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इस बार पांच नहीं छह दिवसीय होगा प्रकाश पर्व दीपावली, जानिए शुभ मुहूर्त और तिथि

दीपावली का त्योहार हर साल 5 दिनों तक मनाया जाता है. जिसमें दीपावली से लेकर भाई दूज तक या त्योहार मनाया जाता है. लेकिन इस बार यह पर्व पांच नहीं 6 दोनों का होगा. एक तिथि की वृद्धि की वजह से ऐसा देखने को मिलेगा. इस बार नरक चतुर्दशी और दीपावली एक दिन मनाई जाएगी.

प्रकाश पर्व दीपावली
प्रकाश पर्व दीपावली
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 8, 2023, 5:28 PM IST

इस बार पांच नहीं छह दिवसीय होगा प्रकाश पर्व दीपावली,

वाराणसी: हिंदू धर्म में कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर दीपावली का त्योहार मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक अमावस्या तिथि पर भगवान श्री राम 14 वर्षों का वनवास काटकर और लंका पर विजय हासिल कर अयोध्या लौटे थे. जिसकी खुशी में अयोध्या वासियों ने अपने राजा प्रभु राम के स्वागत में दीप जलाकर उत्सव मनाया था. तब से आज तक दीपावली मनाने की परंपरा चली आ रही है. वैसे तो दीपावली का त्योहार हर साल 5 दिनों तक मनाया जाता है. इसीलिए इसे पंचदिवसीय पर्व भी कहते हैं. जिसमें दीपावली से लेकर भाई दूज तक या त्योहार मनाया जाता है. लेकिन इस बार यह पर्व पांच नहीं 6 दोनों का होगा. एक तिथि की वृद्धि की वजह से ऐसा देखने को मिलेगा.

रूप चौदस और दीपावली एक ही दिनः संपूर्णानंद विश्वविद्यालय से जुड़े आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि पांच दिनों का महापर्व दीपावली इस वर्ष छह दिनों का होगा. इस बार तिथियों के भुक्त भोग्य यानि घटने बढ़ने के कारण दीपावली का पर्व 6 दिनों का होगा. इस साल दीपावली महापर्व की शुरुआत शुक्रवार 10 नवंबर 2023 को धनतेरस से होगी. छोटी दीपावली या रूप चौदस और दीपावली रविवार 12 नवंबर, अन्नकूट व गोवर्धन पूजा मंगलवार 14 नवंबर और भैयादूज बुधवार 15 नवंबर के साथ ही इस महापर्व का सामापन हो जाएगा. पहला पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनाध्यक्ष कुबेर के पूजन से शुरू होकर मृत्यु के देवता यमराज के लिए दीपदान तक चलेगा. दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व भी होता है. इस दिन शाम और रात के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा की जाती है. धनतेरस दीपावली का पहला दिन माना जाता है. इसके बाद नरक चतुर्दशी फिर दीपावली, गोवर्धन पूजा और आखिरी में भैयादूज का त्योहार मनाया जाता है.

क्या है भुक्त कालः ज्योतिषाचार्य ने बताया कि किसी भी तिथि के व्यतीत होने के काल को जो पूरा हो चुका है वह भुक्त काल कहलाता है. जो कल अर्थात समय भोगना या बीतना शेष है. वह भोग्य काल कहलाता है. जैसे कि 10 नवंबर को द्वादशी तिथि दोपहर 11.47 पर बीत जाएगी. यह द्वादशी तिथि का भुक्त काल हो गया है. इसके बाद त्रयोदशी तिथि का प्रवेश हो जाएगा, जोकि दूसरे दिन दोपहर 1:14 तक रहेगा. यह त्रयोदशी तिथि का भोग्य काल कहलायेगा. इसमें प्रत्येक पर्व के लिए समय निर्धारित है. धनवंतरी त्रयोदशी पर यम दीपदान प्रदोष समय में होता है. इसलिए प्रदोष काल में त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर को रहने से धनतेरस 10 नवंबर को मनाई जाएगी.

शुभ मुहूर्तः ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस बार तिथियों के भुक्त भोग्य के अंतर के कारण धनतेरस 10 नवंबर को है. लेकिन, 11 नवंबर को दोपहर 1:14 पर चतुर्दशी तिथि आ जाएगी. इस कारण 12 नवंबर को प्रातः काल में रूप चतुर्दशी का स्नान होगा. इसके अलावा 12 नवंबर को मध्याह्न 2:12 पर अमावस्या आ जाएगी. जिस कारण 12 नवंबर को ही महालक्ष्मी पूजन और दीपोत्सव मनाया जायेगा. वहीं, 14 नवंबर को कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा 9 मुहूर्त से अधिक होने पर 14 नवंबर को काशी क अन्य गोवर्धन पूजा और अन्नकूट होगा और भाई दूज का पर्व 15 नवंबर को मनाया जायेगा. आमतौर पर धनतेरस के दूसरे दिन रूप चतुर्दशी या नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है, लेकिन इस बार तिथियां के भुक्त भोग्य भोग्य के अंतर के कारण नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली और दीपावली दोनों एक ही दिन होंगे. 12 नवंबर को प्रातःकाल रूप चतुर्दशी और सायंकाल में दीपोत्सव एवं महालक्ष्मी पूजन होगा.

