वाराणसी: पूरा देश कोरोना जैसी महामारी से लड़ रहा है. सभी लोग अपने घरों में आइसोलेट हैं ताकि वह इस महामारी से बचे रहें. लोग मास्क, ग्ल्ब्स पहनकर ही घरों से बाहर निकल रहे हैं. लोग थोड़े-थोड़े समय अंतराल पर ही हैंडवाश कर रहे हैं. वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिनके पास ऐसी सुविधाएं ही नहीं हैं. दरअसल ये लोग पत्ता बीनकर दोना बनाकर बेचने वाले, भीख मांगकर गुजारा करने वाले लोग हैं. जब इनसे बातचीत की गई तो इनका कहना था कि इन्होंने कोरोना का नाम तो सुना है, लेकिन इनको पता नहीं है कि कोरोना क्या होता है. साथ ही बताया कि लॉकडाउन के समय इनकी जिंदगी बड़ी ही मुश्किल से कट रही है.
लॉकडाउन से प्रभावित हुए झुग्गी-झोपड़ी निवासी
सरकार, जिला प्रशासन और अन्य सामाजिक संस्थाएं अपने स्तर से पूरा प्रयास कर रही है कि जरूरतमंद लोगों तक भोजन की व्यवस्था हो जाए और ये लोग भूखे पेट न सोएं, लेकिन वाराणसी के काशी रेलवे स्टेशन के पास बने ओवरब्रिज के पास रहने वाले लोग यहां पर ऑटो चलाने, पत्ता बीनकर दोना बनाकर बेचने वाले, भीख मांगने वाले लोग हैं. ईटीवी भारत ने जब इनसे बातचीत की तो इनका कहना था कि इन्होंने कोरोना का नाम तो सुना है लेकिन इनको पता नहीं है कि कोरोना क्या होता है.
इन लोगों का कहना है कि लॉकडाउन के चलते जिंदगी बड़ी ही मुश्किल से कट रही है. ओवरब्रिज के पास रहने वाले लोगों की कुछ सामाजिक संस्था व प्रशासन के लोग खाने की व्यवस्था कर दे रहे हैं. झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले एक परिवार ने बताया कि उनके परिवार में छह से आठ लोग हैं. प्रशासन की तरफ से मिलने वाले उस थोड़े से भोजन में ये लोग अपने और अपने बच्चों का पेट पालन कैसे करें. दरअसल ये मजदूरी करने वाले लोग हैं, जो कि सुबह मजदूरी करते हैं और शाम को उसी कमाए हुए पैसों से अपना घर चलाते हैं.