वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी का तहखाना जिलाधिकारी को सौंपने को दाखिल वाद को सुनवाई के लिए जिला जज की अदालत में स्थानांतरित करने के प्रार्थना पत्र पर बुधवार को सुनवाई हुई. अदालत ने दोनों पक्ष की दलील सुनने के बाद एक अन्य पक्षकार काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी की है. इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 29 सितंबर की तिथि तय की गई है.
26 सितंबर को वादी शैलेन्द्र कुमार व्यास की ओर से दाखिल वाद के ट्रांसफर सबंधित अर्जी पर भी सुनवाई हुई. वादी की ओर से कहा गया कि व्यासजी का तहखाना वर्षों से व्यासजी के परिवार के कब्जे में रहा है. वर्ष 1993 के पूर्व पूजा पाठ, राग भोग होता रहा चला आ रहा था. वर्ष 1993 के बाद इस तहखाने को प्रदेश सरकार के आदेश से बैरिकेडिंग कर घेर दिया गया.
उन लोगो को पूजा पाठ से वंचित कर दिया गया. वर्तमान में नंदी जी के सामने स्थित इस तहखाने का दरवाजा खुला हुआ है. उस जगह वादी को और उनके परिवार को जाने से रोका जाता रहा है. वादी ने आरोप लगाया कि इन परिस्थितियों में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद उक्त तहखाने के कब्जा कर आदि सबंधित वाद लोअर कोर्ट में लंबित है. इस वाद को जिला जज अपने स्वयं को कोर्ट में ट्रांसफर करने के अनुरोध किया गया.
इसके प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष की ओर से अधिवक्ता मुमताज अहमद ने विरोध किया कहा कि ज्ञानवापी के जितने भी मुकदमे अदालतों में चल रहे हैं सभी में संपत्ति आराजी संख्या 9130 (ज्ञानवापी परिसर) का जिक्र है. यहां मौजूद इमारत के नीचे ही तहखाना मौजूद है इसलिए वादी का यह कहना कि किसी भी मुकदमे में तहखाना पर अधिकार के बारे में कोई मुकदमा नहीं है सरासर गलत है, जो भी वादी की ओर से ट्रांसफर अर्जी दी गई है.
सुनवाई योग्य नहीं है, जो मुकदमा लोअर कोर्ट में दाखिल किया गया है. उसी कोर्ट से सबंधित ट्रांसफर की मांग की जा सकती है ना की अपीलीय न्यायालय की कोर्ट में सुनवाई के लिए मांग की जा सकती है. जिसे की पीड़ित पक्ष की अपील और रिवीजन दाखिल करने की अधिकार समाप्त हो जायेगी, जो विधिक के अनुसार नही है. राखी सिंह प्रकरण वाली अर्जी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सुनवाई हो रही है. इस लिए इस वाद पर लागू नहीं होगा. वादी की ट्रांसफर अर्जी खारिज करने की गुहार लगाई है.
वहीं, जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में विचाराधीन ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी प्रकरण में बुधवार को भी चार वादिनी महिलाओं की अर्जी व एएसआई सर्वे रोकने के प्रार्थना पत्रों पर आदेश नहीं आया. अंदेशा जताया जा रहा है कि इस मामले में गुरुवार को आदेश आ सकता है. वादिनी संख्या 2 से पांच की ओर से बीते 8 मार्च को ज्ञानवापी परिसर में मिले साक्ष्यों को सरंक्षित करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट को आदेश दिए जाने की मांग करने वाली अर्जी जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट में दाखिल की थी जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने इस मामले में मुस्लिम पक्ष से आपत्ति मांगी थी.
इसके बाद मुस्लिम पक्ष की ओर से इस मामले में कोर्ट में अपनी आपत्ति दाखिल कर दी गई. इसी मामले में बीते 21 सितम्बर को दोनों पक्षों की ओर से अपना-अपना बहस पूरा किया गया. दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद अदालत ने इस प्रार्थना पत्र पर आदेश के लिए 26 सितम्बर की तिथि नियत कर दी थी, लेकिन अभी इस मामले में अदालत ने अपना आदेश नहीं सुनाया है.
वहीं दूसरी ओर इसी मामले में विपक्षी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से सर्वे रोकने के लिए लिए दिए गए आवेदन पर भी सुनवाई पूरी हो चुकी है. अदालत ने दोनों पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद इस प्रार्थना पत्र पर भी आदेश के लिए 26 सितम्बर की तिथि नियत कर दी थी.
वहीं, श्रृंगार गौरी प्रकरण की वादिनी संख्या एक राखी सिंह की ओर से दिए गए आवेदन पर बृहस्पतिवार को जिला जज की अदालत में सुनवाई होनी है. इस मामले में पिछली तिथि को सुनवाई के दौरान प्रतिवादी पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ताओं की ओर से कॉपी उपलब्ध कराने का अदालत से अनुरोध किया. जिस पर जिला जज ने वादिनी पक्ष के अधिवक्ताओं मान बहादुर सिंह व अनुपम द्विवेदी को मुस्लिम पक्ष को कॉपी उपलब्ध कराने का निर्देश देते हुए सुनवाई के लिए 28 सितम्बर की तिथि नियत कर दी थी.