मिर्जापुर: पूर्वांचल का पहला रोप-वे बनकर तैयार हो गया है. अब इंतजार सिर्फ लोकार्पण का है. सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो इस शारदीय नवरात्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसका उद्घाटन कर सकते हैं. जिसके बाद यहां आने वाले श्रद्धालु इस रोप-वे की मदद से त्रिकोण दर्शन कर सकेंगे और साथ ही विंध्य पर्वत श्रृंखला की पहाड़ियों से मनोरम दृश्य का लुफ्त भी उठा सकेंगे.
पर्यटन विभाग की ओर रोप-वे का निर्माण कराए जाने के बाद अब विंध्याचल में पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा. वहीं अब ऊंची पहाड़ियों पर स्थित मां काली और मां अष्ठभुजा का दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं को सीढ़ियां नहीं चढ़नी पड़ेंगी. रोप-वे के जरिए श्रद्धालु सिर्फ चंद मिनट में मंदिर में पहुंच कर दर्शन कर सकेंगें.
दो पार्ट में बनाया गया रोप-वे
करीब आधा किलोमीटर लम्बे रोप वे को दो पार्ट में बनाया गया है. काली खोह मन्दिर से अष्टभुजा मन्दिर के बीच बने रोप-वे के पहले पार्ट की लंबाई 286 मीटर हैं तो दूसरा पार्ट अष्टभुजा पहाड़ से नीचे सड़क तक चलाया जाएगा. जिसकी लम्बाई 180 मीटर हैं. इससे माता अष्टभुजा देवी के दर्शन के लिए भक्तों को करीब डेढ़ सौ सीढ़ी चढ़ने उतरने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
आसानी से दर्शन कर सकेंगें श्रद्धालु
विंध्य धाम में वैसे तो साल भर मां विंध्यवासिनी, मां काली खोह और मां अष्टभुजा के दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं. मगर नवरात्रि में मां के भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है. मां विंध्यवासिनी का दर्शन करने के बाद श्रद्धालु त्रिकोण दर्शन करना नहीं भूलते हैं. श्रद्धालु 12 किलोमीटर की पैदल यात्रा और सीढ़ियों पर चलने के बाद मां काली और मां अष्ठभुजा का दर्शन करते हैं. अब श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी का दर्शन करने के बाद रोप-वे के माध्यम से महाकाली, काली खोह और मां अष्टभुजा का आसानी से दर्शन करेंगे. इतना ही नहीं अब सैलानी रोप-वे से मनोरम पहाड़ी दृश्य देख पाएंगे.
2014 से हो रहा था रोप-वे का निर्माण
इस रोप-वे का निर्माण दिल्ली की एक कंपनी वर्ष 2014 से करा रही है. करीब 6 वर्ष के बाद रोप-वे अब जाकर पूरी तरह से तैयार हो गया है. 286 मीटर ऊंचे रोप-वे से अष्टभुजा से काली खो मंदिर तक पहुंचने में अब सिर्फ 2 मिनट लगेंगे. इसकी टेस्टिंग का काम पूरा हो चुका है, दोनों रोप-वे की टेक्निकल क्लीयरेंस भी जुलाई में हो चुकी है. श्रद्धालुओं के लिए रोप-वे से आने-जाने का किराया शासन के नियमों के तहत होगा.
1650 करोड़ रुपये आई लागत
जिलाधिकारी ने बताया कि दोनों रोप-वे की लागत 1650 करोड़ रुपये आई है. दिल्ली की एक निजी कंपनी ने इसे पीपीपी मॉडल पर बनाया है. रोपवे बनकर पूरी तरह से तैयार हो गया है. इसका संचालन शुरू हो जाने से पर्यटन को बहुत फायदा होगा.
स्थानीय लोगों में भी खुशी
रोप-वे बन जाने से स्थानीय लोगों में भी खुशी है. उनका मानना है कि, रोप-वे का संचालन का शुरू होने के बाद यहां पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी. इससे स्थानीय लोगों को रोजगार में बढ़ावा मिलेगा. साथ ही मां के दर्शन के लिए ऊंची पहाड़ियों पर 150 सीढ़ियों पर भक्तों को नहीं चढ़ना पड़ेगा. यह सरकार की एक बड़ी सौगात हैं.