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ज्ञानवापी मामले में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को पक्षकार बनाएं जाने की सुनवाई - पक्षकार बनाएं जाने की सुनवाई

वाराणसी में ज्ञानवापी मंदिर- मस्जिद मामले में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को वाद पक्षकार बनाए जाने को लेकर मामले में सुनवाई जारी रही. सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में गुरुवार को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के अधिवक्ता चंद्रशेखर सेठ और स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी के बीच बहस जारी रही.

varanasi
सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट
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Published : Mar 4, 2021, 10:56 PM IST

वाराणसीः ज्ञानवापी मंदिर- मस्जिद मामले में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को वाद पक्षकार बनाए जाने को लेकर मामले में सुनवाई जारी रही. सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में गुरुवार को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के अधिवक्ता चंद्रशेखर सेठ और स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी के बीच बहस जारी रही. ये बहस 6 मार्च को 10 बजकर 30 मिनट पर फिर से शुरू होगी.

पक्षकार बनाए जाने को लेकर सुनवाई

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने दिया प्रार्थना पत्र
इस संबंध में बात करते हुए स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट) में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की तरफ से पक्षकार बनाएं जाने के लिए प्रार्थना पत्र वाद संख्या 610 सन 1991 में प्रस्तुत की गई थी. उस पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के अधिवक्ता चंद्रशेखर सेठ की बहस एक घंटे हुई. फिर उनके तरफ से करीब डेढ़ घण्टे तक जवाब दिया गया. विभिन्न कानूनी पहलुओं और उच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय के दिशा निर्देशों को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया.

न्यायालय के समक्ष जारी रहेगी बहस
विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि कोर्ट के समक्ष ये कहा गया कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की ओर से गलत प्रार्थना पत्र दे कर ये कहा है कि रामजन्मभूमि आयोध्या मामले में ये केस में पक्षकार थे. उन्होंने उच्चतम न्यायालय द्वारा रामजन्मभूमि के केस में जो निर्णय पारित किया गया था. उसको न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया और कहा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा प्रार्थना पत्र में गलत लिखा गया है. उन्होंने कहा कि अयोध्या केस में इनका मात्र एक छोटा सा बयान हुआ था. प्रतिवादी संख्या 20/2 के रूप में और ये सारी बातों व अनेक दृष्टान्तों को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया. डेढ़ घंटे की बहस के बाद माननीय न्यायालय के पास समय शेष नहीं था. इसलिये दोबारा 6 मार्च को 10 बजकर 30 मिनट की तिथि और समय निर्धारित की गई है.

वाराणसीः ज्ञानवापी मंदिर- मस्जिद मामले में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को वाद पक्षकार बनाए जाने को लेकर मामले में सुनवाई जारी रही. सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में गुरुवार को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के अधिवक्ता चंद्रशेखर सेठ और स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी के बीच बहस जारी रही. ये बहस 6 मार्च को 10 बजकर 30 मिनट पर फिर से शुरू होगी.

पक्षकार बनाए जाने को लेकर सुनवाई

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने दिया प्रार्थना पत्र
इस संबंध में बात करते हुए स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट) में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की तरफ से पक्षकार बनाएं जाने के लिए प्रार्थना पत्र वाद संख्या 610 सन 1991 में प्रस्तुत की गई थी. उस पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के अधिवक्ता चंद्रशेखर सेठ की बहस एक घंटे हुई. फिर उनके तरफ से करीब डेढ़ घण्टे तक जवाब दिया गया. विभिन्न कानूनी पहलुओं और उच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय के दिशा निर्देशों को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया.

न्यायालय के समक्ष जारी रहेगी बहस
विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि कोर्ट के समक्ष ये कहा गया कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की ओर से गलत प्रार्थना पत्र दे कर ये कहा है कि रामजन्मभूमि आयोध्या मामले में ये केस में पक्षकार थे. उन्होंने उच्चतम न्यायालय द्वारा रामजन्मभूमि के केस में जो निर्णय पारित किया गया था. उसको न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया और कहा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा प्रार्थना पत्र में गलत लिखा गया है. उन्होंने कहा कि अयोध्या केस में इनका मात्र एक छोटा सा बयान हुआ था. प्रतिवादी संख्या 20/2 के रूप में और ये सारी बातों व अनेक दृष्टान्तों को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया. डेढ़ घंटे की बहस के बाद माननीय न्यायालय के पास समय शेष नहीं था. इसलिये दोबारा 6 मार्च को 10 बजकर 30 मिनट की तिथि और समय निर्धारित की गई है.

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