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तृतीय नवरात्रि: मां चंद्रघंटा की पूजा से बढ़ती है शक्ति और वीरता, जानें पूजा विधि, मंत्र और भोग - तृतीय नवरात्रि माता चंद्रघंटा

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा का विधान है. अपने वाहन सिंह पर सवार मां का यह स्वरुप युद्ध और दुष्टों का नाश करने के लिए तत्पर रहता है. वहीं देवी चंद्रघंटा मां दुर्गा का ही शक्ति रूप है, जो सम्पूर्ण जगत की पीड़ा का नाश करती हैं.

माता चंद्रघंटा
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Published : Oct 1, 2019, 2:25 AM IST

Updated : Oct 1, 2019, 7:39 AM IST

वाराणसी: शारदीय नवरात्र पर माता दुर्गा के अलग-अलग रूपों के दर्शन, पूजन का क्रम जारी है और आज नवरात्र का तीसरा दिन है. तीसरे दिन नवरात्रि के पावन पर्व पर माता चंद्रघंटा के पूजन का विधान है. चंद्रघंटा जैसा की नाम से प्रतीत हो रहा है. सिर पर चंद्र और हाथों में घंटा लिए देवी के स्वरूप का पूजन करने से जीवन में जो सबसे बड़े शत्रु माने जाते हैं. अहंकार, क्रोध, काम इन सभी से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा माता चंद्रघंटा सभी कष्टों का निवारण भी करती हैं. तो कैसे करें नवरात्र के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा का पूजन और किन मंत्रों से करें मां को प्रसन्न आप भी जानिए.

मां चंद्रघंटा की पूजा से बढ़ती है शक्ति और वीरता.

पढ़ें: Navratri 2019: शारदीय नवरात्रि शुरू, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त , पूजा विधि

ऐसे करें मां चंद्रघंटा का पूजन
माता चंद्रघंटा के दर्शन, पूजन का सही विधान और उनके दर्शन से होने वाले लाभ के बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी बताते हैं, कि माता का यह स्वरूप बड़ा ही अद्भुत है. माता चंद्रघंटा की उत्पत्ति राक्षसों का नाश करने के लिए हुई थी. अब तक लोगों ने भगवान शिव की जटाओं में सिर्फ चंद्रमा का होना सुना होगा, लेकिन माता चंद्रघंटा के सिर पर चंद्रमा विराजमान हैं और हाथों में वह घंटा लिए हुई हैं. घंटा का हिंदू धर्म शास्त्र में विशेष महत्व माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि घंटा ध्वनि से घर और आसपास मौजूद अशुद्ध आबोहवा दूर होती है और वातावरण शुद्ध होता है. इसलिए माता को प्रसन्न करने के लिए एक हाथ में गंगाजल और दूसरे में घंटा लेकर पूरे घर में गंगा जल का छिड़काव करते हुए घंटे को बजाते हुए माता चंद्रघंटा का आवाहन करना चाहिए.

ऐसा है मां का स्वरूप
मां चंद्रघंटा का स्वरूप बेहद तेज से भरा हुआ है. मां का शरीर सोने के समान चमकीला है और माथे पर अर्धचंद्राकार रूप में चंद्रमा विराजमान हैं. 10 भुजा धारी माता चंद्रघंटा के हाथों में घंटा, कमल, धनुष बाण, कमंडल, तलवार त्रिशूल, गदा व अन्य अस्त्र-शस्त्र सुशोभित हैं.

सफेद पुष्प चढ़ाए और मां को खीर का लगाए भोग
माता रानी को सफेद पुष्प की माला बेहद पसंद है और भोग स्वरूप माता के आगे छेने के बने सफेद मिष्ठान्न या दूध से बनी सामग्री जैसे कि का भोग लगाना विशेष फलदाई माना जाता है.

मां के पूजन से ये होता है लाभ
पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि माता चंद्रघंटा की पूजा से शत्रुओं का नाश होता है. माता के हाथ में मौजूद घंटे की ध्वनि मात्र से जीवन में काम, क्रोध, ईर्ष्या, लोभ, मोह समेत अन्य कई तरह की चीजें खत्म होती हैं और जीवन उत्तम होता है.

