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Corona virus के बाद बढ़े मोतियाबिंद के केस, ये लक्षण दिखें तो तुरंत करवाएं आई टेस्ट - मोतियाबिंद का ऑपरेशन

कोरोना वायरस के बाद तेजी से बढ़ रहे मोतियाबिंद के केस. लोगों में 50 साल के बाद पायी जाती है मोतियाबिंद की समस्या. लक्षण दिखने पर सही समय पर आई टेस्ट से ही संभव है मोतियाबिंद से बचाव.

Glaucoma
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Published : Nov 25, 2021, 5:21 PM IST

वाराणसीः व्यक्तियों में बढ़ती उम्र के साथ होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं में मोतियाबिंद सबसे सामान्य समस्या है. उत्तर प्रदेश के वाराणसी में कोरोना वायरस (Corona virus) के बाद मोतियाबिंद के केस भी बढ़ते दिख रहे हैं. अब तक 15,380 मरीजों की स्क्रीनिंग हो चुकी है.

ऐसे में डॉक्टरों ने लोगों को सलाह दी कि अगर सूर्यास्त के बाद सामने से सीधी आ रही रोशनी से आपको आंखों में तीखापन लगता है और देखने में परेशानी होती है तो आप इसकी अनदेखी कतई न करें. यह मोतियाबिंद (Cataract) के लक्षणों में से एक है.

40 फीसदी मरीजों में पाई जाती है मोतियाबिंद की समस्या

एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय के वरिष्ठ परामर्शदाता एवं नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आरके. सिंह ने बताया कि मोतियाबिंद की समस्या लोगों में 50 साल के बाद पायी जाती हैं. जिला अस्पताल में यदि अंधता निवारण के 100 मरीज आते हैं तो उनमें लगभग 40 फीसदी मरीजों में मोतियाबिंद की समस्या पायी जाती है.

बताया कि ग्रामीण स्तर पर यह समस्या अधिक देखने को मिलती है. दरअसल, ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जानकारी नहीं हो पाती कि 40 साल के बाद नजर में कमी होने पर शीघ्र ही चिकित्सक को दिखाना चाहिए. वर्तमान में आंखों पर पड़ने वाली सूर्य की सीधी किरण व प्रदूषण बेहद घातक है. इसका बचाव सही समय पर टेस्ट से ही संभव है.

डॉक्टर आर.के. सिंह ने बताया कि जनपद के सभी सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सरकारी चिकित्सालयों पर आंख की निःशुल्क जांच व परामर्श की सुविधा उपलब्ध है. एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय के कमरा नंबर 15 में मरीजों की ओपीडी की जाती है.

पहले लगभग 70 मरीजों की ओपीडी प्रतिदिन होती थी. अब लगभग 150 मरीजों की ओपीडी प्रतिदिन हो रही है. अप्रैल 2021 से अबतक 15380 मरीजों की स्क्रीनिंग की गई तथा वर्ष 2020-21 में कुल 31,425 मरीजों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है. कोरोना काल में वर्ष 2020-21 में 1870 मरीजों का मोतियाबिंद का निःशुल्क इलाज किया गया.

यह भी पढ़ें- अब बुजुर्ग वोटर घर पर करेंगे मतदान, चुनाव आयोग ने की ये व्यवस्था


लाभार्थियों ने सराहा

चोलापुर ब्लॉक के धरसौना ग्राम निवासी 75 वर्षीय कन्हैया गुप्ता ने बताया कि उन्हें आंखों से कम दिखाई देता था. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चोलापुर में डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने बताया कि आंखों में मोतियाबिंद है. उन्होंने मंडलीय चिकित्सालय कबीरचौरा रेफर कर दिया. यहां डॉक्टर ने बताया कि बाईं आंख का मोतिया पका है. इसका ऑपरेशन होगा. भर्ती होने के बाद सभी जांचें हुईं. इसके बाद शुक्रवार को सफलतापूर्वक ऑपरेशन हुआ. सभी जांच तथा दवाएं निःशुल्क हैं.

यह हैं मोतियाबिंद के लक्षण (symptoms of glaucoma)


. धुंधली या अस्पष्ट दृष्टि

. रोशनी के चारो ओर गोल घेरा सा दिखना

. रात के वक्त कम दिखाई देना

. हर वक्त दोहरा दिखाई देना

. हर रंग का फीका दिखना

मोतियाबिंद होने के कारण

. बढ़ती उम्र

. अधिक देर तक सूर्य की रोशनी आंखों पर पड़ना

. आंख में चोट लगना

. डायबिटीज

इस तरह से करें बचाव

. आंखों का नियमित परीक्षण

. वृद्धावस्था में आंखों के प्रति सचेत रहना चाहिए

. मोटापे के कारण टाइप-2 डायबिटीज होने की समस्या अधिक होती हैं. इसलिए शरीर के वजन और डायबिटीज को कंट्रोल में रखें.

