वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में पिछले वर्ष हुए कमीशन की कार्यवाही के दौरान वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग को फव्वारा कहे जाने के मामले में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ हेट स्पीच को लेकर सोमवार को सुनवाई हुई. पिछली सुनवाई में अखिलेश यादव की तरफ से उनके वकील अनुज यादव ने इस पूरे मामले को गलत बताते हुए इसे लोअर कोर्ट की तरफ से खारिज किए जाने को सही मानते हुए अपर कोर्ट में भी खारिज किए जाने के अपील की थी. वहीं, आज ओवैसी की तरफ से उनके वकील ने भी आपत्ति दाखिल करते हुए अपना जवाब दाखिल किया. इसमें यह मांग की गई है कि यह मामला चलने योग्य नहीं है. इसलिए, इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए.
दरअसल, ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और एआईएमआईएम अध्यक्ष ओवैसी सहित उनके भाई और अंजुमन इंतजामियां कमेटी के पदाधिकारी सहित लगभग डेढ़ हजार लोगों पर हेट स्पीच मामले में 156 (3) के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी. इसे लोअर कोर्ट ने खारिज कर दिया था. बाद में इसे अपर जिला जज की अदालत में निगरानी के रूप में पुनः दाखिल किया गया, जिस पर सुनवाई की जा रही है.
इस मामले को दाखिल करने वाले सीनियर एडवोकेट हरिशंकर पांडेय ने बताया कि आज इस मामले में ओवैसी की तरफ से अपना जवाब दाखिल किया गया है. इसमें उनके वकील ने इस पूरे प्रकरण को फर्जी बताते हुए इसे खारिज करने की मांग की. वहीं, इसके पहले अखिलेश यादव के वकील ने भी इस मामले को खारिज करने के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था और अपनी तरफ से जवाब दाखिल किया था. कोर्ट ने इस मामले में अब 29 नवंबर को सुनवाई के लिए अगली तारीख निर्धारित की है.
हरिशंकर पांडेय का कहना है कि ज्ञानवापी परिसर आराध्य देव शिव का है. शिवलिंग को लेकर एआईएमआईएम के अध्यक्ष ओवैसी और अखिलेश यादव सहित कुछ अन्य नेताओं ने गलत बयानबाजी करते हुए इसे फव्वारा बताया था, जिससे हिंदू भावनाएं आहत हुई हैं. इसलिए अखिलेश, ओवैसी सहित मस्जिद कमेटी के पदाधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए. सुनवाई के बाद इस मामले को निचली अदालत ने खारिज कर दिया है और अब इस मामले की सुनवाई अपर जिला जज की अदालत में चल रही है.
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