वाराणसी: देश की आधी आबादी ने जब-जब एकजुट होकर किसी राजनीतिक दल का साथ दिया है तब-तब उस राजनीतिक दल के साथ, राजनीतिक परिदृश्य का इतिहास भी बदल गया है. 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी ये ऐतिहासिकता देखने को मिली है, क्योंकि आधी आबादी ने एकजुट होकर के बीजेपी को वोट दिया है. जिसकी एक तस्वीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी दिखाई दी.
यहां भाजपा ने इतिहास दर्ज करते हुए सभी 8 सीटों पर भगवा लहराया. इसमें सबसे बड़ा योगदान आधी आबादी के साइलेंट वोट का माना जा रहा है.राजनीतिक पंडितों का कहना है कि आधी आबादी ने इस चुनावी समर में मुख्य भूमिका निभाई और पूरे के पूरे चुनावी गणित को ही बदल दिया.
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यूपी चुनाव ने बदल दी भारतीय राजनीति की परिभाषा
उत्तर प्रदेश का चुनाव भले ही एक राज्य का चुनाव रहा हो लेकिन इसके नतीजों ने भारतीय राजनीति को एक नया आयाम दिया है. एक बार फिर से सत्ता में लौटी बीजेपी ने प्रदेश के राजनीतिक इतिहास को पूरी तरीके से बदल दिया है और ऐसा माना जा रहा है कि इसमें बड़ी भूमिका महिला मतदाताओं की रही है.
महिलाओं में जागरूकता होने के कारण ही चुनाव में उनकी भागीदारी भी बढ़ी है. लोकसभा चुनाव हो या फिर विधानसभा चुनाव,जब-जब आधी आबादी ने एकजुट होकर किसी राजनीतिक दल का साथ दिया. तब राजनीतिक दल के साथ-साथ पूरा सियासी समीकरण बदल गया और इसकी तस्वीर स्पष्ट तौर पर बनारस में दिख रही है.
बनारस में 30 में से 14 लाख महिला मतदाता
बनारस की आठों सीटों पर फिर से बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज़ की है. बनारस की आठ विधानसभा में कुल 30 लाख 80 हज़ार मतदाता हैं, जिसमें महिला मतदाताओं की संख्या 14 लाख 229 हैं. इस चुनाव में आठों विधानसभाओं में 18 लाख 66 हज़ार लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया था, जिसमें से 8 लाख 45 हज़ार महिला मतदाताओं ने अपने वोट का प्रयोग करके पूरी सियासत को बदल दिया.
एक नजऱ महिला वोटरों के आंकड़ों पर
आंकड़ों की बात करें तो 8 विधानसभा में अधिकृत सुरक्षित सीट पर सबसे ज्यादा महिला मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. वही कैंट में सबसे कम आधी आबादी की हिस्सेदारी रही. अजगरा में 1 लाख 17 हजार 49 महिलाओं ने वोट किया, जबकि कैंट में महिलाओं की संख्या 1लाख 5 हजार 558 रही. शिवपुर विधानसभा सीट पर 1 लाख 13 हजार 141 महिलाओं के वोट पड़े, तो वही पिंडरा में 1 लाख 9 हजार 945, रोहनिया में 1 लाख 7 हजार 960, दक्षिणी बनारस में 81हजार 801, उत्तरी बनारस में 1लाख 5 हजार 313 और सेवापुरी में 1 लाख 4 हजार 418 महिलाओं ने वोट डाले.
मुस्लिम महिलाओं की भी रही बराबर की हिस्सेदारी
चुनाव में मुस्लिम महिलाओं की हिस्सेदारी भी बराबर की रही. बड़ी बात यह है कि हिंदू महिला मतदाताओं की तरह ही मुस्लिम महिलाएं अंत तक खामोश रही और सीधे ईवीएम पर अपने मनपसंद प्रत्याशी को वोट दिया. मुस्लिम महिलाओं ने विकास के मुद्दे को तरजीह देते हुए उम्मीदवारों को वोट दिया. मुस्लिम महिलाओं का कहना था कि प्रदेश सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के लिए अच्छा काम किया है, इसलिए यह सरकार महिलाओं के लिए सही हैं और हमने विकास व सुरक्षा के मुद्दे को देख कर के अपने मताधिकार का प्रयोग किया है.
आधी आबादी ने बदल दिए सारे समीकरण
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि इतिहास गवाह रहा है जब-जब आधी आबादी एकजुट होकर मतदान किया है तब तब सत्ता में एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है. 2012,2017 के चुनाव को देख लें या फिर लोकसभा के 2014,2019 के चुनाव को देख लें और अभी अभी संपन्न हुए 2022 के चुनाव को देखें तो सभी में आधी आबादी की एकजुटता ने एक बड़ा बदलाव किया है.
महिलाओं ने इस चुनाव में भी खामोशी की चादर इस कदर तानी की उम्मीदवार भी भौंचक नजर आए हैं. बनारस की बात कर ले तो यहाँ आधी आबादी के साइलेंट वोट ने पूरे समीकरण को बदल कर रख दिया.इस साइलेंट वोटिंग में कई दिग्गज धराशायी हो गए तो कई प्रत्याशियों को चौका दिया. इससे पूरा राजनीतिक गणित ही फेल हो गया.
शहर के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी महिलाओं की हिस्सेदारी अद्भुत दिखाई थी, अजगरा की बात करें या सेवापुरी की, यहां महिलाओं ने विकास के मुद्दे को सबसे ज्यादा महत्व दिया और उसके बाद सुरक्षा के मद्देनजर अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जिसने बनारस में बीजेपी को एक नई गाथा लिखने में मदद की.
मोदी-योगी पर भरोसा जताया
बनारस के आठों सीटों पर फिर भगवा लहराया. बावजूद इसके कि स्थानीय विधायकों की प्रति लोगों में काफी नाराजगी थी. बीजेपी नेतृत्व भी इससे काफी हद तक वाकिफ था. बीजेपी भी जानती थी कि यह चुनाव उनके लिए काफी टफ है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी व योगी के प्रति महिलाओं की आस्था ने आठों विधानसभा पर चौंकाने वाले परिणामों को दर्शाया है.
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