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वाराणसी: सावन में बाबा को चढ़ने वाली मदार की माला का मिलना हुआ मुश्किल

कोरोना का कहर देश में जारी है और उसका असर वाराणसी में भी साफ तौर पर देखा जा सकता है. सावन का महीना शुरू हो गया है, लेकिन मंदिरों में भक्तों की भीड़ कम दिखाई दे रही है. साथ फूलों की बिक्री कम होने से किसानों को काफी नुकसान हो रहा है.

trouble for flower farmers
फूल किसानों के लिए मुसीबत
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Published : Jul 6, 2020, 1:23 PM IST

वाराणसी: बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में सावन में ऐसे तो पूरे महीने कांवरियों का हुजूम देखने के लिए मिल सकता है, लेकिन कोरोना महामारी को देखते हुए प्रशासन ने पूरी तरीके से कांवरियों का आना प्रतिबंधित कर दिया है. वही बात करें बाबा को चढ़ने वाले फूल और माला की तो मदार की माला मिलना बेहद ही मुश्किल हो गया है. यही नहीं कोलकाता से आने वाली माला भी नहीं आ रही है.

वाराणसी के किसान फूल मंडी की अगर बात करें तो पहले की तरह भीड़ नहीं दिख रही है. मंडी मालिक का कहना है कि जिस तरीके से सावन में किसानों का हुजूम आया करता था, वह अब 10 परसेंट भी नहीं है. इसकी वजह से माला फूल के रेट 90 से 100 पर्सेंट तक बढ़ चुके हैं और लोग फूलों को भी कम खरीद रहे हैं. इसकी वजह से किसान भी मंडी में कम आ रहे हैं.

फूल किसानों के लिए मुसीबत.

माला फूल कम आने की वजह से किसानों को बेहद नुकसान उठाना पड़ रहा है. वैसे तो बनारस के सभी मंदिरों को आमजन के लिए खोला नहीं गया है, लेकिन कुछ बड़े मंदिर हैं, जिनमें दर्शन पूजन हो रहा है. साथ ही किसान माला मंडी से उन मंदिरों को ही सप्लाई हो रही है.

बात करें काशी की तो काशी में तमाम ऐसे मंदिर हैं जो बंद चल रहे हैं. लोग अपने घरों में ही पूजन अर्चन कर रहे हैं. सावन का महीना पूरा 1 महीने चलने की वजह से लोगों का हुजूम मंदिरों पर देखा जा सकता था, मगर प्रशासन और कोरोना वायरस की वजह से लोग सोशल डिस्टेंसिंग का बखूबी पालन करते नजर आ रहे हैं.

सावन के पहले सोमवार को भी लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया है और बाबा विश्वनाथ मंदिर में भीड़ देखी जा सकती है. अन्य मंदिरों में कम से कम भीड़ हो रही है और लोग माला खरीदने के लिए मार्केट जा रहे हैं, जहां जाकर फूल और माला के भाव सुन पीछे हट जा रहे हैं.

वाराणसी: बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में सावन में ऐसे तो पूरे महीने कांवरियों का हुजूम देखने के लिए मिल सकता है, लेकिन कोरोना महामारी को देखते हुए प्रशासन ने पूरी तरीके से कांवरियों का आना प्रतिबंधित कर दिया है. वही बात करें बाबा को चढ़ने वाले फूल और माला की तो मदार की माला मिलना बेहद ही मुश्किल हो गया है. यही नहीं कोलकाता से आने वाली माला भी नहीं आ रही है.

वाराणसी के किसान फूल मंडी की अगर बात करें तो पहले की तरह भीड़ नहीं दिख रही है. मंडी मालिक का कहना है कि जिस तरीके से सावन में किसानों का हुजूम आया करता था, वह अब 10 परसेंट भी नहीं है. इसकी वजह से माला फूल के रेट 90 से 100 पर्सेंट तक बढ़ चुके हैं और लोग फूलों को भी कम खरीद रहे हैं. इसकी वजह से किसान भी मंडी में कम आ रहे हैं.

फूल किसानों के लिए मुसीबत.

माला फूल कम आने की वजह से किसानों को बेहद नुकसान उठाना पड़ रहा है. वैसे तो बनारस के सभी मंदिरों को आमजन के लिए खोला नहीं गया है, लेकिन कुछ बड़े मंदिर हैं, जिनमें दर्शन पूजन हो रहा है. साथ ही किसान माला मंडी से उन मंदिरों को ही सप्लाई हो रही है.

बात करें काशी की तो काशी में तमाम ऐसे मंदिर हैं जो बंद चल रहे हैं. लोग अपने घरों में ही पूजन अर्चन कर रहे हैं. सावन का महीना पूरा 1 महीने चलने की वजह से लोगों का हुजूम मंदिरों पर देखा जा सकता था, मगर प्रशासन और कोरोना वायरस की वजह से लोग सोशल डिस्टेंसिंग का बखूबी पालन करते नजर आ रहे हैं.

सावन के पहले सोमवार को भी लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया है और बाबा विश्वनाथ मंदिर में भीड़ देखी जा सकती है. अन्य मंदिरों में कम से कम भीड़ हो रही है और लोग माला खरीदने के लिए मार्केट जा रहे हैं, जहां जाकर फूल और माला के भाव सुन पीछे हट जा रहे हैं.

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