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अब ओडीओपी के जरिए कारीगरों को शिक्षित करेगी सरकार, आधुनिक तकनीक से जोड़कर उन्हें बनाएगी कुशल

उत्तर प्रदेश सरकार नई पहचान देने वाले कारीगरों को शिक्षित कर उनके कौशल को विकसित करने की योजना बना रही है. इस योजना के तहत कारीगरों को उनकी कला से जोड़कर और बेहतर बनाया जा सकेगा.

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एक जिला एक उत्पाद
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Published : Apr 2, 2023, 3:39 PM IST

Updated : Apr 2, 2023, 5:52 PM IST

कारीगरों को शिक्षित करेगी उत्तर प्रदेश सरकार.

वाराणसीः उत्तर प्रदेश सरकार ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) के तहत हर जिले के उत्पादों को एक नई पहचान दे रही है. वहीं, अब नई पहचान देने वाले कारीगरों व उनकी पीढ़ी को और भी बेहतर रूप से निपुण बनाया जाएगा. इसके तहत नई शिक्षा नीति के जरिए अब सरकार उत्पाद से जुड़े हुए कारीगरों को शिक्षित कर उनके कौशल को विकसित करने की योजना बना रही है, जिसके तहत उन्हें बेहतर रूप से आधुनिक तकनीकी से जोड़कर उनकी कला को और ज्यादा बेहतर बनाया जा सके.

बता दें कि इसको लेकर के अब स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम भी संचालित किए जाएंगे, जिससे कारीगरों को तकनीकी शिक्षा से भी जोड़ा जाएगा. इसका उद्वेश्य जिले में तैयार होने वाले उत्पादों को न सिर्फ एक नया आयाम देना है, बल्कि उनके लिए बेहतर मार्केट उपलब्ध कराना है. साथ ही शिल्पियों के जीवन को सुगम बनाना है, जिससे वह आर्थिक तंगी से इस कला से पीछा न छुड़ाएं, बल्कि इस कला में अपना भविष्य देखकर जिले और प्रदेश को विकास के मार्ग पर ले कर के चले.

ओडीओपी के कारीगरों को शिक्षित करेगी सरकार
इस बारे में मुख्यमंत्री के शिक्षा सलाहकार डॉ. डीपी सिंह ने बताया कि 'एक जिला एक उत्पाद' उत्तर प्रदेश की एक अनुकरणीय पहल है, जिसे सराहा गया है. हम जब इसके विस्तारीकरण को देखते हैं तो इसे और भी ज्यादा कौशल व तकनीकी के क्षेत्र में विस्तार देने की जरूरत समझ आती है. इसी क्रम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हम इससे जुड़े हुए लोगों के कौशल को बेहतर बनाकर उन्हें तकनीकी से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे उन्हें इस काम में और भी ज्यादा कुशल बनाया जा सके. उन्होंने बताया कि, सरकार अपने इस नई पहल से अब इन शिल्पियों को शिक्षा कौशल और तकनीक के क्षेत्र में और ज्यादा निपुण बनाएगी.

जिले के उत्पाद के अनुसार बनाए जाएंगे पाठ्यक्रम
आगे डॉक्टर सिंह ने बताया कि कारीगरों के कौशल को और ज्यादा निखारने के लिए सरकार अब जिले की उत्पादों के अनुसार पाठ्यक्रम संचालित करने की योजना बना रही है, जिससे जिले और प्रदेश दोनों का विकास हो सके. उन्होंने बताया कि इस पाठ्यक्रम में कौशल विकास और तकनीकी का समावेश होगा, जिससे शिल्पियों की कार्य गुणवत्ता को और ज्यादा बेहतर बनाया जा सके.

उनके लिए एक अच्छा मार्केट उपलब्ध कराया जा सके, जिससे उनका जीवन यापन बेहतर हो सके. उन्होंने कहा कि इसके लिए आईआईटी और पॉलिटेक्निक क्षेत्रों को भी बढ़ाया जा रहा है. इसके तहत स्कूल में भी नई शिक्षा नीति के तहत कौशल विकास के पाठ्यक्रम को शुरू करने की कोशिश की जा रही है.

ये है बनारस के ओडीओपी प्रोडक्ट
गौरतलब है कि वाराणसी के 3 उत्पादों को ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) के श्रेणी में शामिल किया गया है, जिसमें बनारसी रेशम की साड़ी, लकड़ी का खिलौना और गुलाबी मीनाकारी है. यदि इनके कारोबार की बात करें तो बनारसी साड़ी का कारोबार लगभग 1,000 करोड़ का, लकड़ी के खिलौने का 40 करोड़ व गुलाबी मीनाकारी का 5 करोड़ का सालाना कारोबार है. वहीं, इसमें कार्यरत कारीगरों की बात करें तो जहां बनारसी साड़ी में लगभग लाख बुनकर कार्यरत हैं, वहीं लकड़ी के खिलौने में 1000 व गुलाबी मीनाकारी में लगभग 500 आर्टिजन कार्य करते हैं.

