वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर में मौजूद व्यास जी तहखाना को जिलाधिकारी के सुपुर्द किए जाने और यहां विराजमान नंदी के सामने गेट को खुलवाकर आवागमन के अलावा अन्य कार्यों के लिए अनुमति मांगते हुए व्यासजी के पौत्र की तरफ से दाखिल किए गए प्रार्थना पत्र को जिला जज ने सिविल कोर्ट से स्थानांतरित करने के आदेश पर मुहर लगा दी है. जिला जज ने रिट ट्रांसफर की याचिका पर गुरुवार को फैसला सुनाते हुए ज्ञानवापी मूल वाद के अलावा इस मामले को भी जिला जज न्यायालय में ही सुनने का आदेश दिया है. इसके बाद अब जिला अध्यक्ष कोर्ट में मूलवाद के साथ ही कुल 9 मामलों की सुनवाई अब होगी.
बता दें कि ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी के तहखाना को डीएम वाराणसी की निगरानी में सौंपने को लेकर उनके पौत्र शैलेंद्र पाठक की तरफ से एक याचिका 25 सितंबर को दी गई थी. जिसमें कहा गया था कि दादा व्यास जी का तहखाना वर्षों से व्यास जी परिवार के कब्जे में रहा है. शैलेंद्र पाठक का कहना था कि 1993 के पूर्व पूजा पाठ राज भोग का अधिकार उनके परिवार को था और वह होता चला आ रहा था. इसके बाद इस तहखाना को प्रदेश सरकार के आदेश से घेर कर उन लोगों को पूजा पाठ से वंचित कर दिया गया.
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वर्तमान में नंदी जी के सामने स्थित तहखाना का दरवाजा खुला है. उसे जगह वादी और उनके परिवार को जाने से रोका जाता है, जो सही नहीं है. अंदर के दरवाजे खिड़कियां सब जर्जर हो चुके हैं. जिसे बदलना चाहिए नहीं तो मस्जिद कमेटी इस पर भी कब्जा कर लेगी. इसलिए इसे जिलाधिकारी वाराणसी के सुपुर्द किया जाए. वादी ने अभी आरोप लगाया था कि अंजुमन इंतजामियां इस पर कब्जा कर रही है, जो उचित नहीं है. इस मामले शैलेंद्र पाठक ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में दाखिल किया था. जिसे स्थानांतरित करने के लिए जिला जज न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया गया था. जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इसे वहां से स्थानांतरित करने का आदेश देकर पत्रावली को जल्द से जल्द न्यायालय के सुप्रसिद्ध करने के लिए कहा है. इसके बाद अब सनी जिला जज के न्यायालय में ही होगी.