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Research on Ramayana: रामायण शोध पीठ से सुलझेगा रामचरितमानस का विवाद, चौपाई पढ़ने पर मिलेगा डिप्लोमा - रामायण पर शोध

वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में रामचरित मानस पर शोध के पीठ का गठन किया जा रहा है. इसके लिए विद्यालय में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू जाएंगे. शोध का मुख्या उद्देश्य नई पीढ़ी को सनातन धर्म और संस्कृति से परिचित कराना है.

रामायण शोध पीठ
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Published : Mar 14, 2023, 7:09 PM IST

रामायण शोध पीठ से सुलझेगा रामचरितमानस का विवाद

वाराणसी: रामचरितमानस विवाद के बीच वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में रामायण शोध पीठ का गठन होने जा रहा है. जहां बकायदा रामचरितमानस, रामायण की चौपाइयों पर शोध और विश्लेषण किया जाएगा. इसी के साथ डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स का भी संचालन किया जाएगा. इस शोध पीठ में देशभर में अलग-अलग भाषाओं में उपलब्ध रामचरितमानस व रामायण की पुस्तकों का संकलन किया जाएगा. इन सभी पुस्तकों का आलोचनात्मक विश्लेषण भी किया जाएगा. जिसका खाका तैयार हो गया है. इसका उद्देश्य नई पीढ़ी को सनातन धर्म, संस्कृति व प्रबंध शास्त्र से परिचित कराना है.

संस्कृत विश्वविद्यालय में स्थापित होगा रामायण शोधपीठ: विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरे राम त्रिपाठी ने बताया कि प्राचीन काल में समाज की व्यवस्था कैसी थी, पर्यावरण कैसा था, शहरों की व्यवस्था कैसी थी, नदियों का क्या महत्व था और वनों का हम सम्मान कैसे करते थे. इन सभी का दिग्दर्शन करते हुए नया शोध कार्य कराया जाएगा. सीएम योगी की यह योजना है. भारत प्राचीन काल में जिस तरह से विकसित था उसकी नवीनता को ध्यान में रखते हुए कैसे विकसित किया जाए. इस पर चर्चा होगी.

मिलेगा डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स: उन्होंने बताया कि इन सभी चीजों को ध्यान में रखकर रामायण पर शोध पीठ की स्थापना की जा रही है. इस विभाग से डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स भी चलाए जाएंगे. इसके साथ ही जो रामायण पर प्रवचन दिए जाते हैं, उस तरीके से पाठ्यक्रम चलाए जाएंगे. रामायण के विद्वानों से उद्बोधन कराया जाएगा. इससे नई परिपाटी शुरू होगी.

चौपाइयों पर भी किया जाएगा शोध: प्रो. त्रिपाठी ने चौपाइयों के विश्लेषण किए जाने के सावल पर कहा कि रामचरितमानस में जो भी चौपाई हैं, उनके अनेक अर्थ है. समाज को किस तरह से एक करके, समाज को बांधकर के कैसे रखा जा सकता है, कैसे समाज को एकसाथ लेकर चला जा सकता है. तुलसीदास जी ने इसका विवेचन किया है. इस पर भी हम लोग शोध कार्य करेंगे.

सरकार से की जा रही स्टाफ की मांग: उन्होंने बताया कि पर्यटन मंत्री के पास इससे संबंधित योजना को भेजा जाएगा. अभी हम इसके पंच वर्षीय योजना पर काम कर रहे हैं. एक आचार्य, दो सह आचार्य, जिसमें एक एसोशिएट प्रोफेसर और एक प्रोफेसर के साथ ही चार असिसटेंट प्रोफेसर की मांग कर रहे हैं. कुछ स्टाफ भी होगा.

