल पुराना मालवीय ब्रिज बनेगा जीवंत म्यूजियम, जानिए गंगा पार करने के लिए क्या होगा अब नया प्लान

वाराणसी में सैकड़ों साल पुराने एक पुल को म्यूजियम के रूप में डिवेलप करने की तैयारी है. इसके साथ ही नया सिग्नेचर ब्रिज भी बनाये जाने का प्लान है.

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Published : Jul 20, 2023, 2:03 PM IST

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संवाददाता गोपाल मिश्र की खास रिपोर्ट

वाराणसी : प्रधानमंत्री के रूप में बनारस को 2014 में जब सांसद नरेंद्र मोदी मिले तो उसके बाद बनारस की उम्मीदें बढ़ती चली गईं. विकास के मामले में बनारस में देश के बाकी शहरों से तीन गुना तेज काम होना शुरू हो गया. बनारस को वह सौगातें मिलीं जो शायद मेट्रो सिटीज के लिए भी संभव नहीं थीं. अभी भी रोपवे समेत कई अन्य ऐसे बड़े प्रोजेक्ट बनारस में चल रहे हैं, जो पूरा होने के बाद पूरे उत्तर प्रदेश में सबसे अलग ही होंगे. इन सबके बीच अब बनारस में सैकड़ों साल पुराने एक पुल को जीते जागते म्यूजियम के रूप में डिवेलप करने के बाद उसके बगल में ही एक नया सिग्नेचर ब्रिज बनाने की तैयारी शुरू हो गई है. यह ब्रिज है वाराणसी के मालवीय ब्रिज, जिसे राजघाट के पुल के नाम से भी जाना जाता है, वहीं पर नया सिग्नेचर ब्रिज भी बनाया जाएगा. जिसके लिए रेलवे बोर्ड को डीपीआर भी भेजा गया है और इसके फाइनल स्ट्रक्चर को प्रधानमंत्री कार्यालय से मंजूरी भी मिल चुकी है.


सैकड़ों साल पुराना मालवीय ब्रिज बनेगा जीवंत म्यूजियम,
सैकड़ों साल पुराना मालवीय ब्रिज बनेगा जीवंत म्यूजियम,



सिग्नेचर ब्रिज का डिजाइन तैयार करने वाले प्लानर इंडिया ने इसके फाइनल डिज़ाइन के अप्रूवल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने इस पूरे स्वरूप कर रखा था. जिस पर सहमति बन गई है. माना जा रहा है कि 2024 चुनावों से पहले इस सिगनेचर ब्रिज की भी शुरुआत वाराणसी में हो जाएगी. अंग्रेजों के जमाने में मालवीय ब्रिज बनाया गया था जो अब धीरे-धीरे पुराना होता जा रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि यह मालवीय ब्रिज डबल डेकर है, जिसमें नीचे से ट्रेन जाती है और ऊपर से सड़क मार्ग होने की वजह से गाड़ियों का आवागमन होता है.

सैकड़ों साल पुराना मालवीय ब्रिज बनेगा जीवंत म्यूजियम,
सैकड़ों साल पुराना मालवीय ब्रिज बनेगा जीवंत म्यूजियम,

प्लानर इंडिया के चेयरमैन श्याम लाल सिंह ने बताया कि 'लगभग दो हजार करोड़ रुपए की लागत से इस सिग्नेचर ब्रिज का निर्माण का काम शुरू होगा. इसके लिए पैसे रिलीज भी किए जा चुके हैं और मालवीय ब्रिज के 45 मीटर की दूरी पर इसके निर्माण को मंजूरी मिली है. सिग्नेचर ब्रिज परियोजना वित्तीय वर्ष 2017-18 में ही स्वीकृत की गई है और इस पर डिजाइन तैयार करने के बाद काम जल्द शुरू होने वाला है. सबसे बड़ी बात यह है कि नए ब्रिज की ऊंचाई पुराने मालवीय ब्रिज के ही समान रखने पर सहमति बनी है और इस पुल के निर्माण का सबसे बड़ा फायदा राजघाट पुल के पुराने रूप को मिलेगा, क्योंकि उस पुल को बिना तोड़े बिना हटाए कि नए पुल का निर्माण कराया जाएगा.'

सैकड़ों साल पुराना मालवीय ब्रिज बनेगा जीवंत म्यूजियम,
सैकड़ों साल पुराना मालवीय ब्रिज बनेगा जीवंत म्यूजियम,

श्याम लाल सिंह का कहना है कि 'इनलैंड वॉटरवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से इस परियोजना के एनओसी मिल गई है और रेलवे इसका फाइनल डीपीआर तैयार करके संबंधित विभाग और पीएमओ को भेज चुका है. इस पर सहमति मिलते ही जल्द काम शुरू हो जाएगा. उन्होंने बताया कि इस ब्रिज के निर्माण का काम चार अलग-अलग फेज में शुरू होगा. इस ब्रिज का काम चार अलग-अलग पार्ट में पूरा होगा. फेज वन में ब्यासनगर काशी स्टेशन की रीमॉडलिंग का काम शुरू होगा. फेज टू में ब्यासनगर आरओबी का निर्माण होगा. फेज 3 में वाराणसी काशी ब्यासनगर रेलखंड पर तीसरी और चौथी लाइन बिछाई जाएगी और चौथे चरण में गंगा के ऊपर सिग्नेचर ब्रिज पर सड़क से कनेक्टिविटी की जाएगी. यह चार अलग-अलग चरणों को पूरा होने में लगभग 4 से 5 साल का वक्त लगेगा. जिसके तहत पहले चरण का काम शुरू हो चुका है. धीरे-धीरे यह काम आगे बढ़ेगा और 2024 से पहले यही प्रयास होगा कि सिग्नेचर ब्रिज की भी शुरुआत कर दी जाए.'

