वाराणसीः आपने बकरी के दूध के बारे में सुना होगा, जो बीमारी में अक्सर इम्यून को स्ट्रांग करता है. डेंगू के समय इसकी खास डिमांड भी देखी जाती है. बाजार में यह 1,000 रुपये लीटर तक बिकता है. वहीं, इसके अन्य उपयोग भी होते हैं, जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं. आज हम आपको बकरी के दूध से बने साबुन के बारे में बताने जा रहे हैं, जो सेहत के साथ लोगों के सुंदरता का भी खासा ख्याल रखता है.
दरअसल, इस खास बकरी के साबुन को देवभूमि उतराखण्ड से महिलाएं काशी लेकर आई हैं. बता दें कि वाराणसी के ग्रामोद्योग परिसर में इन दिनों खादी मेले का आयोजन किया गया है. खादी मेले में उत्तराखंड का स्टॉल आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस स्टॉल पर अलग-अलग हर्बल के साथ-साथ बकरी के दूध से बने उत्पाद को सजाया गया है.
बेटी को इस काम के लिए किया प्रेरित
इस बारे में विक्रेता श्वेता आशुदानी ने कहा कि 'नरेंद्र नगर से हम वाराणसी आए हैं. विश्वनाथ जी की भूमि में बद्री विशाल का अपना संदेश लेकर. महादेव हर जगह विद्यमान हैं. हमारी बेटी शुद्धता जो कि 23 साल की है. हमने उसे अपना खुद का कुछ काम करने को प्रेरित किया'. उन्होंने कहा कि 'जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी, गांधी जी के विचारों को खादी से जोड़कर आगे ले जा रहे हैं कि कोई कैसे खादी से जुड़कर स्टार्टअप शुरू कर सकता है. कैसे खादी इसमें मदद कर सकता है. हम उस यूनिट को लेकर आए हैं'.
बकरी के दूध का साबुन स्किन को रखता है साफ
उन्होनें बताया कि 'गांधीजी हमेशा कहते रह गए बकरी का दूध पीना स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है. जिस तरह से बकरी का दूध स्वास्थ्य में इजाफा करता है. उसी तरह से अगर आप बकरी के दूध से बना साबुन अपने चेहरे पर लगाते हैं तो यह नेचुरली आपको मॉइश्चराइज करता है. इसके बाद आपको किसी मॉइश्चराइजर की जरूरत नहीं पड़ेगी. इसकी कीमत महज 80 से 150 रुपये है'.
केमिकल फ्री दुनिया की तरफ बढ़ रहे कदम
उन्होंने बताया कि 'हमारा जो शुद्धता का मंत्र यही है कि जो आप खा सकते हो आप लगा सकते हो. केमिकल फ्री दुनिया की तरफ हमारे कदम बढ़ रहे हैं. विदेशी जो केमिकल हमें साबुन और बाकी चीजें दे गए हैं और हमारी संस्कृति जो हम भूल गए हैं. उसी को वापस लाना है'.
14 से 15 महिलाएं इस व्यवसाय से जुड़ी हुई हैं
श्वेता आशुदानी ने बताया कि 'हमारे साथ करीब 14 से 15 महिलाएं हैं, क्योंकि हमारा गांव है. अगर आप उत्तराखंड के गांव देखें तो वहां पर जो सबसे ज्यादा मेहनती हैं और सबसे ज्यादा काम करने वाले लोग हैं, वे महिलाएं ही हैं. एक महिला ने इसे शुरू किया है तो जाहिर सी बात है हमें महिलाओं को रोजगार देना चाहिए. उसी गति में शुद्धता आगे बढ़ रही है. देवभूमि हर्बल्स का भंडार है. पूरे भारत का जो हर्बल्स का उत्पाद भंडार है, उसका बेस आपको उत्तराखंड में मिलेगा'.
पहली बार लोगों ने सुना बकरी के दूध का साबुन
स्टॉल पर प्रोडक्ट खरीदने आ रही महिलाओं ने कहा कि बाकी प्रोडक्ट के बारे में तो जानते थे. बकरी के दूध का साबुन हमने पहली बार सुना है. यह वाकई बेहतरीन प्रयास है. वहीं, एक छात्रा ने कहा कि हमने डेंगू में बकरी का दूध पीया है, लेकिन ऐसा पहली बार सुना है कि बकरी के दूध का साबुन भी बनता है. बकरी के दूध का हर्बल प्रोडक्ट भी बनता है. यह बहुत ही अच्छी पहल है.
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