ETV Bharat / state

गंगा की दुर्दशा पर एक्शन में डीएम, अधिकारियों को दिए ये निर्देश

वाराणसी के जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने सोमवार को गंगाजल के निर्मलीकरण का निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान उनको जहां भी खामियां दिखाई दीं, वहां अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई.

गंगा की दुर्दशा पर एक्शन में डीएम
गंगा की दुर्दशा पर एक्शन में डीएम
author img

By

Published : Jun 14, 2021, 7:35 PM IST

वाराणसी: जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा गंगाजल के निर्मलीकरण का निरीक्षण करने के लिए सोमवार को अस्सी घाट पहुंचे. निरीक्षण के दौरान उन्होंने बताया कि विशेषज्ञ काफी समय से यह चिंता व्यक्त करते रहे हैं कि गंगा के प्रवाह के कारण घाट खोखले हो रहे हैं, इससे घाटों का क्षरण हो रहा है. इसे रोकने के लिए यह सुझाव दिए गए थे कि गंगा के प्रवाह को संतुलित करने के लिए उसके समानांतर एक अन्य जल प्रवाह मार्ग विकसित कर घाटों का क्षरण रोका जा सकता है. उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग के तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा परीक्षण के पश्चात् यह प्रोजेक्ट बनाया गया, जिस पर काम हो रहा है. इससे गंगा के स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं होगा, वह यथावत रहेगी. वहीं, डीएम ने गंगा से कनेक्ट होने वाले एसटीपी में काम अधूरा होने पर अभियंताओं को जमकर फटकार लगाई.

डीएम ने नगवा स्थित पंपिंग स्टेशन का निरीक्षण किया. यहां से अस्सी नाले का मलजल रमना एसटीपी को भेजा जाता है. इस दौरान उन्होंने देखा कि नाले को टैप करने के लिए रिटेनिंग वॉल का निर्माण कार्य नहीं किया गया है, जिस पर मौके पर उपस्थित कम्पनी एस्सेल इंफ्रा के क्वलिटी इंजीनियर को जमकर फटकार लगाई और चेतावनी देते हुए 15 दिनों में काम पूरा कराने का निर्देश दिया. इस कार्य के पूर्ण होने से वाराणसी में गंगाजल वास्तव में निर्मल होगा, जिसका लोगों को दशकों से इंतज़ार था. इसके बाद सामने घाट स्थित सीवर नालों की टैपिंग का कार्य देखने पहुंचे, जहां से सीवर का पानी गंगा में जा रहा है. यहां पर नाला कनेक्ट कर डायवर्जन का कार्य चल रहा है जिसमें देरी करने और लापरवाही से काम करने पर गंगा प्रदूषण के अवर अभियंता को डांट लगाई. सीवर का पानी गंगा में गिरने से जल्द से जल्द रोके जाने का निर्देश दिया.

गंगा में शैवाल के आने की घटना का कारण पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि जल निगम, सिंचाई, गंगा प्रदूषण, पल्यूशन बोर्ड तथा प्रशासनिक अधिकारियों की टीम द्वारा जांच की गई. जांच में पाया गया कि मिर्जापुर के पुरानी टेक्नोलॉजी के एसटीपी से पानी ओवरफ्लो होकर गंगा में आया, जिसके साथ यह शैवाल बहकर आया और गंगा के पानी में उपयुक्त तापमान के कारण तेजी से विकसित हुआ. नामामि गंगे के अधिकारियों ने जर्मन कम्पनी से सम्पर्क करके बायोरेमिडियेशन केमिकल हासिल किया. इसका स्प्रे नदी में कराकर शैवाल सफलतापूर्वक नष्ट किया जा रहा है. गंगा के पानी में गिरने वाले शहर के कुछ बचे हुए नालों की भी टैपिंग की जा रही है. ये कार्य जून तक पूरा होना है. इन नालों के मलजल को एसटीपी तक पहुंचाने का कार्य प्रगति पर है.

वाराणसी: जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा गंगाजल के निर्मलीकरण का निरीक्षण करने के लिए सोमवार को अस्सी घाट पहुंचे. निरीक्षण के दौरान उन्होंने बताया कि विशेषज्ञ काफी समय से यह चिंता व्यक्त करते रहे हैं कि गंगा के प्रवाह के कारण घाट खोखले हो रहे हैं, इससे घाटों का क्षरण हो रहा है. इसे रोकने के लिए यह सुझाव दिए गए थे कि गंगा के प्रवाह को संतुलित करने के लिए उसके समानांतर एक अन्य जल प्रवाह मार्ग विकसित कर घाटों का क्षरण रोका जा सकता है. उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग के तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा परीक्षण के पश्चात् यह प्रोजेक्ट बनाया गया, जिस पर काम हो रहा है. इससे गंगा के स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं होगा, वह यथावत रहेगी. वहीं, डीएम ने गंगा से कनेक्ट होने वाले एसटीपी में काम अधूरा होने पर अभियंताओं को जमकर फटकार लगाई.

डीएम ने नगवा स्थित पंपिंग स्टेशन का निरीक्षण किया. यहां से अस्सी नाले का मलजल रमना एसटीपी को भेजा जाता है. इस दौरान उन्होंने देखा कि नाले को टैप करने के लिए रिटेनिंग वॉल का निर्माण कार्य नहीं किया गया है, जिस पर मौके पर उपस्थित कम्पनी एस्सेल इंफ्रा के क्वलिटी इंजीनियर को जमकर फटकार लगाई और चेतावनी देते हुए 15 दिनों में काम पूरा कराने का निर्देश दिया. इस कार्य के पूर्ण होने से वाराणसी में गंगाजल वास्तव में निर्मल होगा, जिसका लोगों को दशकों से इंतज़ार था. इसके बाद सामने घाट स्थित सीवर नालों की टैपिंग का कार्य देखने पहुंचे, जहां से सीवर का पानी गंगा में जा रहा है. यहां पर नाला कनेक्ट कर डायवर्जन का कार्य चल रहा है जिसमें देरी करने और लापरवाही से काम करने पर गंगा प्रदूषण के अवर अभियंता को डांट लगाई. सीवर का पानी गंगा में गिरने से जल्द से जल्द रोके जाने का निर्देश दिया.

गंगा में शैवाल के आने की घटना का कारण पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि जल निगम, सिंचाई, गंगा प्रदूषण, पल्यूशन बोर्ड तथा प्रशासनिक अधिकारियों की टीम द्वारा जांच की गई. जांच में पाया गया कि मिर्जापुर के पुरानी टेक्नोलॉजी के एसटीपी से पानी ओवरफ्लो होकर गंगा में आया, जिसके साथ यह शैवाल बहकर आया और गंगा के पानी में उपयुक्त तापमान के कारण तेजी से विकसित हुआ. नामामि गंगे के अधिकारियों ने जर्मन कम्पनी से सम्पर्क करके बायोरेमिडियेशन केमिकल हासिल किया. इसका स्प्रे नदी में कराकर शैवाल सफलतापूर्वक नष्ट किया जा रहा है. गंगा के पानी में गिरने वाले शहर के कुछ बचे हुए नालों की भी टैपिंग की जा रही है. ये कार्य जून तक पूरा होना है. इन नालों के मलजल को एसटीपी तक पहुंचाने का कार्य प्रगति पर है.

इसे भी पढ़ें:काशी के घाटों पर दिखा सफाई का अद्भुत नजारा, ये तस्वीरें आपको भी करेंगी प्रभावित

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.