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राजभाषा सम्मेलन में शामिल हुए गृह मंत्री अमित शाह, कहा- काशी है भाषाओं का गोमुख

अपने दो दिवसीय दौरे के दूसरे दिन आज गृह मंत्री अमित शाह वाराणसी अखिल भारतीय हिंदी राजभाषा सम्मेलन में शिरकत करने के लिए पहुंचे. बतौर मुख्य अतिथि गृह मंत्रालय के इस कार्यक्रम में अमित शाह के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भारतीय जनता पार्टी के कई बड़े नेता भी शामिल हुए.

राजभाषा सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह
राजभाषा सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह
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Published : Nov 13, 2021, 11:34 AM IST

Updated : Nov 13, 2021, 2:32 PM IST

वाराणसी: अखिल भारतीय हिंदी राजभाषा सम्मेलन में शिरकत करने गृह मंत्री अमित शाह के साथ सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहुंचे. कार्यक्रम की शुरुआत गृह मंत्री और मुख्यमंत्री ने दीप प्रज्वलन के साथ की है. उनके साथ इस कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के कई बड़े नेता भी शामिल हुए.

बता दें कि इसके पहले कल देर रात गृह मंत्री ने बाबा काल भैरव के मंदिर में दर्शन पूजन किया था. मंदिर के पुजारी ने केंद्रीय गृहमंत्री को अंगवस्त्रम भेंट किया था. अमित शाह के पहुंचने की सूचना पर मंदिर के बाहर भाजपा कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों की भीड़ लगी रही.

कालभैरव दर्शन के बाद गृहमंत्री रात्रि विश्राम के लिए निकल गए. इस दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता भी उनके साथ मौजूद रहे. दरअसल, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह दो दिवसीय उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल दौरे पर हैं. जिसमें अमित शाह महत्वपूर्ण संगठनात्मक बैठकों के साथ ही पार्टी के कार्यकर्ताओं को उत्तर प्रदेश में चुनाव के लिए जीत का मंत्र देंगे. गृह मंत्री आज आजमगढ़ में यशपालपुर आजमबांध, आजमगढ़ में एक जनसभा को संबोधित करते हुए, इस जिले को स्टेट यूनिवर्सिटी की सौगात देंगे.

राजभाषा सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह
राजभाषा सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह

बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह वाराणसी के दीनदयाल हस्तकला संकुल पहुंचे हैं, जहां उन्होंने राजभाषा सम्मेलन में शिरकत की. राजभाषा सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने काशी को भाषाओं का गोमुख करार दिया. साथ ही कहा कि बिना काशी के देश का इतिहास ही पूरा ही नहीं होता. बाबा विश्वनाथ के इस नगर ने देश को ही नहीं, बल्कि दुनिया को शिक्षा की लौ से प्रज्ज्वलित करने का काम किया है. उन्होंने कहा कि अमृत महोत्सव हमारे लिए आजादी दिलाने के लिए जो हमारे पुरखों ने यातनाएं सहन की, सर्वोच्य बलिदान दिए, संघर्ष किए उसको स्मृति में जीवंत करके युवा पीढ़ी को प्रेरणा देना को तो मौका तो है ही, साथ ही आजादी का अमृत महोत्सव हमारे लिए संकल्प का भी वर्ष है.

'हमे देश के लिए अब संकल्प लेना होगा'

उन्होंने कहा कि इसी वर्ष में 130 करोड़ भारतीयों को तय करना है कि जब आजादी के 100 साल होंगे तो भारत कैसा होगा, कहां होगा. दुनिया में भारत का स्थान कहां होगा. चाहे शिक्षा की बात हो, चाहे संस्कार की बात हो, चाहे सुरक्षा की बात हो, चाहे आर्थिक उन्नति की बात हो, चाहे उत्पादन बढ़ाने की बात हो, भारत कहा खड़ा है और हर क्षेत्र में भारत कहां खड़ा होगा. इसका भी संकल्प लेना होगा.

राजभाषा सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह
राजभाषा सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह

'स्वराज तो मिल गया, लेकिन स्वदेशी पीछे छूट गया'

हम सभी हिंदी प्रेमियों के लिए भी ये वर्ष संकल्प का रहना चाहिए. जब 100 साल आजादी के हो तो इस देश में राजभाषा और सभी स्थानीय भाषाओं का दबदबा इतना बुलंद हो कि किसी भी विदेशी भाषा का सहयोग लेने की आवश्यकता न हो. मैं मानता हूं कि ये काम आजादी के तुरंत बाद होना चाहिए था. क्योंकि आजादी के तीन स्तंभ थे, स्वराज, स्वदेशी और स्वभाषा. स्वराज तो मिल गया, लेकिन स्वदेशी भी पीछे छूट गया और स्वभाषा भी पीछे छूट गई.

