ETV Bharat / state

चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन भक्तों ने किए माता चंद्रघंटा के दर्शन - वाराणसी कोरोना का मंदिरों पर असर

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. वाराणसी में भी भक्त मां चंद्रघंटा के दर्शन करने मंदिरों में पहुंचे.

नवरात्र पर कोरोना का असर
नवरात्र पर कोरोना का असर
author img

By

Published : Apr 15, 2021, 1:27 PM IST

वाराणसी: नवरात्र में भक्त 9 दिनों तक माता के नौ रुपों का पूजन करते हैं. नवरात्रि के पावन अवसर पर काशी में भक्त माता के दर्शन कर प्रफुल्लित हो रहे हैं. नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा के दर्शन का विधान है. इसलिए काशी में भक्त मंदिरों में मां चंद्रघंटा के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं.

भक्तों की भीड़ में आई कमी

यह भी पढ़ें- कोरोना का असर : काशी विश्वनाथ समेत इन मंदिरों में प्रवेश के लिए कोविड 19 निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य

ऐसे पड़ा चंद्रघंटा नाम

चंद्रघंटा मंदिर के महंत वैभव योगेश्वर ने बताया कि नवरात्र के तीसरे दिन चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. इनके गले में सफेद फूलों की माला सुशोभित रहती है. इनके घंटे की भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव, दैत्य और राक्षस सदैव भयभीत रहते हैं. मां चंद्रघंटा के माथे पर चंद्रमा रूपी घंटा स्थित है और यही कारण है कि मां को मां चंद्रघंटा कहा जाता है.

माता को केसर की खीर का लगता है भोग

मंदिर के महंत नवरात्रि में मां चंद्रघंटा की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करते हैं. मां को केसर और खीर का भोग लगाने से मां अति प्रसन्न होती हैं. माता अपने भक्तों की सभी मुरादें पूरी करती हैं. काशी में ऐसी मान्यता है कि जब किसी भी मनुष्य का अंतिम समय निकट आता है तो मां उनके कंठ में वासकर अपने घण्टे का नाद करती हैं, जिससे आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

दर्शन पर दिख रहा महामारी का असर

कोरोना महामारी की दूसरी खतरनाक लहर के बीच भक्तों को दर्शन पूजन की छूट दी गई है. लोग भी सावधानी के साथ दर्शन-पूजन कर रहे हैं. नवरात्र में जहां मंदिरों में लम्बी कतारें देखी जाती थीं, वहीं इस बार दर्शनार्थियों की संख्या काफी कम देखने को मिल रही है.

वाराणसी: नवरात्र में भक्त 9 दिनों तक माता के नौ रुपों का पूजन करते हैं. नवरात्रि के पावन अवसर पर काशी में भक्त माता के दर्शन कर प्रफुल्लित हो रहे हैं. नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा के दर्शन का विधान है. इसलिए काशी में भक्त मंदिरों में मां चंद्रघंटा के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं.

भक्तों की भीड़ में आई कमी

यह भी पढ़ें- कोरोना का असर : काशी विश्वनाथ समेत इन मंदिरों में प्रवेश के लिए कोविड 19 निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य

ऐसे पड़ा चंद्रघंटा नाम

चंद्रघंटा मंदिर के महंत वैभव योगेश्वर ने बताया कि नवरात्र के तीसरे दिन चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. इनके गले में सफेद फूलों की माला सुशोभित रहती है. इनके घंटे की भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव, दैत्य और राक्षस सदैव भयभीत रहते हैं. मां चंद्रघंटा के माथे पर चंद्रमा रूपी घंटा स्थित है और यही कारण है कि मां को मां चंद्रघंटा कहा जाता है.

माता को केसर की खीर का लगता है भोग

मंदिर के महंत नवरात्रि में मां चंद्रघंटा की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करते हैं. मां को केसर और खीर का भोग लगाने से मां अति प्रसन्न होती हैं. माता अपने भक्तों की सभी मुरादें पूरी करती हैं. काशी में ऐसी मान्यता है कि जब किसी भी मनुष्य का अंतिम समय निकट आता है तो मां उनके कंठ में वासकर अपने घण्टे का नाद करती हैं, जिससे आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

दर्शन पर दिख रहा महामारी का असर

कोरोना महामारी की दूसरी खतरनाक लहर के बीच भक्तों को दर्शन पूजन की छूट दी गई है. लोग भी सावधानी के साथ दर्शन-पूजन कर रहे हैं. नवरात्र में जहां मंदिरों में लम्बी कतारें देखी जाती थीं, वहीं इस बार दर्शनार्थियों की संख्या काफी कम देखने को मिल रही है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.