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वाराणसी में करोड़ों की हेरिटेज लाइट्स की दशा खराब, अब हो रहा ये इस्तेमाल

वाराणसी शहर को स्मार्ट शहर (Smart city of Banaras ) बनाने के लिए बनारस की सड़कों और गलियों को एक नया लुक देने के लिए 20 करोड़ रुपये खर्च कर हेरिटेज पोल्स लगाने का काम हुआ था लेकिन ये हेरिटेज पोल्स (Heritage polls) अब विज्ञापन होर्डिंग्स टांगने के काम आ रहे हैं.

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वाराणसी स्मार्ट सिटी में करोड़ों की हेरीटेज लाइट्स बन गई विज्ञापन का जरिया
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Published : Sep 9, 2022, 7:39 PM IST

Updated : Sep 9, 2022, 7:54 PM IST

वाराणसी: बनारस शहर को स्मार्ट (Smart city of Banaras ) बनाने के लिए बहुत प्रयास किए गए. बनारस की स्मार्टनेस के साथ इसके हेरिटेज लुक को कायम रखने के लिए पुरानी तकनीक और पुराने प्रयासों के साथ बनारस की सड़कों और गलियों को एक नया लुक देने के उद्देश्य से 2018 में 20 करोड़ रुपये खर्च कर हेरिटेज पोल्स लगाने का काम हुआ था. इन हेरिटेज पोल्स पर लगाई गई हेरिटेज लाइट अपने आप में बड़े ही अलग और अनूठे अंदाज की दिखाई देती थी. ठीक उसी तरह जैसे पुराने वक्त में विदेश में लगाई जाती थी. इन स्ट्रीट लाइटों को लगाने के बाद बनारस के लुक को बदल कर एक नए अंदाज से बिजली के बचत का भी दावा किया गया था.

बता दें कि बनारस की सारी स्ट्रीट लाइट एलईडी (street light led) की थी. पुरानी पीले रंग की स्ट्रीट लाइट को हटाकर सफेद स्ट्रीट लाइट लगाए जाने से निश्चित तौर पर बनारस की सड़कों और गलियों का एक नया रूप सामने आया. समय बीतने के साथ अब बनारस उसी पुराने ढर्रे पर वापस लौट रहा है यानी अंधेरा गलियों में, अंधेरा सड़कों पर और हर तरफ से बदहाली और अंधेरे का साम्राज्य.

वाराणसी स्मार्ट शहर में करोड़ों की हेरीटेज लाइट्स बन गई हैं विज्ञापन का जरिया

ईटीवी भारत ने ऐसे तमाम हेरिटेज पोल्स की पड़ताल की है जो करोड़ों रुपए खर्च करके लगाए गए इन हेरिटेज पोल्स का आज कोई पुरसाहाल नहीं है. इसकी वजह से इनका होना ना होना सब बराबर है. हालात यह है कि खराब पड़ी इन स्ट्रीट लाइट्स पर सिर्फ विज्ञापन टांगने के लिए होर्डिंग्स बैनर लगाने का काम हो रहा है.

दरअसल, शहरी विकास मंत्रालय (Ministry of Urban Development) की तरफ से बनारस के स्मार्ट सिटी लुक के लिए हर रोज कुछ ना कुछ प्रयास किए जा रहे हैं. कभी बनारस के पुराने इलाके के मकानों को एक रंग में रंगा जा रहा है तो कभी इस क्षेत्र में पढ़ने वाली दुकानों के बोर्ड को भी एक तरह का बनाया जा रहा है. पुरानी पीले रंग की मरकरी वाली स्ट्रीट लाइट की जगह सफेद एलईडी वाले स्ट्रीट लाइट लगाकर बनारस में अंधेरे के साम्राज्य को दूर करते हुए बिजली की बचत कर एक नए अंदाज में बनारस को पेश करने का काम 2008 में किया गया था. लगभग 7000 से ज्यादा हेरिटेज लाइट लगाकर 20 करोड़ की लागत से हेरीटेज स्थल गलियों, घाटों और मुख्य सड़कों को रोशन करने का काम किया गया था.


