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जानें, कैसे बनती है जहरीली शराब और क्या होते हैं लक्षण

प्रशासन की लापरवाही की वजह से एक के बाद एक कई जिंदगियां जहरीली शराब की भेंट चढ़ जाती हैं. बाराबंकी जिले में जहरीली शराब पीने से 14 लोगों की मौत हो गई. वहीं कई लोगों का इलाज अभी भी चल रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि शराब में नशा बढ़ाने के लिए इसमें सस्ती चीजों को मिला दिया जाता है, जिससे शराब जहरीली हो जाती है.

जहरीली शराब के बारे में जानकारी देते विशेषज्ञ.
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Published : May 28, 2019, 9:48 PM IST

वाराणसी: बाराबंकी जिले में जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत हो गई. इससे पहले भी ऐसी कई घटनाऐं हो चुकी हैं. वहीं जहरीली शराब को बनाने से लेकर उसके प्रभाव पर चर्चा के लिए ईटीवी भारत की टीम बीएचयू पहुंची. यहां बीएचयू आईआईटी के केमिकल डिपार्टमेंट के प्रोफेसर ने इसके बार में जानकारी दी.

जहरीली शराब के बारे में जानकारी देते विशेषज्ञ.

कैसे बनती है जहरीली शराब
प्रोफेसर प्रदीप श्रीवास्तव ने बताया कि जहरीली शराब एक ऐसी शराब मानी जाती है, जो पूरी तरह से शराब नहीं बन पाती है. आगे उन्होंने बताया कि शराब बनने की प्रक्रिया नेचुरल प्रोसेस के तहत होती है. इसमें कोई भी कार्बन पदार्थ चाहे वह चीनी हो या फल का जूस, उसको फॉर्मेंटेशन के प्रोसेस के तहत एल्कोहल में बदलता है, जिसको हम इथाइल एल्कोहल कहते हैं. अगर वह पूरा फर्मेंटेशन नहीं हो पाता है, तो वह मिथाइल एल्कोहल में कंवर्ट हो जाता है और मिथनॉल में कन्वर्ट होने के कारण ही जहरीली शराब बन जाती है. मिथनॉल की मात्रा ज्यादा होने की कंडीशन में ही नॉर्मल शराब जहरीली शराब के रूप में बदल जाती है.

कैसे होता है प्रभाव
प्रोफेसर प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति इसका सेवन करता है, तो उसको सबसे ज्यादा एसिडोसिस की प्रॉब्लम होती है और उसके शरीर में एसिड की मात्रा बढ़ने लगती है. एसिड की मात्रा बढ़ने से कार्बन डाइऑक्साइड शरीर में बढ़ता है, जिसकी वजह से किडनी फेल होना, हार्ट अटैक होना और मल्टीपल ऑर्गन फेलियर जैसी कंडीशन आ जाती हैं.

वहीं मण्डलीय अस्पताल के डॉक्टर वीके सिंह का कहना है कि शराब में एथिल एल्कोहल होता है, जो लीवर में डाइजेस्ट होता है. अगर इसमें मिथाइल एल्कोहल मिला दिया जाता है, तो यह जहरीला हो जाता है. इसमें स्प्रिट की मात्रा भी नशा बढ़ाने के लिए मिलाई जाती है, जो खतरनाक हो जाती है. सबसे बड़ी बात यह है कि शराब की मात्रा बढ़ाने और इसको ज्यादा नशे वाला बनाने के लिए सस्ती शराब में चीजों का उपयोग होता है.

वाराणसी: बाराबंकी जिले में जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत हो गई. इससे पहले भी ऐसी कई घटनाऐं हो चुकी हैं. वहीं जहरीली शराब को बनाने से लेकर उसके प्रभाव पर चर्चा के लिए ईटीवी भारत की टीम बीएचयू पहुंची. यहां बीएचयू आईआईटी के केमिकल डिपार्टमेंट के प्रोफेसर ने इसके बार में जानकारी दी.

जहरीली शराब के बारे में जानकारी देते विशेषज्ञ.

कैसे बनती है जहरीली शराब
प्रोफेसर प्रदीप श्रीवास्तव ने बताया कि जहरीली शराब एक ऐसी शराब मानी जाती है, जो पूरी तरह से शराब नहीं बन पाती है. आगे उन्होंने बताया कि शराब बनने की प्रक्रिया नेचुरल प्रोसेस के तहत होती है. इसमें कोई भी कार्बन पदार्थ चाहे वह चीनी हो या फल का जूस, उसको फॉर्मेंटेशन के प्रोसेस के तहत एल्कोहल में बदलता है, जिसको हम इथाइल एल्कोहल कहते हैं. अगर वह पूरा फर्मेंटेशन नहीं हो पाता है, तो वह मिथाइल एल्कोहल में कंवर्ट हो जाता है और मिथनॉल में कन्वर्ट होने के कारण ही जहरीली शराब बन जाती है. मिथनॉल की मात्रा ज्यादा होने की कंडीशन में ही नॉर्मल शराब जहरीली शराब के रूप में बदल जाती है.

कैसे होता है प्रभाव
प्रोफेसर प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति इसका सेवन करता है, तो उसको सबसे ज्यादा एसिडोसिस की प्रॉब्लम होती है और उसके शरीर में एसिड की मात्रा बढ़ने लगती है. एसिड की मात्रा बढ़ने से कार्बन डाइऑक्साइड शरीर में बढ़ता है, जिसकी वजह से किडनी फेल होना, हार्ट अटैक होना और मल्टीपल ऑर्गन फेलियर जैसी कंडीशन आ जाती हैं.