यह भी पढ़ें : निजी विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थान समूहों को निवेश के लिए सीएम ने दिया आमंत्रण, कही यह बातें

संवाददाता गोपाल मिश्र की खास रिपोर्ट

वाराणसी : प्रधानमंत्री के रूप में बनारस को 2014 में जब सांसद नरेंद्र मोदी मिले तो उसके बाद बनारस की उम्मीदें बढ़ती चली गईं. विकास के मामले में बनारस में देश के बाकी शहरों से तीन गुना तेज काम होना शुरू हो गया. बनारस को वह सौगातें मिलीं जो शायद मेट्रो सिटीज के लिए भी संभव नहीं थीं. अभी भी रोपवे समेत कई अन्य ऐसे बड़े प्रोजेक्ट बनारस में चल रहे हैं, जो पूरा होने के बाद पूरे उत्तर प्रदेश में सबसे अलग ही होंगे. इन सबके बीच अब बनारस में सैकड़ों साल पुराने एक पुल को जीते जागते म्यूजियम के रूप में डिवेलप करने के बाद उसके बगल में ही एक नया सिग्नेचर ब्रिज बनाने की तैयारी शुरू हो गई है. यह ब्रिज है वाराणसी के मालवीय ब्रिज, जिसे राजघाट के पुल के नाम से भी जाना जाता है, वहीं पर नया सिग्नेचर ब्रिज भी बनाया जाएगा. जिसके लिए रेलवे बोर्ड को डीपीआर भी भेजा गया है और इसके फाइनल स्ट्रक्चर को प्रधानमंत्री कार्यालय से मंजूरी भी मिल चुकी है.


सैकड़ों साल पुराना मालवीय ब्रिज बनेगा जीवंत म्यूजियम,
सैकड़ों साल पुराना मालवीय ब्रिज बनेगा जीवंत म्यूजियम,



सिग्नेचर ब्रिज का डिजाइन तैयार करने वाले प्लानर इंडिया ने इसके फाइनल डिज़ाइन के अप्रूवल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने इस पूरे स्वरूप कर रखा था. जिस पर सहमति बन गई है. माना जा रहा है कि 2024 चुनावों से पहले इस सिगनेचर ब्रिज की भी शुरुआत वाराणसी में हो जाएगी. अंग्रेजों के जमाने में मालवीय ब्रिज बनाया गया था जो अब धीरे-धीरे पुराना होता जा रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि यह मालवीय ब्रिज डबल डेकर है, जिसमें नीचे से ट्रेन जाती है और ऊपर से सड़क मार्ग होने की वजह से गाड़ियों का आवागमन होता है.

सैकड़ों साल पुराना मालवीय ब्रिज बनेगा जीवंत म्यूजियम,
सैकड़ों साल पुराना मालवीय ब्रिज बनेगा जीवंत म्यूजियम,

प्लानर इंडिया के चेयरमैन श्याम लाल सिंह ने बताया कि 'लगभग दो हजार करोड़ रुपए की लागत से इस सिग्नेचर ब्रिज का निर्माण का काम शुरू होगा. इसके लिए पैसे रिलीज भी किए जा चुके हैं और मालवीय ब्रिज के 45 मीटर की दूरी पर इसके निर्माण को मंजूरी मिली है. सिग्नेचर ब्रिज परियोजना वित्तीय वर्ष 2017-18 में ही स्वीकृत की गई है और इस पर डिजाइन तैयार करने के बाद काम जल्द शुरू होने वाला है. सबसे बड़ी बात यह है कि नए ब्रिज की ऊंचाई पुराने मालवीय ब्रिज के ही समान रखने पर सहमति बनी है और इस पुल के निर्माण का सबसे बड़ा फायदा राजघाट पुल के पुराने रूप को मिलेगा, क्योंकि उस पुल को बिना तोड़े बिना हटाए कि नए पुल का निर्माण कराया जाएगा.'

सैकड़ों साल पुराना मालवीय ब्रिज बनेगा जीवंत म्यूजियम,
सैकड़ों साल पुराना मालवीय ब्रिज बनेगा जीवंत म्यूजियम,

श्याम लाल सिंह का कहना है कि 'इनलैंड वॉटरवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से इस परियोजना के एनओसी मिल गई है और रेलवे इसका फाइनल डीपीआर तैयार करके संबंधित विभाग और पीएमओ को भेज चुका है. इस पर सहमति मिलते ही जल्द काम शुरू हो जाएगा. उन्होंने बताया कि इस ब्रिज के निर्माण का काम चार अलग-अलग फेज में शुरू होगा. इस ब्रिज का काम चार अलग-अलग पार्ट में पूरा होगा. फेज वन में ब्यासनगर काशी स्टेशन की रीमॉडलिंग का काम शुरू होगा. फेज टू में ब्यासनगर आरओबी का निर्माण होगा. फेज 3 में वाराणसी काशी ब्यासनगर रेलखंड पर तीसरी और चौथी लाइन बिछाई जाएगी और चौथे चरण में गंगा के ऊपर सिग्नेचर ब्रिज पर सड़क से कनेक्टिविटी की जाएगी. यह चार अलग-अलग चरणों को पूरा होने में लगभग 4 से 5 साल का वक्त लगेगा. जिसके तहत पहले चरण का काम शुरू हो चुका है. धीरे-धीरे यह काम आगे बढ़ेगा और 2024 से पहले यही प्रयास होगा कि सिग्नेचर ब्रिज की भी शुरुआत कर दी जाए.'

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