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स्मृति विशेषः काशी के गलियों में मशहूर संतूरवादक पंडित शिवकुमार शर्मा ने सीखी थी संगीत की बारीकियां

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Published : May 10, 2022, 5:07 PM IST

मशहूर संतूरवादक पद्मविभूषण से सम्मानित पंडित शिवकुमार शर्मा का 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया. पं. शिवकुमार शर्मा का काशी से अटूट रिश्ता था. ये रिश्ता क्या था यह जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर...

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मशहूर संतूरवादक पंडित शिवकुमार शर्मा

वाराणसी: मशहूर संतूरवादक पद्मविभूषण से सम्मानित पंडित शिवकुमार शर्मा का 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया. पं. शिवकुमार शर्मा पिछले छह महीनों से किडनी संबंधित समस्याओं से पीड़ित थे और डायलिसिस पर थे. प्रख्यात संतूरवादक पद्मविभूषण पंडित शिवकुमार शर्मा के निधन से हर कोई दुखी है. आज हम आपको उनके काशी से वह जुड़ाव बताने जा रहे हैं, जो उनके 10 साल की अवस्था से सीधे तौर पर रहा है. अपने पिता की उंगलियां पकड़कर काशी की गलियों में संगीत की बारीकियां सीखने से लेकर काशी के प्रख्यात संगीतकारों के प्रति गहरा लगाव रखने वाले पंडित शिवकुमार शर्मा यहां में कई संगीत के बड़े कार्यक्रमों के अलावा हर साल होने वाले संकट मोचन संगीत समारोह में सहभागिता सीधे तौर पर रहती थी.

मुख्यमंत्री ने जताया दुःख
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रख्यात संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा जी के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है. अपने शोक संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा है कि सरल स्वभाव और आत्मा को सम्मोहित करने वाले संगीत कला के पारंगत पंडित शिवकुमार जी मां सरस्वती के अनन्य साधक थे. कला-संगीत के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से अलंकृत किया था. उनके निधन से संगीत जगत में एक विराट शून्य उत्पन्न हुआ है. शोकाकुल परिजनों और शिष्यों के प्रति शोक संवेदना प्रकट करते मुख्यमंत्री ने शिवकुमार जी की आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है.

काशी से रिश्ताः कबीरचौरा और बनारस घराने के शास्त्रीय गायक पंडित अनूप कुमार मिश्रा ने बताया कि पंडित शिवकुमार शर्मा के पिता पंडित उमादत्त शर्मा अपने पर नाना पंडित बड़े रामदास जी मिश्र से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली थी. उन्होंने बताया कि उस वक्त उनके पिता उमादत्त शर्मा एवं मेरे नाना पंडित हरिशंकर मिश्र एक साथ पंडित बड़े रामदास मिश्र से संगीत की शिक्षा और संगीत की बारीकियों को सीखते थे.

पंडित अनूप मिश्रा ने बताया कि जब पंडित शिवकुमार शर्मा के पिता काशी में आकर रहते थे और उनके घर पर ही खाना खाते थे. यहीं संगीत की साधना में लीन रहते थे. उस वक्त 10 से 12 साल की अवस्था में पंडित शिवकुमार शर्मा पिता के साथ काशी आकर संगीत की ओर आकर्षित होते थे. उनके पिता ने यहां से संगीत और गायन की शिक्षा लेने के बाद अपने पुत्र शिवकुमार शर्मा को शास्त्रीय संगीत और गायन में पारंगत बनाने का काम किया. पंडित अनूप मिश्रा ने बताया कि बहुत कम लोगों को पता है कि पंडित शिवकुमार मिश्र सिर्फ संतूर वादन में ही नहीं, बल्कि शास्त्रीय गायन शास्त्रीय नृत्य एवं तबला वादन में भी मझे हुए खिलाड़ी थे. शायद यही वजह है उन्होंने 1965 में आई सुपरहिट फिल्म 'गाइड' मूवी में पिया तोसे नैना लागे रे में तबला वादन का कार्य किया था वह गाना सुपर डुपर हिट हुआ था.

पढ़ेंः पुण्यतिथि स्पेशल: कैफी आजमी...11 साल की उम्र में लिखी थी अपनी पहली गजल, पढ़िए कुछ अनछुए पहलू

पंडित अनूप कुमार मिश्र ने बताया कि बनारस से पंडित शिवकुमार शर्मा का गहरा जुड़ाव रहा है. अपने बचपन से ही काशी में आने की वजह से वह अपने पिता उमा दत्त शर्मा के साथ संगीत की शिक्षा लेने वाले पंडित हरिशंकर मिश्र को चाचा जी कहकर संबोधित करते थे. पंडित हरिशंकर मिश्र मेरे नाना थे और मेरे गुरु भी. जब नवंबर 1990 में उनका निधन हुआ, उस वक्त पंडित शिवकुमार शर्मा ने काशी आकर उनकी स्मृति में दो दिवसीय एक आयोजन संगीत का करने की इच्छा जाहिर की थी. उस वक्त यह आयोजन पूरी तरह से हाउसफुल हुआ था. 25 हजार के टिकट कलेक्शन व अन्य सहयोग से आई धनराशि को उस वक्त उन्होंने पंडित हरिशंकर मिश्र की पत्नी को समर्पित करके अपनी सच्ची श्रद्धांजलि स्वर्गीय हरिशंकर मिश्र को समर्पित की थी.

