वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी को मंदिरों का भी शहर कहा जाता है. यहां पर लाखों मंदिर हैं, लेकिन कुछ मंदिर ऐसे हैं जिन्हें देश ही नहीं, बल्कि विदेश तक लोग जानते हैं. उनमें से एक है दुर्गाकुंड स्थित लाल पत्थर का बना कुष्मांडा देवी का दुर्गा मंदिर. वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौर में 20 मार्च से मंदिर को आम दर्शनार्थियों के लिए पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया था. गुरुवार को 188 दिन बाद सुबह आरती के साथ ही मां का पट आम दर्शनार्थियों के लिए खोल दिया गया.
कब-कब होंगे दर्शन
कुष्मांडा देवी का मंदिर दो पालियों में आम दर्शनार्थियों के लिए खोला जाएगा. मंदिर सुबह 6 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक और दोपहर 2 बजे से लेकर रात्रि 9 बजे तक खुला रहेगा. जिला प्रशासन द्वारा जारी कोविड-19 के सभी नियमों के पालन के साथ ही मंदिर को खोला गया है. मंदिर में किसी भी प्रकार का फूल-माला, चुनरी चढ़ाने की अनुमति नहीं है. केवल मां की प्रतिमा के समक्ष हाथ जोड़कर दूसरे रास्ते से जाना है. मंदिर के अंदर जितने भी घंटे हैं, उनको बांध दिया गया है. किसी भी घंटे को स्पर्श करने की अनुमति नहीं है. भक्तों को मंदिर प्रांगण में प्रवेश करने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से धोना है. उसके बाद हाथ सैनिटाइज कराया जा रहा है. थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है. सोशल डिस्टेंसिंग को देखते हुए जगह-जगह एक निश्चित गोला बनाया गया है.
मंदिर का महत्व
कुष्मांडा देवी मां के नौ रूपों में से एक हैं. इसे जिले के दुर्गा मंदिर के नाम से जाना जाता है. यह मंदिर बहुत ही पुरातन मंदिर है. इस मंदिर का उल्लेख काशी खंड में भी मिलता है. इस मंदिर में माता दुर्गा यंत्र के रूप में विराजमान हैं. मंदिर के निकट ही अन्य देवी-देवताओं के मंदिर हैं. भैरवनाथ, सरस्वती देवी, लक्ष्मी देवी और माता काली की मूर्ति भी स्थापित है. मंदिर के पास एक अति प्राचीन पोखरा है. शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र में यहां पर बहुत ही भीड़ होता है. ऐसी मानता है कि नौ दिन दर्शन करने से मनोकामना पूर्ण होती है.
मंदिर के पुजारी कौशलप्रति द्विवेदी ने बताया कि 188 दिन बाद मां के कपाट आम दर्शनार्थियों के लिए खोले गए हैं. लगभग 6 महीने में हम लोगों ने मां की सेवा उसी प्रकार से की जैसा आदिकाल से होता आ रहा है. ऐसे में मंदिर का रंग-रोगन किया गया है. जिला प्रशासन की कोविड-19 की जो भी नियमावली है, उसका पालन करते हुए मंदिर में दर्शन की अनुमति दी जा रही है.