. घर से बाहर निकलने से पहले धूप या अल्ट्रा वायलेट रेडिएशन से बचने के लिए चश्मा जरूर पहनें.

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वाराणसीः व्यक्तियों में बढ़ती उम्र के साथ होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं में मोतियाबिंद सबसे सामान्य समस्या है. उत्तर प्रदेश के वाराणसी में कोरोना वायरस (Corona virus) के बाद मोतियाबिंद के केस भी बढ़ते दिख रहे हैं. अब तक 15,380 मरीजों की स्क्रीनिंग हो चुकी है.

ऐसे में डॉक्टरों ने लोगों को सलाह दी कि अगर सूर्यास्त के बाद सामने से सीधी आ रही रोशनी से आपको आंखों में तीखापन लगता है और देखने में परेशानी होती है तो आप इसकी अनदेखी कतई न करें. यह मोतियाबिंद (Cataract) के लक्षणों में से एक है.

40 फीसदी मरीजों में पाई जाती है मोतियाबिंद की समस्या

एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय के वरिष्ठ परामर्शदाता एवं नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आरके. सिंह ने बताया कि मोतियाबिंद की समस्या लोगों में 50 साल के बाद पायी जाती हैं. जिला अस्पताल में यदि अंधता निवारण के 100 मरीज आते हैं तो उनमें लगभग 40 फीसदी मरीजों में मोतियाबिंद की समस्या पायी जाती है.

बताया कि ग्रामीण स्तर पर यह समस्या अधिक देखने को मिलती है. दरअसल, ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जानकारी नहीं हो पाती कि 40 साल के बाद नजर में कमी होने पर शीघ्र ही चिकित्सक को दिखाना चाहिए. वर्तमान में आंखों पर पड़ने वाली सूर्य की सीधी किरण व प्रदूषण बेहद घातक है. इसका बचाव सही समय पर टेस्ट से ही संभव है.

डॉक्टर आर.के. सिंह ने बताया कि जनपद के सभी सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सरकारी चिकित्सालयों पर आंख की निःशुल्क जांच व परामर्श की सुविधा उपलब्ध है. एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय के कमरा नंबर 15 में मरीजों की ओपीडी की जाती है.

पहले लगभग 70 मरीजों की ओपीडी प्रतिदिन होती थी. अब लगभग 150 मरीजों की ओपीडी प्रतिदिन हो रही है. अप्रैल 2021 से अबतक 15380 मरीजों की स्क्रीनिंग की गई तथा वर्ष 2020-21 में कुल 31,425 मरीजों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है. कोरोना काल में वर्ष 2020-21 में 1870 मरीजों का मोतियाबिंद का निःशुल्क इलाज किया गया.

यह भी पढ़ें- अब बुजुर्ग वोटर घर पर करेंगे मतदान, चुनाव आयोग ने की ये व्यवस्था


लाभार्थियों ने सराहा

चोलापुर ब्लॉक के धरसौना ग्राम निवासी 75 वर्षीय कन्हैया गुप्ता ने बताया कि उन्हें आंखों से कम दिखाई देता था. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चोलापुर में डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने बताया कि आंखों में मोतियाबिंद है. उन्होंने मंडलीय चिकित्सालय कबीरचौरा रेफर कर दिया. यहां डॉक्टर ने बताया कि बाईं आंख का मोतिया पका है. इसका ऑपरेशन होगा. भर्ती होने के बाद सभी जांचें हुईं. इसके बाद शुक्रवार को सफलतापूर्वक ऑपरेशन हुआ. सभी जांच तथा दवाएं निःशुल्क हैं.

यह हैं मोतियाबिंद के लक्षण (symptoms of glaucoma)


. धुंधली या अस्पष्ट दृष्टि

. रोशनी के चारो ओर गोल घेरा सा दिखना

. रात के वक्त कम दिखाई देना

. हर वक्त दोहरा दिखाई देना

. हर रंग का फीका दिखना

मोतियाबिंद होने के कारण

. बढ़ती उम्र

. अधिक देर तक सूर्य की रोशनी आंखों पर पड़ना

. आंख में चोट लगना

. डायबिटीज

इस तरह से करें बचाव

. आंखों का नियमित परीक्षण

. वृद्धावस्था में आंखों के प्रति सचेत रहना चाहिए

. मोटापे के कारण टाइप-2 डायबिटीज होने की समस्या अधिक होती हैं. इसलिए शरीर के वजन और डायबिटीज को कंट्रोल में रखें.

. घर से बाहर निकलने से पहले धूप या अल्ट्रा वायलेट रेडिएशन से बचने के लिए चश्मा जरूर पहनें.

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