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वाराणसी: बीएचयू के भोजपुरी अध्ययन केंद्र में लोक भाषाओं के महत्व पर हुई चर्चा - up news

वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय में भोजपुरी अध्ययन केंद्र में 'आज का समय और लोक भाषाओं का महत्व' विषय पर चर्चा हुई. कार्यक्रम में 'सोंच विचार पत्रिका' का विमोचन किया गया. कार्यक्रम का मात्र एक ही उद्देश्य था कि हम अपनी लोक भाषाओं को कैसे संरक्षित और सुरक्षित रखें.

बीएचयू के भोजपुरी अध्ययन केंद्र में लोक भाषाओं के महत्व पर हुई चर्चा.
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Published : Sep 11, 2019, 11:04 PM IST

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय में 'आज का समय और लोक भाषाओं का महत्व' विषय पर चर्चा हुई. इस परिचर्चा में यह बताया गया कि लोक भाषा आत्मा को सुख और आनंद देने का स्रोत है.

बीएचयू के भोजपुरी अध्ययन केंद्र में लोक भाषाओं के महत्व पर हुई चर्चा.

भोजपुरी भाषा लड़ रही अपने अस्तित्व की लड़ाई

हम अक्सर देखते हैं कि हमारी बहुत सी भाषाएं हैं, लेकिन जब हम अपनी लोक भाषाओं का प्रयोग करते हैं तो हमें आनंद आता है. ऐसे में लोक भाषाओं की बात के साथ भोजपुरी का विकास भी बहुत आवश्यक है. क्योंकि आज के दौर में भोजपुरी भाषा अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. ऐसे में आने वाली पीढ़ी लोक भाषाओं के साथ भोजपुरी के महत्व को जाने इस पर भी चर्चा हुई.

इसे पढ़े:- वाराणसी: बीएचयू में ताजिया जुलूस निकालने को लेकर छात्रों ने दिया धरना

भारतीय भाषा के अंतर्गत जो हमारी बोलियां हैं उनके महत्व पर चर्चा की गई. उसका मुख्य विषय ही रखा गया था 'आज का समय और हमारी लोक भाषाओं का महत्व' जिसके अंतर्गत बहुत सी बातचीत हुई. भाषाओं के महत्व के अंतर्गत जो हमारी भोजपुरी भाषा है अत्यंत ही मूल्यवान और महत्वपूर्ण है.
-श्रीप्रकाश शुक्ल, समन्वयक भोजपुरी अध्ययन केंद्र

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय में 'आज का समय और लोक भाषाओं का महत्व' विषय पर चर्चा हुई. इस परिचर्चा में यह बताया गया कि लोक भाषा आत्मा को सुख और आनंद देने का स्रोत है.

बीएचयू के भोजपुरी अध्ययन केंद्र में लोक भाषाओं के महत्व पर हुई चर्चा.

भोजपुरी भाषा लड़ रही अपने अस्तित्व की लड़ाई

हम अक्सर देखते हैं कि हमारी बहुत सी भाषाएं हैं, लेकिन जब हम अपनी लोक भाषाओं का प्रयोग करते हैं तो हमें आनंद आता है. ऐसे में लोक भाषाओं की बात के साथ भोजपुरी का विकास भी बहुत आवश्यक है. क्योंकि आज के दौर में भोजपुरी भाषा अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. ऐसे में आने वाली पीढ़ी लोक भाषाओं के साथ भोजपुरी के महत्व को जाने इस पर भी चर्चा हुई.

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भारतीय भाषा के अंतर्गत जो हमारी बोलियां हैं उनके महत्व पर चर्चा की गई. उसका मुख्य विषय ही रखा गया था 'आज का समय और हमारी लोक भाषाओं का महत्व' जिसके अंतर्गत बहुत सी बातचीत हुई. भाषाओं के महत्व के अंतर्गत जो हमारी भोजपुरी भाषा है अत्यंत ही मूल्यवान और महत्वपूर्ण है.
-श्रीप्रकाश शुक्ल, समन्वयक भोजपुरी अध्ययन केंद्र

Intro:वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय में भोजपुरी अध्ययन केंद्र में " आज का समय और लोक भाषाओं का महत्व" विषय पर चर्चा हुआ कार्यक्रम में" सोच विचार पत्रिका" का विमोचन किया गया। कार्यक्रम का मात्र एक उद्देश्य ताकि हम अपनी लोक भाषाओं को कैसे संरक्षित और सुरक्षित रखें साथ ही इसके विकास में किन-किन बातों का ध्यान दिया जाए।


Body:आज का समय और लोक भाषाओं का महत्व इस परिचर्चा में एक बात यह देखने को मिली यह बताया गया कि लोक भाषा है आत्मा को सुख और आनंद का स्रोत है जो कि हम अक्सर देखते हैं कि हमारी बहुत सी भाषाएं हैं लेकिन जब हम अपनी लोक भाषाओं का प्रयोग करते हैं तो हमें आनंद आता है इसलिए अगर हम बात करें तो हमारे यहां शादी विवाह में जो गीत गाए जाते हैं वह लोग भाषाओं पर आधारित होते हैं। ऐसे में लोक भाषाओं की बात के साथ भोजपुरी का विकास भी बहुत आवश्यक है क्योंकि आज के दौर में भोजपुरी भाषा अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है ऐसे में आने वाली पीढ़ी लोक भाषाओं के साथ भोजपुरी के महत्व को जाने इस पर यह चर्चा हुई।


Conclusion:प्रोफेसर श्रीप्रकाश शुक्ल भारतीय भाषा के अंतर्गत जो हमारी बोलियां है उनके महत्व पर चर्चा किया गया उसका मुख्य विषय ही रखा गया है आज का समय और हमारी लोक भाषाओं का महत्व तो उसके अंतर्गत बहुत सी बातचीत हुई इस पर हमें ज्यादा फोकस करेंगे इस पर बल देकर रेखांकित करेंगे कि लोग भाषाओं के महत्व के अंतर्गत जो हमारी भोजपुरी भाषा है अत्यंत ही मूल्यवान और महत्वपूर्ण है।

बाईट:-- प्रो श्रीप्रकाश शुक्ल, समन्वयक भोजपुरी अध्ययन केंद्र

अशुतोष उपध्याय
8543930778
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