महिलाओं को भी जोड़ने का प्रयास: प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि आगे चलकर इस पाठ्यक्रम को हम ऑनलाइन भी चला सकते हैं. जिससे समाज के सामान्य वर्ग को जैसे परिवार की मां और बहनें घर में रहती हैं. उन्हें जोड़ने का काम किया जाएगा. सामाजिक समरसता कायम हो, इसका भी ध्यान रखा जाएगा.


यह भी पढ़ें:गंगा किनारे रहने वाले किसानों के लिए ब्रांड गंगा बनेगी वरदान

रामायण शोध पीठ से सुलझेगा रामचरितमानस का विवाद

वाराणसी: रामचरितमानस विवाद के बीच वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में रामायण शोध पीठ का गठन होने जा रहा है. जहां बकायदा रामचरितमानस, रामायण की चौपाइयों पर शोध और विश्लेषण किया जाएगा. इसी के साथ डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स का भी संचालन किया जाएगा. इस शोध पीठ में देशभर में अलग-अलग भाषाओं में उपलब्ध रामचरितमानस व रामायण की पुस्तकों का संकलन किया जाएगा. इन सभी पुस्तकों का आलोचनात्मक विश्लेषण भी किया जाएगा. जिसका खाका तैयार हो गया है. इसका उद्देश्य नई पीढ़ी को सनातन धर्म, संस्कृति व प्रबंध शास्त्र से परिचित कराना है.

संस्कृत विश्वविद्यालय में स्थापित होगा रामायण शोधपीठ: विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरे राम त्रिपाठी ने बताया कि प्राचीन काल में समाज की व्यवस्था कैसी थी, पर्यावरण कैसा था, शहरों की व्यवस्था कैसी थी, नदियों का क्या महत्व था और वनों का हम सम्मान कैसे करते थे. इन सभी का दिग्दर्शन करते हुए नया शोध कार्य कराया जाएगा. सीएम योगी की यह योजना है. भारत प्राचीन काल में जिस तरह से विकसित था उसकी नवीनता को ध्यान में रखते हुए कैसे विकसित किया जाए. इस पर चर्चा होगी.

मिलेगा डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स: उन्होंने बताया कि इन सभी चीजों को ध्यान में रखकर रामायण पर शोध पीठ की स्थापना की जा रही है. इस विभाग से डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स भी चलाए जाएंगे. इसके साथ ही जो रामायण पर प्रवचन दिए जाते हैं, उस तरीके से पाठ्यक्रम चलाए जाएंगे. रामायण के विद्वानों से उद्बोधन कराया जाएगा. इससे नई परिपाटी शुरू होगी.

चौपाइयों पर भी किया जाएगा शोध: प्रो. त्रिपाठी ने चौपाइयों के विश्लेषण किए जाने के सावल पर कहा कि रामचरितमानस में जो भी चौपाई हैं, उनके अनेक अर्थ है. समाज को किस तरह से एक करके, समाज को बांधकर के कैसे रखा जा सकता है, कैसे समाज को एकसाथ लेकर चला जा सकता है. तुलसीदास जी ने इसका विवेचन किया है. इस पर भी हम लोग शोध कार्य करेंगे.

सरकार से की जा रही स्टाफ की मांग: उन्होंने बताया कि पर्यटन मंत्री के पास इससे संबंधित योजना को भेजा जाएगा. अभी हम इसके पंच वर्षीय योजना पर काम कर रहे हैं. एक आचार्य, दो सह आचार्य, जिसमें एक एसोशिएट प्रोफेसर और एक प्रोफेसर के साथ ही चार असिसटेंट प्रोफेसर की मांग कर रहे हैं. कुछ स्टाफ भी होगा.

महिलाओं को भी जोड़ने का प्रयास: प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि आगे चलकर इस पाठ्यक्रम को हम ऑनलाइन भी चला सकते हैं. जिससे समाज के सामान्य वर्ग को जैसे परिवार की मां और बहनें घर में रहती हैं. उन्हें जोड़ने का काम किया जाएगा. सामाजिक समरसता कायम हो, इसका भी ध्यान रखा जाएगा.


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