वाराणसी: मोक्षदायिनी मां गंगा हजारों वर्षों से लोगों को मुक्ति दे रही हैं, लेकिन मां गंगा को मुक्ति कब मिलेगी यह एक प्रश्न है. बनारस के गंगा घाटों के किनारे गंगा का जल पूरी तरीके से हरा हो रहा है, जिसे लेकर लोग विभिन्न तरह की बातें कर रहे हैं. पिछले चार-पांच दिनों से ब्रह्मा घाट, प्रहलाद घाट के आसपास और रामनगर की तरफ यह देखा जा रहा है.
गंगा में भारी मात्रा में शैवाल
रामनगर में विगत चार-पांच दिनों से भारी मात्रा में शैवाल देखा जा रहा है, वैज्ञानिक भाषा में इसे ग्रीन एलगी ब्लूम कहते हैं. इससे गंगा के इको सिस्टम और जलीय जीवोम पर काफी बुरा प्रभाव पड़ने का अंदेशा जताया जा रहा है. इसकी अत्याधिक मात्रा होने के कारण यह पानी में घुली डाई की तरह प्रतीत हो रहा है. इसके कारण ऑक्सीजन की मात्रा तेजी से घट सकती है, जिससे समस्त गंगा के जलीय चक्र व जीवों के लिए खतरे की घंटी है.
गंगा में डाले जा रहे केमिकल
नाविक बजरंगी ने बताया कि पिछले 3 सालों से इस समय ऐसा देखा जाता है. पानी में यह पता नहीं कहां से आता है. इसको कोई साफ नहीं कर पाता यह खुद पानी के प्रभाव में बह जाता है. हमें लगता है पानी में ज्यादा केमिकल डालने से ऐसा होता है. बहुत सी मशीनें आई गई, लेकिन गंगा को कोई साफ नहीं कर पाया.
गंगा किनारे रहने वाले संतोष मांझी ने बताया कि पोखरे से जो पानी जो गंगा में आता है. उसी की वजह से ऐसा हुआ है, पिछले चार-पांच दिनों से हम लोग देख रहे हैं इसकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. अधिकारी लोग आएं और देख कर चले गए.
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह ने बताया कि यह ग्रीन एलगी ब्लूम मिर्जापुर के विंध्याचल के पास से गंगा की एक सहायक नदी लोहदी नदी से बह कर आया है. एक सर्वे की टीम बनाई गई है. जो सैंपल की जांच कर रही है. 23 मई को जुटाए गए सैंपल की जांच प्राथमिक तौर पर पानी में नाइट्रोजन और फास्फोरस की मात्रा निर्धारित मानकों से ज्यादा पाई गई.
शैवाल उगने की वजह
क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह ने बताया कि पानी के अंदर तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से ऊपर हो जाता है. तब पानी में शैवालों की संख्या बढ़ जाती है. उन्होंने बताया कि इसका प्रभाव गंगा पार ही देखा गया है. इसीलिए कोई डरने की बात नहीं है.