पढ़ेंः जापान में बिछाई जाएगी संगम नगरी में बनी मूंज की चटाई, पांच सौ कारीगर कर रहे तैयार

कारीगरों को शिक्षित करेगी उत्तर प्रदेश सरकार.

वाराणसीः उत्तर प्रदेश सरकार ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) के तहत हर जिले के उत्पादों को एक नई पहचान दे रही है. वहीं, अब नई पहचान देने वाले कारीगरों व उनकी पीढ़ी को और भी बेहतर रूप से निपुण बनाया जाएगा. इसके तहत नई शिक्षा नीति के जरिए अब सरकार उत्पाद से जुड़े हुए कारीगरों को शिक्षित कर उनके कौशल को विकसित करने की योजना बना रही है, जिसके तहत उन्हें बेहतर रूप से आधुनिक तकनीकी से जोड़कर उनकी कला को और ज्यादा बेहतर बनाया जा सके.

बता दें कि इसको लेकर के अब स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम भी संचालित किए जाएंगे, जिससे कारीगरों को तकनीकी शिक्षा से भी जोड़ा जाएगा. इसका उद्वेश्य जिले में तैयार होने वाले उत्पादों को न सिर्फ एक नया आयाम देना है, बल्कि उनके लिए बेहतर मार्केट उपलब्ध कराना है. साथ ही शिल्पियों के जीवन को सुगम बनाना है, जिससे वह आर्थिक तंगी से इस कला से पीछा न छुड़ाएं, बल्कि इस कला में अपना भविष्य देखकर जिले और प्रदेश को विकास के मार्ग पर ले कर के चले.

ओडीओपी के कारीगरों को शिक्षित करेगी सरकार
इस बारे में मुख्यमंत्री के शिक्षा सलाहकार डॉ. डीपी सिंह ने बताया कि 'एक जिला एक उत्पाद' उत्तर प्रदेश की एक अनुकरणीय पहल है, जिसे सराहा गया है. हम जब इसके विस्तारीकरण को देखते हैं तो इसे और भी ज्यादा कौशल व तकनीकी के क्षेत्र में विस्तार देने की जरूरत समझ आती है. इसी क्रम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हम इससे जुड़े हुए लोगों के कौशल को बेहतर बनाकर उन्हें तकनीकी से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे उन्हें इस काम में और भी ज्यादा कुशल बनाया जा सके. उन्होंने बताया कि, सरकार अपने इस नई पहल से अब इन शिल्पियों को शिक्षा कौशल और तकनीक के क्षेत्र में और ज्यादा निपुण बनाएगी.

जिले के उत्पाद के अनुसार बनाए जाएंगे पाठ्यक्रम
आगे डॉक्टर सिंह ने बताया कि कारीगरों के कौशल को और ज्यादा निखारने के लिए सरकार अब जिले की उत्पादों के अनुसार पाठ्यक्रम संचालित करने की योजना बना रही है, जिससे जिले और प्रदेश दोनों का विकास हो सके. उन्होंने बताया कि इस पाठ्यक्रम में कौशल विकास और तकनीकी का समावेश होगा, जिससे शिल्पियों की कार्य गुणवत्ता को और ज्यादा बेहतर बनाया जा सके.

उनके लिए एक अच्छा मार्केट उपलब्ध कराया जा सके, जिससे उनका जीवन यापन बेहतर हो सके. उन्होंने कहा कि इसके लिए आईआईटी और पॉलिटेक्निक क्षेत्रों को भी बढ़ाया जा रहा है. इसके तहत स्कूल में भी नई शिक्षा नीति के तहत कौशल विकास के पाठ्यक्रम को शुरू करने की कोशिश की जा रही है.

ये है बनारस के ओडीओपी प्रोडक्ट
गौरतलब है कि वाराणसी के 3 उत्पादों को ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) के श्रेणी में शामिल किया गया है, जिसमें बनारसी रेशम की साड़ी, लकड़ी का खिलौना और गुलाबी मीनाकारी है. यदि इनके कारोबार की बात करें तो बनारसी साड़ी का कारोबार लगभग 1,000 करोड़ का, लकड़ी के खिलौने का 40 करोड़ व गुलाबी मीनाकारी का 5 करोड़ का सालाना कारोबार है. वहीं, इसमें कार्यरत कारीगरों की बात करें तो जहां बनारसी साड़ी में लगभग लाख बुनकर कार्यरत हैं, वहीं लकड़ी के खिलौने में 1000 व गुलाबी मीनाकारी में लगभग 500 आर्टिजन कार्य करते हैं.

पढ़ेंः जापान में बिछाई जाएगी संगम नगरी में बनी मूंज की चटाई, पांच सौ कारीगर कर रहे तैयार

Last Updated : Apr 2, 2023, 5:52 PM IST
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