वहीं मण्डलीय अस्पताल के डॉक्टर वीके सिंह का कहना है कि शराब में एथिल एल्कोहल होता है, जो लीवर में डाइजेस्ट होता है. अगर इसमें मिथाइल एल्कोहल मिला दिया जाता है, तो यह जहरीला हो जाता है. इसमें स्प्रिट की मात्रा भी नशा बढ़ाने के लिए मिलाई जाती है, जो खतरनाक हो जाती है. सबसे बड़ी बात यह है कि शराब की मात्रा बढ़ाने और इसको ज्यादा नशे वाला बनाने के लिए सस्ती शराब में चीजों का उपयोग होता है.

Intro:वाराणसी: जहरीली शराब का कहर बढ़ता ही जा रहा है कभी बाराबंकी कभी वाराणसी कभी लखनऊ तो कभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कोई और जिला आए दिन कहीं ना कहीं जहरीली शराब से मौत होना अब जैसे आम हो गया है इन सब के बीच सरकारी तंत्र के निष्क्रिय बने रहने की वजह से जहरीली शराब का कारोबार करने वालों के मंसूबे और तेजी से मजबूत हो रहे हैं जिसकी वजह से जहरीली शराब का कारोबार दिन दुगना रात चौगुना फैल चुका है इसके बाद भी हर शराब कांड के बाद सिर्फ मुआवजा और कुछ लोगों की गिरफ्तारी तक ही मामला सिमट जाता है इन सब के बीच सबसे महत्वपूर्ण यह हो जाता है कि आखिर यह जहरीली शराब होती क्या है कैसे तैयार होती है यह जहरीली शराब और कौन से वह केमिकल होते हैं जो एक नॉर्मल शराब को जहरीली शराब बनाने का काम करते हैं.


Body:वीओ-01 बाराबंकी में जहरीली शराब से हुई मौतों के बाद हमने काशी हिंदू विश्वविद्यालय आईआईटी के केमिकल डिपार्टमेंट के प्रोफेसर और बायोकेमिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के हेड प्रोफेसर प्रदीप श्रीवास्तव ने ईटीवी भारत से जहरीली शराब बनाने की प्रक्रिया और इसमें इस्तेमाल होने वाले केमिकल से लेकर इसके नुकसान तक पर हमसे बातचीत की उन्होंने बताया कि जहरीली शराब एक ऐसी शराब मानी जाती है जो शराब पूरी तरह से शराब ना बन पाए शराब बनने की प्रक्रिया जो नेचुरल प्रोसेस होता है जिसमें कोई भी कार्बन के पदार्थ चाहे वह चीनी हो या फल का जूस हो उसको फॉर्मेंटेशन के प्रोसेस सेवर अल्कोहल में बदलता है जिसको हम मिथाइल अल्कोहल कहते हैं अगर वह पूरा फर्मेंटेशन नहीं हो पाता तो वह मिथाइल अल्कोहल में कंवर्ट हो जाता है और मिथनॉल में कन्वर्ट होने के कारण ही  जहरीली शराब बन जाती है इसलिए मिथनॉल की मात्रा ज्यादा होने की कंडीशन में हुआ जहरीली शराब के रूप में बदल जाती है.


Conclusion:जिनकी बच्चे की जिंदगी उनकी जिंदगी में भी अंधेरा

वीओ-02 प्रोफेसर प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि मेथनॉल के शराब में पाए जाने की वजह से यदि कोई व्यक्ति इसका सेवन करता है तो उसको सबसे ज्यादा एसिडोसिस की प्रॉब्लम होती है और उसके शरीर में एसिड की मात्रा बढ़ने लगती है और एसिड की मात्रा बढ़ने से कार्बन डाइऑक्साइड शरीर में बढ़ता है जिसकी वजह से किडनी फेल होना हार्ट फेल होना और मल्टीपल ऑर्गन फेलियर जैसी कंडीशन आ जाती है वही जहरीली शराब की वजह से मौत के बाद भी कई लोग जिंदगी और मौत की जंग लड़ कर बैठ जाते हैं ऐसी स्थिति में जो बस जाते हैं उनकी जिंदगी भी अंधेरे में ही रहेगी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि जहरीली शराब में मौजूद मिथुन ऑल का कन्वर्जन बहुत खतरनाक होता है यह फॉर्म एल्डिहाइड होता है और इसकी वजह से आंख की रोशनी चली जाती है ऐसा देखने में भी आया है कि जहरीली शराब का सेवन करने के बाद जो लोग बच भी गए उनकी आंख की रोशनी चली जाती हैं यह उसके जो केमिकल कन्वर्जेंस होते हैं वह इफेक्टेड होते जिसकी वजह से आंख की रोशनी चली जाती है.

नशा बढ़ाने के लिए मिलाया जाने वाला केमिकल खतरनाक

वहीं मंडलीय अस्पताल वाराणसी के सीनियर डॉक्टर वीके सिंह

वहीं डॉ वीके सिंह का कहना है कि शराब में एथिल अल्कोहल होता है जो लीवर में डाइजेस्ट होता है अगर इसमें मिथाइल अल्कोहल मिला दिया जाता है तो यह जहरीली हो जाती है. इसमें स्प्रिट की मात्रा भी नशा बढ़ाने के लिए मिलाई जाती है जो खतरनाक हो जाती है सबसे बड़ी बात यह है कि शराब की मात्रा बढ़ाने और इसको ज्यादा नशे वाला बनाने के लिए सस्ती शराब में चीजों का उपयोग होता है.

बाईट- प्रोफेसर प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, डिपार्टमेंट हेड बायोकेमिकल डिपार्टमेंट, आईआईटी, बीएचयू
बाईट- डॉ वीके सिंह सीनियर, डॉक्टर मंडलीय हॉस्पिटल वाराणसी
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