मैं भी हिंदी भाषी नहीं हूं, गुजरात से आता हूं. मेरी मातृभाषा गुजराती है. मुझे गुजराती बोलने में कोई परहेज नहीं है. लेकिन मैं गुजराती ही जितना बल्कि उससे अधिक हिंदी का प्रयोग करता हूं. हिंदी और सभी स्थानीय भाषाओं के बीच कोई अंतर्विरोध नहीं है. हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की सहेली है. इसके इतर उन्होंने काशी को भाषा का गौमुख करार देते हुए कहा कि यह स्थान भाषाओं का उद्भव स्थान है. भाषाओं का शुद्धिकरण, व्याकरण को शुद्ध करना, चाहे कोई भी भाषा हो, काशी का बड़ा योगदान है.

राजभाषा सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह
राजभाषा सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह

यह भी पढ़ें- केशव प्रसाद मौर्य का राहुल-सोनिया पर हमला, बोले- राम के नाम से है नफरत तो हटा लें गांधी नाम

100 सालों बाद ना झुके हमारा सिर शर्म से

गृह मंत्री ने कहा कि हिंदी भाषा के लिए जो कंट्रोवेसी की जाती थी, पर अब वो समय खत्म हो चुका है. शायद ही कोई प्रधानमंत्री होगा जिसे व्यसायिक मंच में जो सम्मान मिला उसे और किसी को मिला होगा. 100 साल के बाद कोई भारतीय का सर शर्म के बारे न झुके और हमारी भाषा को सभी जाने. सभी अभिभावकों से अपील है की अपने बच्चो से अपनी भाषा मे ही बात करे, क्योंकि इससे सबसे ज्यादा फायदा अपनी भाषा से ही होगा. अगर अपने बच्चो को मौलिक चिंतन को नही स्थापित करेंगे तो आपका बच्चा लेने वाला बनेगा न कि देने वाला. आपका बच्चा ऐसा बने जो दुनिया को दे सके न की लेने वाला. अपनी भाषा से कभी भी शर्म मत रखिये क्योंकी ये गर्व का विषय है.

राज्य बनाए राज्यभाषा

अमित शाह ने कहा कि एक जमाना था जब हिंदी को लेकर घबराहट होती थी पर अब गर्व होता है. ये नरेंद्र मोदी जी की कोशिश का असर है. आत्मसमान अगर खड़ा करना है तो क्षेत्रीय और राजभाषा को आगे ले जाना होगा. मैं सबको आग्रह करता हूं जो मोदी जी के नेतृत्व में जो नई शिक्षा नीति बनी है जसका आप अध्यन्न कीजिये. हमारा देश पिछड़ा, इसका मूल कारण ये की अनुसंधान हमारी भाषाओं में नही है. सभी को अनुरोध करता हुआ नई शिक्षा नीति का मुख्य बिंदु अपनी भाषायों को जानने का उसे जानिए. जब तक नौकरशाही की भाषा राजभाषा की नहीं होगी तब तक साफल कैसे होंगे.

राजभाषा सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह
राजभाषा सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह

गृह मंत्री ने कहा कि आज गृह मंत्रालय में पूरी तरह से राजभाषा का ही इस्तेमाल होता है. आज ये परिवर्तन मोदी जी के नेतृत्व में आता है. इस देश की सभी जगह और सभी विभाग की भाषा राष्ट्र भाषा और राजभाषा हो. राजभाषा और स्व भाषा के लिए किसी के साथ संघर्ष की जरूरत नहीं है. देश में इस प्रकार की वातारण बनाने के लिए आगे बढ़े. देश के विभिन्न राज्यों की जो इतिहास है. उसे राज्यभाषा मे परिवर्तित किया जाये और हमे हिंदी को थोड़ा लचीला भी बनाया जाना चाहिए.

वीर सावरकर ने हिंदी का शब्दकोष बनाया था. राज्यभाषा विभाग जो शब्दकोश बना रहा है. ये शब्द कोष हिंदी को प्रशाशन की भाषा बनाने में सहयोग करेगा. अगर हिंदी के लिए हम नहीं सोचेंगे तो काल अपना काम करता है.

राजभाषा सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह
राजभाषा सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह

सीएम योगी ने कहीं यह बातें

राजभाषा सम्मेलन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हिंदी की उपेक्षा इसी से समझ सकते है की इस सम्मलेन को आयोजित करने में आजादी के बाद 75 वर्ष लग गए. 7वर्ष पहले वैश्विक तौर पर भारत की उपेक्षा थी पर आज भारत बदल रहा है. केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि राजभाषा सम्मलेन को हम राजधानी से बाहार लाने में सफल हुए है. आज 130 करोड़ भारतीयों को तय करना है की भारत की आजादी के 100 साल जब होंगे तब भारत कैसा होगा.100 साल जब पूरा हो तब किसी भी विदेशी भाषा की जरूरत न हो. आज देश भर के लोगो को आह्वाहन करना चाहता हु की स्वभाषा की ओर हो.

