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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को वाद पक्षकार बनाए जाने पर सुनवाई टली

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया कि ज्ञानवापी मंदिर मस्जिद मामले के वाद में उन्हें बतौर वाद पक्षकार बना लिया जाए. इस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पक्षकारों से आपत्ति आहूत की थी. कोर्ट ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के प्रार्थना पत्र पर आपत्ति की अगली सुनवाई के लिए 26 की तारीख दी है.

ज्ञानवापी मस्जिद की सुनवाई.
ज्ञानवापी मस्जिद की सुनवाई.
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Published : Feb 11, 2021, 7:46 PM IST

Updated : Feb 11, 2021, 7:58 PM IST

वाराणसीः ज्ञानवापी मंदिर-मस्जिद मामले में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को वाद पक्षकार बनाएं जाने की सुनवाई टल गई है. सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक कोर्ट) आशुतोष तिवारी ने अगली सुनवाई के लिए 26 फरवरी की तारीख मुकर्रर की है. बता दें कि ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा पाठ करने का अधिकार देने को लेकर साल 1991 में मुकदमा दायर किया गया था.

इस संबंध में बात करते हुए स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि न्यायालय सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट) में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को मामले में वाद पक्षकार बनाएं जाने को लेकर दोनों पक्षो की तरफ से आपत्ति दाखिल के लिए 11 फरवरी की तारीख दी थी. इस पर कोर्ट ने सुनवाई के लिए अगली तिथि 26 फरवरी की दी है.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने दायर की है याचिका

इसी बीच स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जो स्वामी जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य हैं. उन्होंने न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया कि ज्ञानवापी मंदिर मस्जिद मामले के वाद में उन्हें बतौर वाद पक्षकार बना लिया जाए. जबकि विजय शंकर रस्तोगी इस वाद में स्वयंभू विश्वेश्वर का न्यायालय की तरफ से पूर्व में ही नियुक्त किया गया है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने प्रार्थना पत्र दिया है, इस पर कोर्ट ने पक्षकारों से आपत्ति आहूत की थी. 11 फरवरी को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ की तरफ से स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को वाद पक्षकार बनाए जाने पर आपत्ति दाखिल करने के लिए कोर्ट से समय मांगा गया है. इस पर कोर्ट ने बहस को सुनते हुए अगली तारीख 26 फरवरी की मुकर्रर की है.

वाराणसीः ज्ञानवापी मंदिर-मस्जिद मामले में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को वाद पक्षकार बनाएं जाने की सुनवाई टल गई है. सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक कोर्ट) आशुतोष तिवारी ने अगली सुनवाई के लिए 26 फरवरी की तारीख मुकर्रर की है. बता दें कि ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा पाठ करने का अधिकार देने को लेकर साल 1991 में मुकदमा दायर किया गया था.

इस संबंध में बात करते हुए स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि न्यायालय सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट) में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को मामले में वाद पक्षकार बनाएं जाने को लेकर दोनों पक्षो की तरफ से आपत्ति दाखिल के लिए 11 फरवरी की तारीख दी थी. इस पर कोर्ट ने सुनवाई के लिए अगली तिथि 26 फरवरी की दी है.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने दायर की है याचिका

इसी बीच स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जो स्वामी जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य हैं. उन्होंने न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया कि ज्ञानवापी मंदिर मस्जिद मामले के वाद में उन्हें बतौर वाद पक्षकार बना लिया जाए. जबकि विजय शंकर रस्तोगी इस वाद में स्वयंभू विश्वेश्वर का न्यायालय की तरफ से पूर्व में ही नियुक्त किया गया है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने प्रार्थना पत्र दिया है, इस पर कोर्ट ने पक्षकारों से आपत्ति आहूत की थी. 11 फरवरी को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ की तरफ से स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को वाद पक्षकार बनाए जाने पर आपत्ति दाखिल करने के लिए कोर्ट से समय मांगा गया है. इस पर कोर्ट ने बहस को सुनते हुए अगली तारीख 26 फरवरी की मुकर्रर की है.

Last Updated : Feb 11, 2021, 7:58 PM IST
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