इस मंत्र से करें मां की पूजा

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चंदकोपास्त्रकैर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।

नवरात्रि व्रत के नियम

  • नवरात्रि के व्रत में इन नियमों का पालन जरूर करना चाहिए.
  • नवरात्रि के 9 दिनों तक पूरी श्रद्धा भक्ति से मां की पूजा करें.
  • नवरात्रि के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए.
  • व्रती दिन के समय फल और दूध का सेवन कर सकता है.
  • शाम के समय मां की आरती करके परिवार के लोगों को प्रसाद बांटकर खुद भी प्रसाद ग्रहण करें.
  • नवरात्रि के दौरान भोजन ग्रहण न करें सिर्फ फलाहार ग्रहण करें.
  • अष्‍टमी या नवमी के दिन नौ कन्‍याओं को भोजन करवाकर उन्‍हें उपहार और दक्षिणा दें.
  • अगर संभव हो तो हवन के साथ नवमी के दिन व्रत का पारण करें.

वाराणसी: शारदीय नवरात्र पर माता दुर्गा के अलग-अलग रूपों के दर्शन, पूजन का क्रम जारी है और आज नवरात्र का तीसरा दिन है. तीसरे दिन नवरात्रि के पावन पर्व पर माता चंद्रघंटा के पूजन का विधान है. चंद्रघंटा जैसा की नाम से प्रतीत हो रहा है. सिर पर चंद्र और हाथों में घंटा लिए देवी के स्वरूप का पूजन करने से जीवन में जो सबसे बड़े शत्रु माने जाते हैं. अहंकार, क्रोध, काम इन सभी से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा माता चंद्रघंटा सभी कष्टों का निवारण भी करती हैं. तो कैसे करें नवरात्र के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा का पूजन और किन मंत्रों से करें मां को प्रसन्न आप भी जानिए.

मां चंद्रघंटा की पूजा से बढ़ती है शक्ति और वीरता.

पढ़ें: Navratri 2019: शारदीय नवरात्रि शुरू, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त , पूजा विधि

ऐसे करें मां चंद्रघंटा का पूजन
माता चंद्रघंटा के दर्शन, पूजन का सही विधान और उनके दर्शन से होने वाले लाभ के बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी बताते हैं, कि माता का यह स्वरूप बड़ा ही अद्भुत है. माता चंद्रघंटा की उत्पत्ति राक्षसों का नाश करने के लिए हुई थी. अब तक लोगों ने भगवान शिव की जटाओं में सिर्फ चंद्रमा का होना सुना होगा, लेकिन माता चंद्रघंटा के सिर पर चंद्रमा विराजमान हैं और हाथों में वह घंटा लिए हुई हैं. घंटा का हिंदू धर्म शास्त्र में विशेष महत्व माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि घंटा ध्वनि से घर और आसपास मौजूद अशुद्ध आबोहवा दूर होती है और वातावरण शुद्ध होता है. इसलिए माता को प्रसन्न करने के लिए एक हाथ में गंगाजल और दूसरे में घंटा लेकर पूरे घर में गंगा जल का छिड़काव करते हुए घंटे को बजाते हुए माता चंद्रघंटा का आवाहन करना चाहिए.

ऐसा है मां का स्वरूप
मां चंद्रघंटा का स्वरूप बेहद तेज से भरा हुआ है. मां का शरीर सोने के समान चमकीला है और माथे पर अर्धचंद्राकार रूप में चंद्रमा विराजमान हैं. 10 भुजा धारी माता चंद्रघंटा के हाथों में घंटा, कमल, धनुष बाण, कमंडल, तलवार त्रिशूल, गदा व अन्य अस्त्र-शस्त्र सुशोभित हैं.

सफेद पुष्प चढ़ाए और मां को खीर का लगाए भोग
माता रानी को सफेद पुष्प की माला बेहद पसंद है और भोग स्वरूप माता के आगे छेने के बने सफेद मिष्ठान्न या दूध से बनी सामग्री जैसे कि का भोग लगाना विशेष फलदाई माना जाता है.

मां के पूजन से ये होता है लाभ
पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि माता चंद्रघंटा की पूजा से शत्रुओं का नाश होता है. माता के हाथ में मौजूद घंटे की ध्वनि मात्र से जीवन में काम, क्रोध, ईर्ष्या, लोभ, मोह समेत अन्य कई तरह की चीजें खत्म होती हैं और जीवन उत्तम होता है.

