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ज्ञानवापी परिसर की न्यायिक लड़ाई लड़ने वाले हरिहर पांडेय का निधन, 33 साल पहले डाली थी पहली याचिका - Harihar Pandey Passes Away

Harihar Pandey Passes Away : हरिहर पांडेय ही वह शख्स हैं, जिन्होंने 1991 में ज्ञानवापी से मस्जिद को हटाकर उस स्थान पर मंदिर निर्माण के लिए सिविल कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया था. इसमें उनके साथ सोमनाथ विकास और संपूर्णानंद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रहे रामरंग शर्मा भई शामिल थे.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 10, 2023, 2:08 PM IST

वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर के पुराने मुकदमे के मुख्य वादी हरिहर पांडेय का वाराणसी में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. वे 77 वर्ष के थे. काफी लंबे वक्त से उनका इलाज चल रहा था और हाल ही में उन्हें काशी हिंदू विश्वविद्यालय के साथ सुंदरलाल अस्पताल में एडमिट करवाया गया था. जहां देर शनिवार की देर रात उनका निधन हो गया.

हरिहर पांडेय ही वह शख्स हैं, जिन्होंने 1991 में ज्ञानवापी से मस्जिद को हटाकर उस स्थान पर मंदिर निर्माण के लिए सिविल कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया था. इसमें उनके साथ सोमनाथ विकास और संपूर्णानंद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रहे रामरंग शर्मा भई शामिल थे. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अदालत में मुकदमा होने के कुछ साल बाद पंडित सोमनाथ विकास और रामरंग शर्मा का निधन हो गया था. जिसके बाद हरिहर पांडेय ही इकलौते पक्षकार बचे थे.

हरिहर पांडेय 33 साल से लड़ रहे थे ज्ञानवापी का केसः अदालत में हरिहर पांडेय 33 साल से ज्ञानवापी का केस लड़ रहे थे. वाराणसी के औरंगाबाद क्षेत्र के रहने वाले हरिहर पांडेय की किडनी में समस्या के बाद उनका इलाज जारी था. उनके बेटे प्रणय पांडे ज्ञानवापी के इस पूरे केस को लीगल तौर पर देख रहे थे. ज्ञानवापी में आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के सर्वे के आदेश के बाद हरिहर पांडेय बेहद खुश हुए थे, क्योंकि वह लंबे वक्त से इस लड़ाई को लड़ रहे थे और सर्वे के लिए भी प्रयासरत थे.

ASI सर्वे की रिपोर्ट अपनी आंखों ने नहीं देख पाए हरिहर पांडेयः उन्हें यह पूरी उम्मीद थी कि इस बार आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट पेश होने के बाद उनका सपना पूरा हो पाएगा, लेकिन सोमवार को दाखिल होने वाली रिपोर्ट से पहले ही हरिहर पांडेय दुनिया से विदा हो गए और उनकी यह इच्छा अधूरी रह गई कि वह रिपोर्ट दाखिल होने के बाद तथ्यों को अपने सामने देख सकें. ज्ञानवापी परिसर में मस्जिद हटाने की मांग को लेकर हरिहर पांडेय ने सोमनाथ विकास और रामरंग शर्मा के साथ मिलकर पहला मुकदमा दाखिल किया था.

हरिहर पांडेय ने याचिका में औरंगजेब पर लगाए थे आरोपः मुकदमे में मुगल बादशाह औरंगजेब पर आरोप लगाते हुए यह बात कही गई थी कि मस्जिद मंदिर तोड़कर बनाई गई थी. याचिका में विभाजित जगह हिंदुओं को सौंपे जाने की मांग भी की गई थी, जिसके बाद यह मामला चर्चा में आया था. फिलहाल ज्ञानवापी केस को लेकर कोर्ट में लंबे वक्त से न्यायिक लड़ाई लड़ रहे हरिहर पांडेय को 2021 में फोन पर जान से मारने की धमकी मिली थी. इसके बाद उनकी सुरक्षा भी बढ़ाई गई थी.

ये भी पढ़ेंः ज्ञानवापी सर्वे : बार-बार समय मांगने पर कोर्ट नाराज, एएसआई के वकील से कहा- अंडरटेकिंग दीजिए, कब सबमिट होगी रिपोर्ट

वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर के पुराने मुकदमे के मुख्य वादी हरिहर पांडेय का वाराणसी में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. वे 77 वर्ष के थे. काफी लंबे वक्त से उनका इलाज चल रहा था और हाल ही में उन्हें काशी हिंदू विश्वविद्यालय के साथ सुंदरलाल अस्पताल में एडमिट करवाया गया था. जहां देर शनिवार की देर रात उनका निधन हो गया.

हरिहर पांडेय ही वह शख्स हैं, जिन्होंने 1991 में ज्ञानवापी से मस्जिद को हटाकर उस स्थान पर मंदिर निर्माण के लिए सिविल कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया था. इसमें उनके साथ सोमनाथ विकास और संपूर्णानंद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रहे रामरंग शर्मा भई शामिल थे. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अदालत में मुकदमा होने के कुछ साल बाद पंडित सोमनाथ विकास और रामरंग शर्मा का निधन हो गया था. जिसके बाद हरिहर पांडेय ही इकलौते पक्षकार बचे थे.

हरिहर पांडेय 33 साल से लड़ रहे थे ज्ञानवापी का केसः अदालत में हरिहर पांडेय 33 साल से ज्ञानवापी का केस लड़ रहे थे. वाराणसी के औरंगाबाद क्षेत्र के रहने वाले हरिहर पांडेय की किडनी में समस्या के बाद उनका इलाज जारी था. उनके बेटे प्रणय पांडे ज्ञानवापी के इस पूरे केस को लीगल तौर पर देख रहे थे. ज्ञानवापी में आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के सर्वे के आदेश के बाद हरिहर पांडेय बेहद खुश हुए थे, क्योंकि वह लंबे वक्त से इस लड़ाई को लड़ रहे थे और सर्वे के लिए भी प्रयासरत थे.

ASI सर्वे की रिपोर्ट अपनी आंखों ने नहीं देख पाए हरिहर पांडेयः उन्हें यह पूरी उम्मीद थी कि इस बार आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट पेश होने के बाद उनका सपना पूरा हो पाएगा, लेकिन सोमवार को दाखिल होने वाली रिपोर्ट से पहले ही हरिहर पांडेय दुनिया से विदा हो गए और उनकी यह इच्छा अधूरी रह गई कि वह रिपोर्ट दाखिल होने के बाद तथ्यों को अपने सामने देख सकें. ज्ञानवापी परिसर में मस्जिद हटाने की मांग को लेकर हरिहर पांडेय ने सोमनाथ विकास और रामरंग शर्मा के साथ मिलकर पहला मुकदमा दाखिल किया था.

हरिहर पांडेय ने याचिका में औरंगजेब पर लगाए थे आरोपः मुकदमे में मुगल बादशाह औरंगजेब पर आरोप लगाते हुए यह बात कही गई थी कि मस्जिद मंदिर तोड़कर बनाई गई थी. याचिका में विभाजित जगह हिंदुओं को सौंपे जाने की मांग भी की गई थी, जिसके बाद यह मामला चर्चा में आया था. फिलहाल ज्ञानवापी केस को लेकर कोर्ट में लंबे वक्त से न्यायिक लड़ाई लड़ रहे हरिहर पांडेय को 2021 में फोन पर जान से मारने की धमकी मिली थी. इसके बाद उनकी सुरक्षा भी बढ़ाई गई थी.

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