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वाराणसी: बसंत पूजा के साथ शुरू हुआ गांधर्व महोत्सव, वैदिक विद्वानों ने की पूजा - वाराणसी न्यूज

उत्तर प्रदेश के धर्म और अध्यात्म की नगरी वाराणसी में कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी के अवसर पर काशी की प्राचीन वेद परंपरा के वाहक मूलधन वैदिक विद्वानों द्वारा बसंत पूजा के साथ गांधर्व महोत्सव का शुभारंभ किया गया. महोत्सव में देर शाम अंतरराष्ट्रीय कलाकारों की प्रस्तुति होगी.

बनारस: बसंत पूजा के साथ शुरू हुआ गांधर्व महोत्सव वैदिक विद्वानों ने किया पूजा
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Published : Nov 10, 2019, 3:09 PM IST

वाराणसी: गांधर्व महोत्सव का आयोजन काशी की पवित्र भूमि पर किया जा रहा है. जिसका उद्देश्य आज की युवा पीढ़ी को पाश्चात्य सभ्यता के साथ-साथ पाश्चात्य संगीत की तरफ बढ़ावा देना है. वहीं अपनी सभ्यता और संगीत को खोते जा रहे युवाओं को संगीत की तरफ आकर्षित करना है.

वाराणसी: बसंत पूजा के साथ शुरू हुआ गांधर्व महोत्सव वैदिक विद्वानों ने की पूजा

हो रही बसंत पूजा-

  • वाराणसी के गंगा घाट पर बसंत पूजा के साथ गांधर्व महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है.
  • वैदिक विद्वानों ने प्राचीन विद्या द्वारा इस महोत्सव का शुभारंभ किया.
  • डॉ. मंजू द्विवेदी ने कहा कि वाराणसी में वेद और प्राचीन विद्या के अध्ययन का शुरू होना गौरव की बात है.
  • आज के समकालीन परिप्रेक्ष्य में गान्धर्व महोत्सव होना बहुत ही आवश्यक है.
  • उन्होने बताया कि संगीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि आराधना है.


काशी में गंधर्व महोत्सव का शुभारंभ हुआ है जिसका वैदिक विद्वानों द्वारा शुभारंभ किया गया है. साथ ही बसंत पूजा का भी आयोजन किया गया. जिसके साथ इस बात का संकेत दिया गया कि वैदिक वेद ही विज्ञान के जनक है. वेद और प्राची विद्या के अध्ययन के साथ शुरूआत हमारे लिए गौरव की बात है. आज के समकालीन परिपेक्ष में गान्धर्व महोत्सव बहुत ही आवश्यक है. यह कार्यक्रम आपको अपने खेतों, संस्कृति और सभ्यता के तरफ लाने का यह प्रयास है.
-डॉ.मंजू द्विवेदी, सदस्य, आयोजक मंडल

वाराणसी: गांधर्व महोत्सव का आयोजन काशी की पवित्र भूमि पर किया जा रहा है. जिसका उद्देश्य आज की युवा पीढ़ी को पाश्चात्य सभ्यता के साथ-साथ पाश्चात्य संगीत की तरफ बढ़ावा देना है. वहीं अपनी सभ्यता और संगीत को खोते जा रहे युवाओं को संगीत की तरफ आकर्षित करना है.

वाराणसी: बसंत पूजा के साथ शुरू हुआ गांधर्व महोत्सव वैदिक विद्वानों ने की पूजा

हो रही बसंत पूजा-

  • वाराणसी के गंगा घाट पर बसंत पूजा के साथ गांधर्व महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है.
  • वैदिक विद्वानों ने प्राचीन विद्या द्वारा इस महोत्सव का शुभारंभ किया.
  • डॉ. मंजू द्विवेदी ने कहा कि वाराणसी में वेद और प्राचीन विद्या के अध्ययन का शुरू होना गौरव की बात है.
  • आज के समकालीन परिप्रेक्ष्य में गान्धर्व महोत्सव होना बहुत ही आवश्यक है.
  • उन्होने बताया कि संगीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि आराधना है.


काशी में गंधर्व महोत्सव का शुभारंभ हुआ है जिसका वैदिक विद्वानों द्वारा शुभारंभ किया गया है. साथ ही बसंत पूजा का भी आयोजन किया गया. जिसके साथ इस बात का संकेत दिया गया कि वैदिक वेद ही विज्ञान के जनक है. वेद और प्राची विद्या के अध्ययन के साथ शुरूआत हमारे लिए गौरव की बात है. आज के समकालीन परिपेक्ष में गान्धर्व महोत्सव बहुत ही आवश्यक है. यह कार्यक्रम आपको अपने खेतों, संस्कृति और सभ्यता के तरफ लाने का यह प्रयास है.
-डॉ.मंजू द्विवेदी, सदस्य, आयोजक मंडल

Intro:धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी के अवसर पर काशी की प्राचीन वेद परंपरा के वाहक मूलधन वैदिक विद्वानों द्वारा बसंत पूजा के साथ गांधर्व महोत्सव का शुभारंभ किया गया। महोत्सव में देर शाम अंतरराष्ट्रीय कलाकारों की प्रस्तुति होगी।यह महोत्सव 2 दिनों तक चलेगा जिसमें युवा कलाकारों के साथ अंतर्राष्ट्रीय कलाकार भी अपनी प्रस्तुति देंगे।


Body:गांधर्व महोत्सव का आयोजन काशी के इस पवित्र भूमि मां गंगा के तट पर करने का बस एक उद्देश्य है। कि जिस तरह आज की युवा पीढ़ी पाश्चात्य सभ्यता के साथ-साथ पाश्चात्य संगीत की तरफ बढ़ती जा रही है। वह अपनी सभ्यता और संगीत को खोते जा रहे हैं।ऐसे में इस महोत्सव से युवा पीढ़ी को संगीत की तरफ आकर्षित किया। जाएगा क्योंकि यह संगीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि आराधना है। हमारे सामवेद में इसका उल्लेख है कि ईश्वर की प्राप्ति के लिए एक बहुत बड़ा माध्यम है। क्योंकि जब हम भारतीय संगीत सुनते हैं तो हमारे मन को शांति मिलती है। ऐसा पार्षद संगीत में नहीं है।


Conclusion:डॉ मंजू द्विवेदी ने बताया काशी में गंधर्व महोत्सव का शुभारंभ किया गया।जिसमें वैदिक विद्वानों ने प्राच्य विद्या के द्वारा इस महोत्सव का शुभारंभ किया बसंत पूजा किया गया जिसके साथ ही इस बात को संकेत दिया गया कि वैदिक वेद ही विज्ञान का जनक है। वेद और प्राची विद्या का अध्ययन के साथ काशी से इस बात का शुरू होना अपने आप में गौरव की बात है। आज के समकालीन परिपेक्ष में गान्धर्व महोत्सव बहुत ही आवश्यक है। भौतिकवादी युग में प्राचार्य संस्कृति से युवा पीढ़ी प्रभावित हो रहे हैं उनको अपने खेतों और संस्कृति और सभ्यता के तरफ लाने का यह प्रयास है। यह महोत्सव जीवन उपयोगी है। समाज उपयोगी है और राष्ट्रीय उपयोगी हैं। हम यहां से अपने आने वाली पीढ़ी को संदेश देना चाहते हैं कि वह एक बार फिर वेदों की तरफ लौटे।
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