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वाराणसी: अखिल भारतीय हिंदी राजभाषा सम्मेलन में शिरकत करने गृह मंत्री अमित शाह के साथ सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहुंचे. कार्यक्रम की शुरुआत गृह मंत्री और मुख्यमंत्री ने दीप प्रज्वलन के साथ की है. उनके साथ इस कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के कई बड़े नेता भी शामिल हुए.

बता दें कि इसके पहले कल देर रात गृह मंत्री ने बाबा काल भैरव के मंदिर में दर्शन पूजन किया था. मंदिर के पुजारी ने केंद्रीय गृहमंत्री को अंगवस्त्रम भेंट किया था. अमित शाह के पहुंचने की सूचना पर मंदिर के बाहर भाजपा कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों की भीड़ लगी रही.

कालभैरव दर्शन के बाद गृहमंत्री रात्रि विश्राम के लिए निकल गए. इस दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता भी उनके साथ मौजूद रहे. दरअसल, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह दो दिवसीय उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल दौरे पर हैं. जिसमें अमित शाह महत्वपूर्ण संगठनात्मक बैठकों के साथ ही पार्टी के कार्यकर्ताओं को उत्तर प्रदेश में चुनाव के लिए जीत का मंत्र देंगे. गृह मंत्री आज आजमगढ़ में यशपालपुर आजमबांध, आजमगढ़ में एक जनसभा को संबोधित करते हुए, इस जिले को स्टेट यूनिवर्सिटी की सौगात देंगे.

राजभाषा सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह
राजभाषा सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह

बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह वाराणसी के दीनदयाल हस्तकला संकुल पहुंचे हैं, जहां उन्होंने राजभाषा सम्मेलन में शिरकत की. राजभाषा सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने काशी को भाषाओं का गोमुख करार दिया. साथ ही कहा कि बिना काशी के देश का इतिहास ही पूरा ही नहीं होता. बाबा विश्वनाथ के इस नगर ने देश को ही नहीं, बल्कि दुनिया को शिक्षा की लौ से प्रज्ज्वलित करने का काम किया है. उन्होंने कहा कि अमृत महोत्सव हमारे लिए आजादी दिलाने के लिए जो हमारे पुरखों ने यातनाएं सहन की, सर्वोच्य बलिदान दिए, संघर्ष किए उसको स्मृति में जीवंत करके युवा पीढ़ी को प्रेरणा देना को तो मौका तो है ही, साथ ही आजादी का अमृत महोत्सव हमारे लिए संकल्प का भी वर्ष है.

'हमे देश के लिए अब संकल्प लेना होगा'

उन्होंने कहा कि इसी वर्ष में 130 करोड़ भारतीयों को तय करना है कि जब आजादी के 100 साल होंगे तो भारत कैसा होगा, कहां होगा. दुनिया में भारत का स्थान कहां होगा. चाहे शिक्षा की बात हो, चाहे संस्कार की बात हो, चाहे सुरक्षा की बात हो, चाहे आर्थिक उन्नति की बात हो, चाहे उत्पादन बढ़ाने की बात हो, भारत कहा खड़ा है और हर क्षेत्र में भारत कहां खड़ा होगा. इसका भी संकल्प लेना होगा.

राजभाषा सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह
राजभाषा सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह

'स्वराज तो मिल गया, लेकिन स्वदेशी पीछे छूट गया'

हम सभी हिंदी प्रेमियों के लिए भी ये वर्ष संकल्प का रहना चाहिए. जब 100 साल आजादी के हो तो इस देश में राजभाषा और सभी स्थानीय भाषाओं का दबदबा इतना बुलंद हो कि किसी भी विदेशी भाषा का सहयोग लेने की आवश्यकता न हो. मैं मानता हूं कि ये काम आजादी के तुरंत बाद होना चाहिए था. क्योंकि आजादी के तीन स्तंभ थे, स्वराज, स्वदेशी और स्वभाषा. स्वराज तो मिल गया, लेकिन स्वदेशी भी पीछे छूट गया और स्वभाषा भी पीछे छूट गई.