इस मंत्र से करें मां की पूजा

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चंदकोपास्त्रकैर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।

नवरात्रि व्रत के नियम

  • नवरात्रि के व्रत में इन नियमों का पालन जरूर करना चाहिए.
  • नवरात्रि के 9 दिनों तक पूरी श्रद्धा भक्ति से मां की पूजा करें.
  • नवरात्रि के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए.
  • व्रती दिन के समय फल और दूध का सेवन कर सकता है.
  • शाम के समय मां की आरती करके परिवार के लोगों को प्रसाद बांटकर खुद भी प्रसाद ग्रहण करें.
  • नवरात्रि के दौरान भोजन ग्रहण न करें सिर्फ फलाहार ग्रहण करें.
  • अष्‍टमी या नवमी के दिन नौ कन्‍याओं को भोजन करवाकर उन्‍हें उपहार और दक्षिणा दें.
  • अगर संभव हो तो हवन के साथ नवमी के दिन व्रत का पारण करें.
Intro:वाराणसी: शारदीय नवरात्र पर माता दुर्गा के अलग-अलग रूपों के दर्शन पूजन का क्रम जारी है और आज नवरात्र का तीसरा दिन है तीसरे दिन नवरात्रि के पावन पर्व पर माता चंद्रघंटा के पूजन का विधान है चंद्रघंटा जैसा की नाम से प्रतीत हो रहा है. सिर पर चंद्र और हाथों में घंटा लिए देवी के स्वरूप का पूजन करने से जीवन में जो सबसे बड़े शत्रु माने जाते हैं. अहंकार, क्रोध, काम इन सभी से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा माता चंद्रघंटा सभी कष्टों का निवारण भी करती हैं तो कैसे करें नवरात्र के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा का पूजन और किन मंत्रों से करें मां को प्रसन्न आप भी जानिए.


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ऐसे करें माँ का पूजन
माता चंद्रघंटा के दर्शन पूजन का सही विधान और उनके दर्शन से होने वाले लाभ के बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी बताते हैं कि माता का यह स्वरूप बड़ा ही अद्भुत है. माता चंद्रघंटा की उत्पत्ति राक्षसों का नाश करने के लिए हुई थी. अब तक लोगों ने शिव के जटाओं में सिर्फ चंद्रमा का होना सुना होगा लेकिन माता चंद्रघंटा के सिर पर चंद्रमा विराजमान हैं और हाथों में वह घंटा लिए हुई हैं. घँटे का हिंदू धर्म शास्त्र में विशेष महत्व माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि घंटा ध्वनि से घर और आसपास मौजूद अशुद्ध आबोहवा दूर होती है और वातावरण शुद्ध होता है. इसलिए माता को प्रसन्न करने के लिए एक हाथ में गंगाजल और दूसरे में घंटा लेकर पूरे घर में गंगा जल का छिड़काव करते हुए घंटे को बजाते हुए माता चंद्रघंटा का आवाहन करना चाहिए.

माँ का स्वरूप है ऐसा
वैसे भी मां चंद्रघंटा का स्वरूप बेहद तेज से भरा हुआ है. मां का शरीर सोने के समान चमकीला है और माथे पर अर्धचंद्राकार रूप में चंद्रमा विराजमान हैं. 10 भुजा धारी माता चंद्रघंटा के हाथों में घंटा, कमल, धनुष बाण, कमंडल, तलवार त्रिशूल, गदा व अन्य अस्त्र-शस्त्र सुशोभित हैं.

ये पुष्प चढ़ाये, माँ को खीर का लगाए भोग
माता रानी को सफेद पुष्प की माला बेहद पसंद है और भोग स्वरूप माता के आगे छेने के बने सफेद मिष्ठान्न या दूध से बनी सामग्री जैसे कि का भोग लगाना विशेष फलदाई माना जाता है.


Conclusion:वीओ-02

माँ के पूजन से ये होता है लाभ
पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि माता चंद्रघंटा की पूजा से शत्रुओं का नाश होता है माता के हाथ में मौजूद घंटे की ध्वनि मात्र से जीवन में काम, क्रोध, ईर्ष्या, लोभ, मोह समेत अन्य कई तरह की चीजें खत्म होती हैं और जीवन उत्तम होता है.

इस मंत्र से करें माँ की पूजा

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चंदकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।

माँ का जाप इस मंत्र से करें
ॐ एं ह्लीम क्लीम


गोपाल मिश्र

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Last Updated : Oct 1, 2019, 7:39 AM IST
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