ETV Bharat / state

वाराणसी: घाटों पर पितरों को नमन कर दी गई विदाई - pandit dinesh shankar dubey

यूपी के वाराणसी में अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्रद्धालु गंगा घाटों पर पहुंचे और पूरे विधि विधान से तर्पण कर पिंड दान किया. इस अवसर पर काशी के सभी घाटों श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली.

etv bharat
घाटों पर पितरों को नमन कर दी गई विदाई.
author img

By

Published : Sep 17, 2020, 1:06 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 2:11 PM IST

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में अपने पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए श्रद्धालु घाटों पर पहुंचे. गंगा घाटों पर पूरे विधि विधान से तर्पण कर पिंड दान किया गया. इस अवसर पर जिले के सभी घाटों श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली.

आज यानी गुरुवार को सर्व पितृ विर्सजन की महातिथि है. त्रिपिण्डी दान, श्राद्धकर्म और तपर्ण के विधान संग पितरों की अतृप्त आत्माओं का इस लोक से गमन हो जाएगा. आश्विन कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि पर ही सर्व पितृ विसर्जन करने की धार्मिंक मान्यता है. सर्व पितृ विसर्जन के दिन वाराणसी के दशाश्वमेध घाट, शीतला घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट, केदार घाट, तुलसी घाट, अस्सी घाट, पंचगंगा घाट, चौकी घाट, पांडेय घाट और रविदास घाट पर लोगों की भीड़ देखने को मिली.

श्राद्ध के विषय में जानकारी देते वेद पंडित दिनेश शंकर दुबे.

इस विधि से करें यह कर्म
वेद पंडित दिनेश शंकर दुबे का कहना है कि इस बार अमावस्या तिथि दो दिन है. आज श्राद्ध और पितृ विसर्जन के लिए कल यानी शुक्रवार को तिथि विशेष स्नान, दान. श्राद्धकर्म के साथ पितरों को स्मरण कर मध्याह्न में ब्राम्हण भोज कराना चाहिए. इस दिन ज्ञात-अज्ञात तिथि यानि जिन व्यक्तियों की मृत्यु तिथि मालूम न हो, उनका भी श्राद्धकर्म और पिण्डदान विधि-विधान से करने की धार्मिंक मान्यता है. तिथि विशेष पर गौ, श्वान और विशेषकर कौओं को भोजन कराने का विशेष महत्व है. परम्परा के अनुसार 16 भूदेवों को भोजन कराना चाहिए. ब्राह्मण भोज के बाद उन्हें वस्त्र एवं द्रव्य-पात्र आदि दान देना चाहिए. सांयकाल मुख्य द्वार पर दीप प्रज्ज्वलित कर भोज्य सामग्री आदि रखी जाती हैं. ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि तृप्त होकर जाते समय पितरों को प्रकाश मिले. सर्व पितृ विसर्जन के साथ ही महालया और पितृपक्ष की पूर्णाहुति हो जायेगा. इस प्रकार की सारी क्रियाकलाप करने से पितर खुश होते हैं. वह मनचाहा वरदान देते हैं. इसमें वो वंश वृद्धि के साथ धन-धान्य समृद्धि का भी वरदान देते हैं. ऐसी मानता है.

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में अपने पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए श्रद्धालु घाटों पर पहुंचे. गंगा घाटों पर पूरे विधि विधान से तर्पण कर पिंड दान किया गया. इस अवसर पर जिले के सभी घाटों श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली.

आज यानी गुरुवार को सर्व पितृ विर्सजन की महातिथि है. त्रिपिण्डी दान, श्राद्धकर्म और तपर्ण के विधान संग पितरों की अतृप्त आत्माओं का इस लोक से गमन हो जाएगा. आश्विन कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि पर ही सर्व पितृ विसर्जन करने की धार्मिंक मान्यता है. सर्व पितृ विसर्जन के दिन वाराणसी के दशाश्वमेध घाट, शीतला घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट, केदार घाट, तुलसी घाट, अस्सी घाट, पंचगंगा घाट, चौकी घाट, पांडेय घाट और रविदास घाट पर लोगों की भीड़ देखने को मिली.

श्राद्ध के विषय में जानकारी देते वेद पंडित दिनेश शंकर दुबे.

इस विधि से करें यह कर्म
वेद पंडित दिनेश शंकर दुबे का कहना है कि इस बार अमावस्या तिथि दो दिन है. आज श्राद्ध और पितृ विसर्जन के लिए कल यानी शुक्रवार को तिथि विशेष स्नान, दान. श्राद्धकर्म के साथ पितरों को स्मरण कर मध्याह्न में ब्राम्हण भोज कराना चाहिए. इस दिन ज्ञात-अज्ञात तिथि यानि जिन व्यक्तियों की मृत्यु तिथि मालूम न हो, उनका भी श्राद्धकर्म और पिण्डदान विधि-विधान से करने की धार्मिंक मान्यता है. तिथि विशेष पर गौ, श्वान और विशेषकर कौओं को भोजन कराने का विशेष महत्व है. परम्परा के अनुसार 16 भूदेवों को भोजन कराना चाहिए. ब्राह्मण भोज के बाद उन्हें वस्त्र एवं द्रव्य-पात्र आदि दान देना चाहिए. सांयकाल मुख्य द्वार पर दीप प्रज्ज्वलित कर भोज्य सामग्री आदि रखी जाती हैं. ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि तृप्त होकर जाते समय पितरों को प्रकाश मिले. सर्व पितृ विसर्जन के साथ ही महालया और पितृपक्ष की पूर्णाहुति हो जायेगा. इस प्रकार की सारी क्रियाकलाप करने से पितर खुश होते हैं. वह मनचाहा वरदान देते हैं. इसमें वो वंश वृद्धि के साथ धन-धान्य समृद्धि का भी वरदान देते हैं. ऐसी मानता है.

Last Updated : Sep 17, 2020, 2:11 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.