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Doctor's Day: इस डॉक्टर में दिखा 'धरती के भगवान का रूप', मौत से जंग लड़ मरीजों को दिया जीवनदान

डॉक्टरों को सम्मान देने के लिए हर साल 1 जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है और इस दिन उनके द्वारा किए गए योगदान को याद किया जाता है.

Doctor's Day
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Published : Jul 1, 2021, 10:31 AM IST

Updated : Jul 1, 2021, 12:04 PM IST

वाराणसीः डॉक्टर को यूं ही भगवान का दर्जा नहीं दिया जाता इसके पीछे उनकी मेहनत और लगन नजर आती है. जब कोई शख्स बीमार होता है या फिर उसको गंभीर चोटे आती हैं तो ऐसे मुश्किल वक्त में वो डॉक्टर के पास ही जाता है. डॉक्टर मरीज का इलाज कर उसे ठीक कर देते हैं. बात कोरोना संक्रमण की करें तो इस मुश्किल भरे हालात में डॉक्टर्स की अहमियत को लोगों ने पहचाना. उनके योगदान को समझने की कोशिश की. ईटीवी भारत आपको काशी में रहने वाले ऐसे ही धरती के एक भगवान यानि डॉक्टर घनश्याम श्रीवास्तव से मिलाने जा रहा है, जिसने अपना पूरा जीवन मरीजों की सेवा में समर्पित कर दिया.

दूसरों के लिए समर्पित डॉक्टरों का जीवन

कोरोना काल में वाराणसी के मंडलीय अस्पताल में चेस्ट रोग विशेषज्ञ और वरिष्ठ परामर्शदाता डॉक्टर घनश्याम श्रीवास्तव का फेफड़ा 67 फीसदी खराब हो गया है. इसके बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी. बल्कि खुद को मजबूत कर लगातार कोविड वार्ड में जाकर ड्यूटी की और मरीजों की सेवा की. अपने सेवा भाव से उन्होंने मरीजों को नई जिंदगी देने के साथ-साथ स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई मिसाल भी पेश की है.

मौत से जंग लड़ मरीजों को दिया जीवनदान

इंफेक्शन होने के बाद भी नहीं मानी हार

डॉक्टर घनश्याम श्रीवास्तव के मुताबिक उन्हें कोरोना काल की पहली लहर में ही उन्हें कोरोना संक्रमण हो गया. इसके तहत 67 फीसदी फेफड़ा भी खराब हो गया. इस दौरान उन्होंने खुद को क्वारंटाइन किया और अन्य डॉक्टर मित्रों से सलाह लेकर खुद का इलाज शुरू किया. रिकवर होने के 3 दिन बाद ही उन्होंने दोबारा कोरोना मरीजों की सेवा शुरू कर दी. इतना ही नहीं उन्होंने कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में भी अपना योगदान दिया. डॉक्टर घनश्याम के मुताबिक संक्रमण काल में मरीजों की सेवा सबसे ज्यादा जरूरी है.

30 साल से दे रहे सेवा

डॉक्टर घनश्याम श्रीवास्तव मूल रूप से भदोही जिले के रहने वाले हैं. उन्होंने 1991 से मेडिकल सेवा की शुरुआत. वो बीते 30 सालों से विभाग में मरीजों की सेवा कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि प्रतापगढ़ के बाद वो वाराणसी में सेवा दे रहे हैं. उन्होंने मेडिकल ऑफिसर के रूप में भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है. ईटीवी से बातचीत में उन्होंने कहा कि पता ही नहीं चला जीवन का ये 30 साल कहां बीत गया. ऐसा लग रहा है मानो कल की बात है जब विभाग को हमने ज्वाइन किया. उन्होंने बताया कि अगले महीने जुलाई में वो रिटायर हो जाएंगे. विभाग में कई सारी चुनौतियों के साथ-साथ उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है.

लोगों के लिए हैं प्रेरणा

मण्डलीय अस्पताल के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एस बी उपाध्याय ने कहा कि डॉक्टर घनश्याम श्रीवास्तव हम सबके लिए प्रेरणा हैं. उन्होंने कहा कि कोविड के दौरान डॉक्टर श्रीवास्तव गम्भीर रूप से संक्रमित हुए थे. लेकिन इसके बाद भी इन्होंने हार नहीं मानी बल्कि इलाज़ करके स्वथ्य हुए और उसके तुरन्त बाद फिर कोविड मरीज़ो की सेवा में जुट गए. उन्होंने कहा कि डॉक्टर श्रीवास्तव इस अस्पताल की मुख्य धुरी हैं. अगर यहां का चेस्ट विभाग जाना जाता है तो डॉक्टर श्रीवास्तव के बदौलत. उन्होंने मरीजों के साथ- साथ सभी डॉक्टरों को भी सम्भाला है.

डॉक्टरों के लिए सुरक्षा की हो व्यवस्था

वहीं दोनों डॉक्टर ने संयुक्त रूप से कहा कि चिकित्सक अपनी जान जोखिम में डालकर मरीज की रक्षा करते हैं, क्यों कि हमने हमारे ट्रेनिंग के दौरान ये शपथ ली है. लेकिन इस दौरान हम डॉक्टर हमेशा असुरक्षित महसूस करते हैं. मरीज हमारे साथ दुर्व्यहार करते हैं और हमें कोई सुरक्षा नहीं मिलती है. हमारी सरकार से ये मांग है कि सरकार सभी डॉक्टरों की सुरक्षा की व्यवस्था करें. इसके साथ ही विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ-साथ एक बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर भी बनाए, जहां डॉक्टर मरीजों का बेहतर इलाज कर सकें.

