ETV Bharat / state

ज्ञानवापी मामले में इंतजामिया कमेटी की याचिका पर HC में सुनवाई जारी

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी व अन्य मंदिरों में नियमित पूजा के अधिकार को लेकर सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी.

Etv Bharat
ज्ञानवापी मामला
author img

By

Published : Nov 29, 2022, 10:28 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी व अन्य मंदिरों में नियमित पूजा के अधिकार को लेकर मंगलवार को सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. इसलिए इस मामले की सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी. बुधवार को हिन्दू पक्ष कि ओर से कार्बन डेटिंग को लेकर दाखिल याचिका कि भी सुनवाई होगी.

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की पुनरीक्षण याचिका पर न्यायमूर्ति जेजे मुनीर सुनवाई कर रहे हैं. मंगलवार को याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने बहस की थी. वरिष्ठ अधिवक्ता नकवी का कहना है कि वाद का कारण 1990, 1993 व 21 अप्रैल 2021 को उत्पन्न होना बताया गया है, जो स्वयं में स्पष्ट नहीं है. दीवानी मुकदमा पूजा के अधिकार को लेकर दाखिल किया गया है. किसी लिखित आदेश नहीं बल्कि मौखिक आदेश से सरकार द्वारा पूजा के अधिकार से वंचित करने को लेकर वाद किया गया है. उनका कहना है कि काल्पनिक मंदिर में पूजा की इजाजत मांगी गई है. ऐसी मूर्ति की पूजा की मांग की गई है जो अदृश्य है. यदि यह मांग मान ली गई तो धार्मिक स्थल का स्वरूप बदल जायेगा. परोक्ष रूप से यह 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के विपरीत होगा. कोर्ट कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट में मस्जिद ढांचे की दीवार पर श्रृंगार गौरी की पूजा का जिक्र किया है. 1990 में पूजा को लेकर कोई नहीं बोला. 18 केस दाखिल हुए हैं. दीवानी मुकदमे की मांग बिना दूसरे को हटाए पूरी नहीं की जा सकती. सवाल उठा कि मंदिर व मस्जिद का विवाद है जो बिना साक्ष्य के तय नहीं किया जा सकता.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी व अन्य मंदिरों में नियमित पूजा के अधिकार को लेकर मंगलवार को सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. इसलिए इस मामले की सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी. बुधवार को हिन्दू पक्ष कि ओर से कार्बन डेटिंग को लेकर दाखिल याचिका कि भी सुनवाई होगी.

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की पुनरीक्षण याचिका पर न्यायमूर्ति जेजे मुनीर सुनवाई कर रहे हैं. मंगलवार को याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने बहस की थी. वरिष्ठ अधिवक्ता नकवी का कहना है कि वाद का कारण 1990, 1993 व 21 अप्रैल 2021 को उत्पन्न होना बताया गया है, जो स्वयं में स्पष्ट नहीं है. दीवानी मुकदमा पूजा के अधिकार को लेकर दाखिल किया गया है. किसी लिखित आदेश नहीं बल्कि मौखिक आदेश से सरकार द्वारा पूजा के अधिकार से वंचित करने को लेकर वाद किया गया है. उनका कहना है कि काल्पनिक मंदिर में पूजा की इजाजत मांगी गई है. ऐसी मूर्ति की पूजा की मांग की गई है जो अदृश्य है. यदि यह मांग मान ली गई तो धार्मिक स्थल का स्वरूप बदल जायेगा. परोक्ष रूप से यह 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के विपरीत होगा. कोर्ट कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट में मस्जिद ढांचे की दीवार पर श्रृंगार गौरी की पूजा का जिक्र किया है. 1990 में पूजा को लेकर कोई नहीं बोला. 18 केस दाखिल हुए हैं. दीवानी मुकदमे की मांग बिना दूसरे को हटाए पूरी नहीं की जा सकती. सवाल उठा कि मंदिर व मस्जिद का विवाद है जो बिना साक्ष्य के तय नहीं किया जा सकता.

इसे भी पढ़ें-ज्ञानवापी का ASI सर्वे कराने पर हाईकोर्ट ने सुरक्षित किया फैसला

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.