मैं भी हिंदी भाषी नहीं हूं, गुजरात से आता हूं. मेरी मातृभाषा गुजराती है. मुझे गुजराती बोलने में कोई परहेज नहीं है. लेकिन मैं गुजराती ही जितना बल्कि उससे अधिक हिंदी का प्रयोग करता हूं. हिंदी और सभी स्थानीय भाषाओं के बीच कोई अंतर्विरोध नहीं है. हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की सहेली है. इसके इतर उन्होंने काशी को भाषा का गौमुख करार देते हुए कहा कि यह स्थान भाषाओं का उद्भव स्थान है. भाषाओं का शुद्धिकरण, व्याकरण को शुद्ध करना, चाहे कोई भी भाषा हो, काशी का बड़ा योगदान है.

राजभाषा सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह
राजभाषा सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह

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100 सालों बाद ना झुके हमारा सिर शर्म से

गृह मंत्री ने कहा कि हिंदी भाषा के लिए जो कंट्रोवेसी की जाती थी, पर अब वो समय खत्म हो चुका है. शायद ही कोई प्रधानमंत्री होगा जिसे व्यसायिक मंच में जो सम्मान मिला उसे और किसी को मिला होगा. 100 साल के बाद कोई भारतीय का सर शर्म के बारे न झुके और हमारी भाषा को सभी जाने. सभी अभिभावकों से अपील है की अपने बच्चो से अपनी भाषा मे ही बात करे, क्योंकि इससे सबसे ज्यादा फायदा अपनी भाषा से ही होगा. अगर अपने बच्चो को मौलिक चिंतन को नही स्थापित करेंगे तो आपका बच्चा लेने वाला बनेगा न कि देने वाला. आपका बच्चा ऐसा बने जो दुनिया को दे सके न की लेने वाला. अपनी भाषा से कभी भी शर्म मत रखिये क्योंकी ये गर्व का विषय है.

राज्य बनाए राज्यभाषा

अमित शाह ने कहा कि एक जमाना था जब हिंदी को लेकर घबराहट होती थी पर अब गर्व होता है. ये नरेंद्र मोदी जी की कोशिश का असर है. आत्मसमान अगर खड़ा करना है तो क्षेत्रीय और राजभाषा को आगे ले जाना होगा. मैं सबको आग्रह करता हूं जो मोदी जी के नेतृत्व में जो नई शिक्षा नीति बनी है जसका आप अध्यन्न कीजिये. हमारा देश पिछड़ा, इसका मूल कारण ये की अनुसंधान हमारी भाषाओं में नही है. सभी को अनुरोध करता हुआ नई शिक्षा नीति का मुख्य बिंदु अपनी भाषायों को जानने का उसे जानिए. जब तक नौकरशाही की भाषा राजभाषा की नहीं होगी तब तक साफल कैसे होंगे.

राजभाषा सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह
राजभाषा सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह

गृह मंत्री ने कहा कि आज गृह मंत्रालय में पूरी तरह से राजभाषा का ही इस्तेमाल होता है. आज ये परिवर्तन मोदी जी के नेतृत्व में आता है. इस देश की सभी जगह और सभी विभाग की भाषा राष्ट्र भाषा और राजभाषा हो. राजभाषा और स्व भाषा के लिए किसी के साथ संघर्ष की जरूरत नहीं है. देश में इस प्रकार की वातारण बनाने के लिए आगे बढ़े. देश के विभिन्न राज्यों की जो इतिहास है. उसे राज्यभाषा मे परिवर्तित किया जाये और हमे हिंदी को थोड़ा लचीला भी बनाया जाना चाहिए.

वीर सावरकर ने हिंदी का शब्दकोष बनाया था. राज्यभाषा विभाग जो शब्दकोश बना रहा है. ये शब्द कोष हिंदी को प्रशाशन की भाषा बनाने में सहयोग करेगा. अगर हिंदी के लिए हम नहीं सोचेंगे तो काल अपना काम करता है.

राजभाषा सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह
राजभाषा सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह

सीएम योगी ने कहीं यह बातें

राजभाषा सम्मेलन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हिंदी की उपेक्षा इसी से समझ सकते है की इस सम्मलेन को आयोजित करने में आजादी के बाद 75 वर्ष लग गए. 7वर्ष पहले वैश्विक तौर पर भारत की उपेक्षा थी पर आज भारत बदल रहा है. केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि राजभाषा सम्मलेन को हम राजधानी से बाहार लाने में सफल हुए है. आज 130 करोड़ भारतीयों को तय करना है की भारत की आजादी के 100 साल जब होंगे तब भारत कैसा होगा.100 साल जब पूरा हो तब किसी भी विदेशी भाषा की जरूरत न हो. आज देश भर के लोगो को आह्वाहन करना चाहता हु की स्वभाषा की ओर हो.

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Last Updated : Nov 13, 2021, 2:32 PM IST
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