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वाराणसी: पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र से गायब हुई गांधी जी की तस्वीर

वाराणसी के सर्किट हाउस से महात्मा गांधी की तस्वीर विलुप्त होती दिखाई दे रही है. सर्किट हाउस के सभागार से बापू की तस्वीर को हटा दिया गया है. सर्किट हाउस में तमाम नेता आते जाते रहते हैं, लेकिन किसी ने भी इस बात पर गौर नहीं किया.

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Published : Oct 10, 2020, 9:02 AM IST

Updated : Oct 10, 2020, 9:14 AM IST

सर्किट हाउस से  गायब हुई गांधी जी की तस्वीर
सर्किट हाउस से गायब हुई गांधी जी की तस्वीर

वाराणसी: भारत में सदियों से महापुरुषों की तस्वीरों को लगाने की स्थापित परंपरा चली आ रही है, क्योंकि तस्वीरों को लगाने का मतलब होता है कि उनके विचारों को आत्मसात करना. इसी कारण से तमाम स्कूलों सरकारी दफ्तरों व भवनों में गांधी के साथ-साथ अन्य सभी महापुरुषों के तस्वीर सहज रूप से देखने को मिलती है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बापू की तस्वीर विलुप्त होती दिखाई दे रही है.

सर्किट हाउस से गायब हुई गांधी जी की तस्वीर
सर्किट हाउस के सभागार से बापू की तस्वीर को हटा दिया गया है. सभागार में वर्तमान सत्ताधारी नेताओं व बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की तस्वीर है, लेकिन बापू वहां से कोसों दूर है. सर्किट हाउस में तमाम नेता आते जाते रहते हैं, लेकिन किसी ने भी इस बात पर गौर नहीं किया. ऐसे में सवाल उठता है कि बापू की तस्वीर क्या साजिशन हटाई गई है? या कोई और बात है.
बातचीत में गांधीवादी विचारक प्रोफेसर सत्येंद्र राय का कहना है कि गांधी को देश के लोगों ने बापू बनाया है, किसी राजनीतिक दल या किसी सरकार ने नहीं. चित्र हटा देने से गांधी की छवि लोगों के बीच से नहीं हटाई जा सकती. गांधी से मतभेद सुभाष चंद्र बोस का था. इसके साथ ही कुछ तबका भी रहा है जो गांधी को राष्ट्रपिता नहीं मानता, लेकिन जब गांधी गोली और गाली से नहीं मरे, आलोचनाओं से नहीं मरे तो मात्र धीरे-धीरे तस्वीरें हटा देने से गांधी का व्यक्तित्व नहीं मर जाता.
उन्होंने कहा कि गांधी ने इस देश को एक सकारात्मक ढांचे में लाकर खड़ा किया है. तस्वीरें लगाना कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है. बल्कि एक विचारधारा का सम्मान है. धीरे-धीरे तस्वीर हटा देने की जो मानसिकता है व तुच्छ है. जो कोशिश की जा रही है वह एक नाकाम कोशिश होगी. जो कभी सफल नहीं होगी. क्योंकि गांधी को लोगों के दिलों से मिटाना असंभव है और जो लोग ऐसी कोशिश कर रहे हैं वह बेहद ही खतरनाक कोशिश कर रहे हैं.

वाराणसी: भारत में सदियों से महापुरुषों की तस्वीरों को लगाने की स्थापित परंपरा चली आ रही है, क्योंकि तस्वीरों को लगाने का मतलब होता है कि उनके विचारों को आत्मसात करना. इसी कारण से तमाम स्कूलों सरकारी दफ्तरों व भवनों में गांधी के साथ-साथ अन्य सभी महापुरुषों के तस्वीर सहज रूप से देखने को मिलती है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बापू की तस्वीर विलुप्त होती दिखाई दे रही है.

सर्किट हाउस से गायब हुई गांधी जी की तस्वीर
सर्किट हाउस के सभागार से बापू की तस्वीर को हटा दिया गया है. सभागार में वर्तमान सत्ताधारी नेताओं व बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की तस्वीर है, लेकिन बापू वहां से कोसों दूर है. सर्किट हाउस में तमाम नेता आते जाते रहते हैं, लेकिन किसी ने भी इस बात पर गौर नहीं किया. ऐसे में सवाल उठता है कि बापू की तस्वीर क्या साजिशन हटाई गई है? या कोई और बात है.
बातचीत में गांधीवादी विचारक प्रोफेसर सत्येंद्र राय का कहना है कि गांधी को देश के लोगों ने बापू बनाया है, किसी राजनीतिक दल या किसी सरकार ने नहीं. चित्र हटा देने से गांधी की छवि लोगों के बीच से नहीं हटाई जा सकती. गांधी से मतभेद सुभाष चंद्र बोस का था. इसके साथ ही कुछ तबका भी रहा है जो गांधी को राष्ट्रपिता नहीं मानता, लेकिन जब गांधी गोली और गाली से नहीं मरे, आलोचनाओं से नहीं मरे तो मात्र धीरे-धीरे तस्वीरें हटा देने से गांधी का व्यक्तित्व नहीं मर जाता.
उन्होंने कहा कि गांधी ने इस देश को एक सकारात्मक ढांचे में लाकर खड़ा किया है. तस्वीरें लगाना कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है. बल्कि एक विचारधारा का सम्मान है. धीरे-धीरे तस्वीर हटा देने की जो मानसिकता है व तुच्छ है. जो कोशिश की जा रही है वह एक नाकाम कोशिश होगी. जो कभी सफल नहीं होगी. क्योंकि गांधी को लोगों के दिलों से मिटाना असंभव है और जो लोग ऐसी कोशिश कर रहे हैं वह बेहद ही खतरनाक कोशिश कर रहे हैं.
Last Updated : Oct 10, 2020, 9:14 AM IST
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