वाराणसीः डॉक्टर को यूं ही भगवान का दर्जा नहीं दिया जाता इसके पीछे उनकी मेहनत और लगन नजर आती है. जब कोई शख्स बीमार होता है या फिर उसको गंभीर चोटे आती हैं तो ऐसे मुश्किल वक्त में वो डॉक्टर के पास ही जाता है. डॉक्टर मरीज का इलाज कर उसे ठीक कर देते हैं. बात कोरोना संक्रमण की करें तो इस मुश्किल भरे हालात में डॉक्टर्स की अहमियत को लोगों ने पहचाना. उनके योगदान को समझने की कोशिश की. ईटीवी भारत आपको काशी में रहने वाले ऐसे ही धरती के एक भगवान यानि डॉक्टर घनश्याम श्रीवास्तव से मिलाने जा रहा है, जिसने अपना पूरा जीवन मरीजों की सेवा में समर्पित कर दिया.

दूसरों के लिए समर्पित डॉक्टरों का जीवन

कोरोना काल में वाराणसी के मंडलीय अस्पताल में चेस्ट रोग विशेषज्ञ और वरिष्ठ परामर्शदाता डॉक्टर घनश्याम श्रीवास्तव का फेफड़ा 67 फीसदी खराब हो गया है. इसके बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी. बल्कि खुद को मजबूत कर लगातार कोविड वार्ड में जाकर ड्यूटी की और मरीजों की सेवा की. अपने सेवा भाव से उन्होंने मरीजों को नई जिंदगी देने के साथ-साथ स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई मिसाल भी पेश की है.

मौत से जंग लड़ मरीजों को दिया जीवनदान

इंफेक्शन होने के बाद भी नहीं मानी हार

डॉक्टर घनश्याम श्रीवास्तव के मुताबिक उन्हें कोरोना काल की पहली लहर में ही उन्हें कोरोना संक्रमण हो गया. इसके तहत 67 फीसदी फेफड़ा भी खराब हो गया. इस दौरान उन्होंने खुद को क्वारंटाइन किया और अन्य डॉक्टर मित्रों से सलाह लेकर खुद का इलाज शुरू किया. रिकवर होने के 3 दिन बाद ही उन्होंने दोबारा कोरोना मरीजों की सेवा शुरू कर दी. इतना ही नहीं उन्होंने कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में भी अपना योगदान दिया. डॉक्टर घनश्याम के मुताबिक संक्रमण काल में मरीजों की सेवा सबसे ज्यादा जरूरी है.

30 साल से दे रहे सेवा

डॉक्टर घनश्याम श्रीवास्तव मूल रूप से भदोही जिले के रहने वाले हैं. उन्होंने 1991 से मेडिकल सेवा की शुरुआत. वो बीते 30 सालों से विभाग में मरीजों की सेवा कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि प्रतापगढ़ के बाद वो वाराणसी में सेवा दे रहे हैं. उन्होंने मेडिकल ऑफिसर के रूप में भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है. ईटीवी से बातचीत में उन्होंने कहा कि पता ही नहीं चला जीवन का ये 30 साल कहां बीत गया. ऐसा लग रहा है मानो कल की बात है जब विभाग को हमने ज्वाइन किया. उन्होंने बताया कि अगले महीने जुलाई में वो रिटायर हो जाएंगे. विभाग में कई सारी चुनौतियों के साथ-साथ उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है.

लोगों के लिए हैं प्रेरणा

मण्डलीय अस्पताल के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एस बी उपाध्याय ने कहा कि डॉक्टर घनश्याम श्रीवास्तव हम सबके लिए प्रेरणा हैं. उन्होंने कहा कि कोविड के दौरान डॉक्टर श्रीवास्तव गम्भीर रूप से संक्रमित हुए थे. लेकिन इसके बाद भी इन्होंने हार नहीं मानी बल्कि इलाज़ करके स्वथ्य हुए और उसके तुरन्त बाद फिर कोविड मरीज़ो की सेवा में जुट गए. उन्होंने कहा कि डॉक्टर श्रीवास्तव इस अस्पताल की मुख्य धुरी हैं. अगर यहां का चेस्ट विभाग जाना जाता है तो डॉक्टर श्रीवास्तव के बदौलत. उन्होंने मरीजों के साथ- साथ सभी डॉक्टरों को भी सम्भाला है.

डॉक्टरों के लिए सुरक्षा की हो व्यवस्था

वहीं दोनों डॉक्टर ने संयुक्त रूप से कहा कि चिकित्सक अपनी जान जोखिम में डालकर मरीज की रक्षा करते हैं, क्यों कि हमने हमारे ट्रेनिंग के दौरान ये शपथ ली है. लेकिन इस दौरान हम डॉक्टर हमेशा असुरक्षित महसूस करते हैं. मरीज हमारे साथ दुर्व्यहार करते हैं और हमें कोई सुरक्षा नहीं मिलती है. हमारी सरकार से ये मांग है कि सरकार सभी डॉक्टरों की सुरक्षा की व्यवस्था करें. इसके साथ ही विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ-साथ एक बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर भी बनाए, जहां डॉक्टर मरीजों का बेहतर इलाज कर सकें.

Last Updated : Jul 1, 2021, 12:04 PM IST
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