वाराणसी: बाराबंकी जिले में जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत हो गई. इससे पहले भी ऐसी कई घटनाऐं हो चुकी हैं. वहीं जहरीली शराब को बनाने से लेकर उसके प्रभाव पर चर्चा के लिए ईटीवी भारत की टीम बीएचयू पहुंची. यहां बीएचयू आईआईटी के केमिकल डिपार्टमेंट के प्रोफेसर ने इसके बार में जानकारी दी.
कैसे बनती है जहरीली शराब
प्रोफेसर प्रदीप श्रीवास्तव ने बताया कि जहरीली शराब एक ऐसी शराब मानी जाती है, जो पूरी तरह से शराब नहीं बन पाती है. आगे उन्होंने बताया कि शराब बनने की प्रक्रिया नेचुरल प्रोसेस के तहत होती है. इसमें कोई भी कार्बन पदार्थ चाहे वह चीनी हो या फल का जूस, उसको फॉर्मेंटेशन के प्रोसेस के तहत एल्कोहल में बदलता है, जिसको हम इथाइल एल्कोहल कहते हैं. अगर वह पूरा फर्मेंटेशन नहीं हो पाता है, तो वह मिथाइल एल्कोहल में कंवर्ट हो जाता है और मिथनॉल में कन्वर्ट होने के कारण ही जहरीली शराब बन जाती है. मिथनॉल की मात्रा ज्यादा होने की कंडीशन में ही नॉर्मल शराब जहरीली शराब के रूप में बदल जाती है.
कैसे होता है प्रभाव
प्रोफेसर प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति इसका सेवन करता है, तो उसको सबसे ज्यादा एसिडोसिस की प्रॉब्लम होती है और उसके शरीर में एसिड की मात्रा बढ़ने लगती है. एसिड की मात्रा बढ़ने से कार्बन डाइऑक्साइड शरीर में बढ़ता है, जिसकी वजह से किडनी फेल होना, हार्ट अटैक होना और मल्टीपल ऑर्गन फेलियर जैसी कंडीशन आ जाती हैं.
वहीं मण्डलीय अस्पताल के डॉक्टर वीके सिंह का कहना है कि शराब में एथिल एल्कोहल होता है, जो लीवर में डाइजेस्ट होता है. अगर इसमें मिथाइल एल्कोहल मिला दिया जाता है, तो यह जहरीला हो जाता है. इसमें स्प्रिट की मात्रा भी नशा बढ़ाने के लिए मिलाई जाती है, जो खतरनाक हो जाती है. सबसे बड़ी बात यह है कि शराब की मात्रा बढ़ाने और इसको ज्यादा नशे वाला बनाने के लिए सस्ती शराब में चीजों का उपयोग होता है.