वाराणसी: 18 मार्च को होली का पर्व मनाया जाएगा और इसके पहले धर्मनगरी वाराणसी में सोमवार को रंगभरी एकादशी का पर्व मनाए जाने के बाद होली का उत्साह चरम पर है. हर तरफ होली का हुड़दंग शुरू हो चुका है. अपने आराध्य देव आदि देव महादेव के साथ भक्तों ने कोविड-19 का डर भूल कर जमकर होली खेली है. 358 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए महंत आवास से शुरू हुआ होली का हुड़दंग श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर तक दिखाई दिया. विश्वनाथ धाम निर्माण के बाद पहली बार इतने बड़े स्तर पर होली की तैयारी विश्वनाथ मंदिर में हुई. यहां पर विशेष कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया, जहां पर भक्तों ने जमकर अबीर गुलाल उड़ाया और अपने आराध्य के साथ होली का आनंद लिया.
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मान्यता है कि भोलेनाथ काशी में आज के दिन अपनी अर्धांगिनी माता पार्वती का गौना कराने के लिए पहुंचते हैं. भगवान भोलेनाथ की चल रजत प्रतिमा भक्तों के कंधे पर रजत पालकी पर सवार होकर निकलती है. शहर भ्रमण करने के बाद भोलेनाथ की यह प्रतिमा विश्वनाथ मंदिर में पहुंचती है. जहां मुख्य शिवलिंग के ऊपर भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती को गोद में लिए गणेश की प्रतिमा के साथ स्थापित किया जाता है. इसके बाद काशी विश्वनाथ मंदिर में भी जमकर होली होती है. पूरी रात होने वाले होली के हुड़दंग के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाएगा. इस बार पहला ऐसा मौका था जब बाबा भोलेनाथ चांदी की नई पालकी में सवार होकर निकले हैं, जो विशेष तौर पर कश्मीर और दिल्ली के भक्तों की तरफ से भेंट की गई 11 किलो खास चांदी से तैयार की गई है. इसमें लकड़ी भी कश्मीर से भेजे गए अखरोट व अन्य पेड़ों की लगाई गई है.