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वाराणसी: मशहूर संतूरवादक पद्मविभूषण से सम्मानित पंडित शिवकुमार शर्मा का 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया. पं. शिवकुमार शर्मा पिछले छह महीनों से किडनी संबंधित समस्याओं से पीड़ित थे और डायलिसिस पर थे. प्रख्यात संतूरवादक पद्मविभूषण पंडित शिवकुमार शर्मा के निधन से हर कोई दुखी है. आज हम आपको उनके काशी से वह जुड़ाव बताने जा रहे हैं, जो उनके 10 साल की अवस्था से सीधे तौर पर रहा है. अपने पिता की उंगलियां पकड़कर काशी की गलियों में संगीत की बारीकियां सीखने से लेकर काशी के प्रख्यात संगीतकारों के प्रति गहरा लगाव रखने वाले पंडित शिवकुमार शर्मा यहां में कई संगीत के बड़े कार्यक्रमों के अलावा हर साल होने वाले संकट मोचन संगीत समारोह में सहभागिता सीधे तौर पर रहती थी.

मुख्यमंत्री ने जताया दुःख
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रख्यात संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा जी के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है. अपने शोक संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा है कि सरल स्वभाव और आत्मा को सम्मोहित करने वाले संगीत कला के पारंगत पंडित शिवकुमार जी मां सरस्वती के अनन्य साधक थे. कला-संगीत के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से अलंकृत किया था. उनके निधन से संगीत जगत में एक विराट शून्य उत्पन्न हुआ है. शोकाकुल परिजनों और शिष्यों के प्रति शोक संवेदना प्रकट करते मुख्यमंत्री ने शिवकुमार जी की आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है.

काशी से रिश्ताः कबीरचौरा और बनारस घराने के शास्त्रीय गायक पंडित अनूप कुमार मिश्रा ने बताया कि पंडित शिवकुमार शर्मा के पिता पंडित उमादत्त शर्मा अपने पर नाना पंडित बड़े रामदास जी मिश्र से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली थी. उन्होंने बताया कि उस वक्त उनके पिता उमादत्त शर्मा एवं मेरे नाना पंडित हरिशंकर मिश्र एक साथ पंडित बड़े रामदास मिश्र से संगीत की शिक्षा और संगीत की बारीकियों को सीखते थे.

पंडित अनूप मिश्रा ने बताया कि जब पंडित शिवकुमार शर्मा के पिता काशी में आकर रहते थे और उनके घर पर ही खाना खाते थे. यहीं संगीत की साधना में लीन रहते थे. उस वक्त 10 से 12 साल की अवस्था में पंडित शिवकुमार शर्मा पिता के साथ काशी आकर संगीत की ओर आकर्षित होते थे. उनके पिता ने यहां से संगीत और गायन की शिक्षा लेने के बाद अपने पुत्र शिवकुमार शर्मा को शास्त्रीय संगीत और गायन में पारंगत बनाने का काम किया. पंडित अनूप मिश्रा ने बताया कि बहुत कम लोगों को पता है कि पंडित शिवकुमार मिश्र सिर्फ संतूर वादन में ही नहीं, बल्कि शास्त्रीय गायन शास्त्रीय नृत्य एवं तबला वादन में भी मझे हुए खिलाड़ी थे. शायद यही वजह है उन्होंने 1965 में आई सुपरहिट फिल्म 'गाइड' मूवी में पिया तोसे नैना लागे रे में तबला वादन का कार्य किया था वह गाना सुपर डुपर हिट हुआ था.

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पंडित अनूप कुमार मिश्र ने बताया कि बनारस से पंडित शिवकुमार शर्मा का गहरा जुड़ाव रहा है. अपने बचपन से ही काशी में आने की वजह से वह अपने पिता उमा दत्त शर्मा के साथ संगीत की शिक्षा लेने वाले पंडित हरिशंकर मिश्र को चाचा जी कहकर संबोधित करते थे. पंडित हरिशंकर मिश्र मेरे नाना थे और मेरे गुरु भी. जब नवंबर 1990 में उनका निधन हुआ, उस वक्त पंडित शिवकुमार शर्मा ने काशी आकर उनकी स्मृति में दो दिवसीय एक आयोजन संगीत का करने की इच्छा जाहिर की थी. उस वक्त यह आयोजन पूरी तरह से हाउसफुल हुआ था. 25 हजार के टिकट कलेक्शन व अन्य सहयोग से आई धनराशि को उस वक्त उन्होंने पंडित हरिशंकर मिश्र की पत्नी को समर्पित करके अपनी सच्ची श्रद्धांजलि स्वर्गीय हरिशंकर मिश्र को समर्पित की थी.

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