वाराणसीः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने उत्तर प्रदेश में दूसरी बार सत्ता की कमान संभालने के बाद गुरुवार को अपना पहला बजट पेश किया. इस बजट में वाराणसी को भी बहुत कुछ मिला, जिसमें संत कबीर के लिए 25 करोड़ की लागत से म्यूजियम का निर्माण भी शामिल है. हालांकि इस म्यूजियम की डिमांड काफी लंबे वक्त से कबीर पंथ से जुड़े लोग कर रहे थे. लेकिन देर से ही सही उनकी मांग पूरी होने के बाद अब वो इस काम के जल्द शुरू होने की उम्मीद होने की उम्मीद कर रहे हैं और कभी की स्मृतियों के रूप में मौजूद चीजों के संरक्षित और सुरक्षित होने के लिए इस म्यूजिक को काफी अहम मान रहे हैं.
दरअसल वाराणसी को कबीर की सबसे महत्वपूर्ण स्थली के रूप में जानी जाती है, क्यों कि वाराणसी के लहरतारा तालाब में ही कबीर का उद्भव माना जाता है. कथानों के मुताबिक काला तालाब के अंदर कमल पुष्प पर कबीर का उद्भव हुआ था. इसलिए कबीर पंथ के लिए ये स्थान सबसे महत्वपूर्ण है और योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट में ही कबीर पंथ के इस महत्वपूर्ण स्थान के कार्यक्रम की रूपरेखा भी खींचे जाने की उम्मीद यहां के महंत जता रहे हैं.
कबीर पंथियों के लिए बड़ी सौगातः
कबीर उद्भव स्थल के महंत आचार्य गोविंद दास शास्त्री का कहना है कि हम बड़े लंबे वक्त से कबीर की स्मृतियों को संजोकर रखने के लिए पिछली कई सरकारों से एक म्यूजियम की मांग कर रहे थे. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कुछ साल पहले कबीर की स्मृतियों के लिए म्यूजियम होने की बात कही थी. लेकिन अब उसे योगी सरकार पूरा कर रही है. उनका कहना था कि हम इसके लिए योगी जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देते हैं, जो उन्होंने कबीर के बारे में और कबीर पंथ से जुड़े लोगों के बारे में सोचा. वे कोई छोटे-मोटे संत नहीं थे. बल्कि उनके अनुयायी आज देश के अलग-अलग हिस्सों में बड़ी संख्या में फैले हुए हैं.
अब तक नहीं है स्मृतियों को सहेजने का कोई स्थानः
आचार्य गोविंददास शास्त्री का कहना है कि कबीर के इस जन्म स्थान पर सिर्फ एक तालाब और उसका प्राचीन मंदिर मौजूद है और सबसे पहले काशी आने के बाद कबीर पंथ से जुड़े लोग इसी स्थान पर मत्था टेकने के लिए आते हैं. लेकिन यहां पर उनकी स्मृतियों को सुरक्षित रखने के लिए कोई ऐसा स्थान नहीं है. यहां आकर लोग कबीर के बारे में जान सकेंगे. अब उत्तर प्रदेश सरकार 25 करोड़ रुपये से म्यूजियम बनवाने जा रही है, क्योंकि कबीर की तमाम स्मृतियां कबीरचौरा स्थित मूलगादी मठ में मौजूद हैं.
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यहां कबीर जिस हथकरघा को चलाते थे. उसका ताना-बाना, उनकी खड़ाऊं, जिस मटके में वो पानी पीते थे, उसके कुछ बर्तन और बाबा गोरक्षनाथ का एक त्रिशूल मौजूद है. इसके अलावा कबीर साहब के गुरु रामानंदाचार्य जी द्वारा उनको भेंट की गई. एक 1008 दाने की माला भी थी, जो पिछले दिनों चोरी हो गई जो अब तक बरामद नहीं हुई. यही वजह है कि इन चीजों को संजोकर और सुरक्षित रहना अनिवार्य है. इस म्यूजियम के बनने के बाद इन चीजों को संभाल कर रखने के अलावा उनकी स्मृतियों को लोगों के सुंदरीकरण के साथ ही पुरातन मंदिर के रिनोवेशन का कार्य जारी है. इसके बाद इस कार्य के शुरू होने से कई उम्मीदें और जग गई हैं.