सबसे बड़ी बात यह है कि इस कार्य को पूरा करने के बाद एक कार्यदाई संस्था नियुक्त कर इसके देखरेख की जिम्मेदारी भी दी गई थी. 3 साल का कार्यकाल पूरे होने के बाद इस एजेंसी को हटाया गया और नई एजेंसियां शामिल हुई लेकिन नई एजेंसी कहीं ना कहीं से काम में लापरवाही कर रही है. इसकी वजह से अब इन पोल्स की हालत खराब हो रही है. कई इलाकों में इन पोल पर लाइट नहीं जलती और कई जगह से तो यह लाइटिंग गायब ही हो चुकी हैं. गलियों के पोल्स पर लगाई गई लाइटों में अधिकांश जगह चोरों के हत्थे चढ़ गई है. पोल्स पर सिर्फ तार ही दिखाई दे रहे हैं. लगभग 50% लाइटें खराब हैं. इनको ठीक करने के लिए कोई जिम्मेदार आगे ही नहीं आ रहा है.


मुख्य तौर पर रथयात्रा से लक्सा, गोदौलिया से चौक, मणिकर्णिका घाट, हरिश्चंद्र घाट, नई सड़क, बेनियाबाग, पियरी, कबीर चौरा और नगर निगम के बाहर इन लाइटों को लगाया गया था. सबसे बड़ी बात यह है कि नगर निगम के बाहर लगी लाइट महीनों से खराब हैं. नगर निगम के मुख्य द्वार के बाहर लगी लाइटों के खराब होने के बाद भी नगर निगम सही नहीं कर पा रहा तो बाकी शहर का क्या हाल होगा.

हालांकि जब इस बारे में नगर आयुक्त प्रणय सिंह (Municipal Commissioner Pranay Singh) से बातचीत की गई तो उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि कार्यदाई संस्था अपना कार्य ठीक से नहीं कर रही है. नगर निगम में आलोक विभाग को जिम्मेदारी दी है. आलोक विभाग अपने स्तर पर सर्वे करवाकर इन लाइटों को ठीक करने का काम करेगा. इसके अलावा इसकी देखरेख भी प्रॉपर तरीके से की जाएगी. इसका असर भी आने वाले दिनों में दिखाई देने लगेगा.

यह भी पढ़ें- वाराणसी में सीएम योगी ने किया मोदी @20 पुस्तक का विमोचन, कहा-मोदी है तो मुमकिन है


नगर आयुक्त का कहना है कि समय-समय पर इस पर लगाए गए होर्डिंग्स व बैनर हटा दिए जाते हैं. जो नहीं मानते उन पर कार्यवाही भी की जाती है. वहीं स्थानीय लोग भी नगर निगम के क्रियाकलाप से बेहद मायूस हैं. उनका कहना है इतने पैसे खर्च कर लगाई गई लाइट खराब पड़ी हुई है जिसका फायदा क्या है? इसलिए जरूरी है कि इनको ठीक करवाया जाए ताकि जिस उद्देश्य से बनारस को हेरिटेज जोन बनाने का काम किया गया है, वह पूरा किया जा सके.

यह भी पढ़ें- सीएम योगी को जौनपुर में सपा कार्यकर्ता ने दिखाया काला झंडा

वाराणसी: बनारस शहर को स्मार्ट (Smart city of Banaras ) बनाने के लिए बहुत प्रयास किए गए. बनारस की स्मार्टनेस के साथ इसके हेरिटेज लुक को कायम रखने के लिए पुरानी तकनीक और पुराने प्रयासों के साथ बनारस की सड़कों और गलियों को एक नया लुक देने के उद्देश्य से 2018 में 20 करोड़ रुपये खर्च कर हेरिटेज पोल्स लगाने का काम हुआ था. इन हेरिटेज पोल्स पर लगाई गई हेरिटेज लाइट अपने आप में बड़े ही अलग और अनूठे अंदाज की दिखाई देती थी. ठीक उसी तरह जैसे पुराने वक्त में विदेश में लगाई जाती थी. इन स्ट्रीट लाइटों को लगाने के बाद बनारस के लुक को बदल कर एक नए अंदाज से बिजली के बचत का भी दावा किया गया था.

बता दें कि बनारस की सारी स्ट्रीट लाइट एलईडी (street light led) की थी. पुरानी पीले रंग की स्ट्रीट लाइट को हटाकर सफेद स्ट्रीट लाइट लगाए जाने से निश्चित तौर पर बनारस की सड़कों और गलियों का एक नया रूप सामने आया. समय बीतने के साथ अब बनारस उसी पुराने ढर्रे पर वापस लौट रहा है यानी अंधेरा गलियों में, अंधेरा सड़कों पर और हर तरफ से बदहाली और अंधेरे का साम्राज्य.