यह भी पढ़ें: काशी में 5 दिनों तक बांटा जाएगा खजाना, 10 नवंबर से खुलेगा माता अन्नपूर्णा का स्वर्णमई दरबार

यह भी पढ़ें: राम की पैड़ी पर 11 नवंबर को होने वाले दीपोत्सव को लेकर भूमि पूजन, जलेंगे 21 लाख दीपक

इस बार पांच नहीं छह दिवसीय होगा प्रकाश पर्व दीपावली,

वाराणसी: हिंदू धर्म में कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर दीपावली का त्योहार मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक अमावस्या तिथि पर भगवान श्री राम 14 वर्षों का वनवास काटकर और लंका पर विजय हासिल कर अयोध्या लौटे थे. जिसकी खुशी में अयोध्या वासियों ने अपने राजा प्रभु राम के स्वागत में दीप जलाकर उत्सव मनाया था. तब से आज तक दीपावली मनाने की परंपरा चली आ रही है. वैसे तो दीपावली का त्योहार हर साल 5 दिनों तक मनाया जाता है. इसीलिए इसे पंचदिवसीय पर्व भी कहते हैं. जिसमें दीपावली से लेकर भाई दूज तक या त्योहार मनाया जाता है. लेकिन इस बार यह पर्व पांच नहीं 6 दोनों का होगा. एक तिथि की वृद्धि की वजह से ऐसा देखने को मिलेगा.

रूप चौदस और दीपावली एक ही दिनः संपूर्णानंद विश्वविद्यालय से जुड़े आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि पांच दिनों का महापर्व दीपावली इस वर्ष छह दिनों का होगा. इस बार तिथियों के भुक्त भोग्य यानि घटने बढ़ने के कारण दीपावली का पर्व 6 दिनों का होगा. इस साल दीपावली महापर्व की शुरुआत शुक्रवार 10 नवंबर 2023 को धनतेरस से होगी. छोटी दीपावली या रूप चौदस और दीपावली रविवार 12 नवंबर, अन्नकूट व गोवर्धन पूजा मंगलवार 14 नवंबर और भैयादूज बुधवार 15 नवंबर के साथ ही इस महापर्व का सामापन हो जाएगा. पहला पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनाध्यक्ष कुबेर के पूजन से शुरू होकर मृत्यु के देवता यमराज के लिए दीपदान तक चलेगा. दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व भी होता है. इस दिन शाम और रात के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा की जाती है. धनतेरस दीपावली का पहला दिन माना जाता है. इसके बाद नरक चतुर्दशी फिर दीपावली, गोवर्धन पूजा और आखिरी में भैयादूज का त्योहार मनाया जाता है.

क्या है भुक्त कालः ज्योतिषाचार्य ने बताया कि किसी भी तिथि के व्यतीत होने के काल को जो पूरा हो चुका है वह भुक्त काल कहलाता है. जो कल अर्थात समय भोगना या बीतना शेष है. वह भोग्य काल कहलाता है. जैसे कि 10 नवंबर को द्वादशी तिथि दोपहर 11.47 पर बीत जाएगी. यह द्वादशी तिथि का भुक्त काल हो गया है. इसके बाद त्रयोदशी तिथि का प्रवेश हो जाएगा, जोकि दूसरे दिन दोपहर 1:14 तक रहेगा. यह त्रयोदशी तिथि का भोग्य काल कहलायेगा. इसमें प्रत्येक पर्व के लिए समय निर्धारित है. धनवंतरी त्रयोदशी पर यम दीपदान प्रदोष समय में होता है. इसलिए प्रदोष काल में त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर को रहने से धनतेरस 10 नवंबर को मनाई जाएगी.

शुभ मुहूर्तः ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस बार तिथियों के भुक्त भोग्य के अंतर के कारण धनतेरस 10 नवंबर को है. लेकिन, 11 नवंबर को दोपहर 1:14 पर चतुर्दशी तिथि आ जाएगी. इस कारण 12 नवंबर को प्रातः काल में रूप चतुर्दशी का स्नान होगा. इसके अलावा 12 नवंबर को मध्याह्न 2:12 पर अमावस्या आ जाएगी. जिस कारण 12 नवंबर को ही महालक्ष्मी पूजन और दीपोत्सव मनाया जायेगा. वहीं, 14 नवंबर को कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा 9 मुहूर्त से अधिक होने पर 14 नवंबर को काशी क अन्य गोवर्धन पूजा और अन्नकूट होगा और भाई दूज का पर्व 15 नवंबर को मनाया जायेगा. आमतौर पर धनतेरस के दूसरे दिन रूप चतुर्दशी या नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है, लेकिन इस बार तिथियां के भुक्त भोग्य भोग्य के अंतर के कारण नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली और दीपावली दोनों एक ही दिन होंगे. 12 नवंबर को प्रातःकाल रूप चतुर्दशी और सायंकाल में दीपोत्सव एवं महालक्ष्मी पूजन होगा.

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