वाराणसी: जिले के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय और विवादों का चोली-दामन का साथ हो गया है. हर दिन विश्वविद्यालय का कोई न कोई मामला तूल पकड़ता रहता है. बीते दिनों पांडुलिपियों में हुए हेर-फेर का मामला अभी शांत नहीं हुआ था कि ताजा मामला विश्वविद्यालय के फर्जी अभिलेखों का सामने आया है. विश्वविद्यालय से प्राप्त फर्जी डिग्रियों के सहारे जिले के परिषदीय विद्यालयों में नौकरी कर रहे 26 शिक्षकों की सेवा समाप्त करने के निर्देश दिए गए हैं.
फर्जीवाड़ा करने वाले नौकरी से होंगे बर्खास्त
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में B.Ed की डिग्री प्राप्त करने वाले शिक्षकों के फर्जी डिग्री का खुलासा एसआईटी की जांच में हुआ है. एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में उच्च शिक्षा विभाग को दोषियों पर कार्रवाई करने के लिए रिपोर्ट भेजी है. जल्द ही इन शिक्षकों को बर्खास्त कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से प्रदेश के 75 जिलों के प्राथमिक विद्यालयों में कुल 1130 लोगों ने शिक्षक की नौकरी हासिल की है, जिनके अभिलेखों की जांच जारी है.
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एफआईआर दर्ज कर धनराशि की होगी रिकवरी
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह ने बताया कि एसआईटी की जांच में स्पष्ट हुआ है कि बड़ी संख्या में शिक्षक फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी कर रहे हैं. उन सभी शिक्षकों को बर्खास्त कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी. साथ ही उनसे सेवा के दौर में अदा की गई धनराशि की भी रिकवरी की जाएगी. उन्होंने बताया कि 31 मार्च को फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर सेवापुरी ब्लॉक स्थित प्राथमिक विद्यालय कपसेठी में नियुक्त सहायक अध्यापक अर्चना पांडेय को निलंबित कर दिया गया था. उनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराई गई है. उन्होंने बताया कि उनसे 60 लाख की रिकवरी भी की जाएगी.
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अनामिका शुक्ला केस के बाद शुरू हुई जांच
अनामिका शुक्ला मामले का खुलासा होने के बाद प्रदेश सरकार ने एसआईटी की टीम का गठन किया था और फर्जीवाड़ा कर रहे लोगों के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए थे. एसआईटी ने 2004 से 2014 के बीच प्राथमिक विद्यालयों में चयनित उन शिक्षकों के अभिलेखों का दोबारा सत्यापन कराया, जिन्होंने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से फर्जी डिग्री हासिल की है. 315 शिक्षकों के डाटा सत्यापित होने पर 28 की डिग्री फर्जी मिली है. हालांकि, इनमें से दो लोगों के प्रमाण पत्र भी संदेह के घेरे में हैं.