वाराणसी स्मार्ट शहर में करोड़ों की हेरीटेज लाइट्स बन गई हैं विज्ञापन का जरिया

ईटीवी भारत ने ऐसे तमाम हेरिटेज पोल्स की पड़ताल की है जो करोड़ों रुपए खर्च करके लगाए गए इन हेरिटेज पोल्स का आज कोई पुरसाहाल नहीं है. इसकी वजह से इनका होना ना होना सब बराबर है. हालात यह है कि खराब पड़ी इन स्ट्रीट लाइट्स पर सिर्फ विज्ञापन टांगने के लिए होर्डिंग्स बैनर लगाने का काम हो रहा है.

दरअसल, शहरी विकास मंत्रालय (Ministry of Urban Development) की तरफ से बनारस के स्मार्ट सिटी लुक के लिए हर रोज कुछ ना कुछ प्रयास किए जा रहे हैं. कभी बनारस के पुराने इलाके के मकानों को एक रंग में रंगा जा रहा है तो कभी इस क्षेत्र में पढ़ने वाली दुकानों के बोर्ड को भी एक तरह का बनाया जा रहा है. पुरानी पीले रंग की मरकरी वाली स्ट्रीट लाइट की जगह सफेद एलईडी वाले स्ट्रीट लाइट लगाकर बनारस में अंधेरे के साम्राज्य को दूर करते हुए बिजली की बचत कर एक नए अंदाज में बनारस को पेश करने का काम 2008 में किया गया था. लगभग 7000 से ज्यादा हेरिटेज लाइट लगाकर 20 करोड़ की लागत से हेरीटेज स्थल गलियों, घाटों और मुख्य सड़कों को रोशन करने का काम किया गया था.


सबसे बड़ी बात यह है कि इस कार्य को पूरा करने के बाद एक कार्यदाई संस्था नियुक्त कर इसके देखरेख की जिम्मेदारी भी दी गई थी. 3 साल का कार्यकाल पूरे होने के बाद इस एजेंसी को हटाया गया और नई एजेंसियां शामिल हुई लेकिन नई एजेंसी कहीं ना कहीं से काम में लापरवाही कर रही है. इसकी वजह से अब इन पोल्स की हालत खराब हो रही है. कई इलाकों में इन पोल पर लाइट नहीं जलती और कई जगह से तो यह लाइटिंग गायब ही हो चुकी हैं. गलियों के पोल्स पर लगाई गई लाइटों में अधिकांश जगह चोरों के हत्थे चढ़ गई है. पोल्स पर सिर्फ तार ही दिखाई दे रहे हैं. लगभग 50% लाइटें खराब हैं. इनको ठीक करने के लिए कोई जिम्मेदार आगे ही नहीं आ रहा है.


मुख्य तौर पर रथयात्रा से लक्सा, गोदौलिया से चौक, मणिकर्णिका घाट, हरिश्चंद्र घाट, नई सड़क, बेनियाबाग, पियरी, कबीर चौरा और नगर निगम के बाहर इन लाइटों को लगाया गया था. सबसे बड़ी बात यह है कि नगर निगम के बाहर लगी लाइट महीनों से खराब हैं. नगर निगम के मुख्य द्वार के बाहर लगी लाइटों के खराब होने के बाद भी नगर निगम सही नहीं कर पा रहा तो बाकी शहर का क्या हाल होगा.

हालांकि जब इस बारे में नगर आयुक्त प्रणय सिंह (Municipal Commissioner Pranay Singh) से बातचीत की गई तो उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि कार्यदाई संस्था अपना कार्य ठीक से नहीं कर रही है. नगर निगम में आलोक विभाग को जिम्मेदारी दी है. आलोक विभाग अपने स्तर पर सर्वे करवाकर इन लाइटों को ठीक करने का काम करेगा. इसके अलावा इसकी देखरेख भी प्रॉपर तरीके से की जाएगी. इसका असर भी आने वाले दिनों में दिखाई देने लगेगा.

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नगर आयुक्त का कहना है कि समय-समय पर इस पर लगाए गए होर्डिंग्स व बैनर हटा दिए जाते हैं. जो नहीं मानते उन पर कार्यवाही भी की जाती है. वहीं स्थानीय लोग भी नगर निगम के क्रियाकलाप से बेहद मायूस हैं. उनका कहना है इतने पैसे खर्च कर लगाई गई लाइट खराब पड़ी हुई है जिसका फायदा क्या है? इसलिए जरूरी है कि इनको ठीक करवाया जाए ताकि जिस उद्देश्य से बनारस को हेरिटेज जोन बनाने का काम किया गया है, वह पूरा किया जा सके.

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Last Updated : Sep 9, 2022, 7:54 PM IST
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