वाराणसी: पीएम नरेंद्र मोदी ने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में काशी विश्वनाथ के मंदिर के विस्तारीकरण का जो सपना देखा था, वह मूर्त रूप लेने लगा है. महादेव के मंदिर परिसर को विस्तारित करने के क्रम में निर्माणाधीन विश्वनाथ कॉरिडोर धाम तेजी से अपने वास्तविक रूप में सामने आ रहा है. लॉकडाउन में निर्माण का काम कुछ दिनों के लिए बंद हुआ था, लेकिन इसी बीच काम फिर से शुरू कर दिया गया है, जहां तकरीबन 250 मजदूर काम में जुटे हैं.
महज 20 से 25 दिन के अंदर ही पूरे कॉरिडोर में मकानों को गिराए जाने के बाद जमीन के समतलीकरण का काम पूरा हुआ. इससे मां गंगे और बाबा विश्वनाथ के बीच की दूरी खत्म हो चुकी है. विश्वनाथ मंदिर से मां गंगा का जो रास्ता सामने से जाने वाला था. वह अब पूरी तरह से साफ-साफ दिखाई देने लगा है. यानी 8 जून को जब विश्वनाथ मंदिर खुलेगा तब यहां आने वाले भक्तों को बाबा विश्वनाथ धाम से ही सीधे मां गंगा के दर्शन प्राप्त हो जाएगा.
दरअसल, विश्वनाथ धाम का जो निर्माण चल रहा है. उसका वास्तविक रास्ता मणिकर्णिका घाट और ललिता घाट के बीच में पड़ने वाले जला सेन घाट से ही शुरू किया जाना है. योजना के मुताबिक भक्त सीधे गंगा स्नान के बाद इसी रास्ते से होते हुए बाबा विश्वनाथ को जल चढ़ा जा सकते हैं. भक्तों की इस मांग को पूरा करने के लिए प्रशासन ने तकरीबन 280 मकानों को जमींदोज कर पूरी तरह से जमीन को समतल कर रास्ता बनाया है.
दर्शन के लिए सकरी गलियों से गुजरने के लिए मजबूर श्रद्धालु अब नया रास्ता बनने के बाद आसानी से दर्शन कर सकेंगे. वहीं प्रशासन का कहना है कि बाबा विश्वनाथ धाम के समतलीकरण का काम तेजी से चल रहा है और करीब 50 फीसदी काम पूरा भी हो चुका है.
पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है काशी विश्वनाथ कॉरिडोर धाम
- काशी विश्वनाथ मंदिर से मणिकर्णिका और ललिता घाट के बीच 1 किलोमीटर का लंबा रास्ता निकलकर सामने आया है.
- निर्माण का काम गुजरात की कंपनी पीएसपी इंफ्रास्ट्रक्चर कर रही है.
- शासन ने 320 करोड़ के डीपीआर को मंजूरी दी है, लेकिन स्वीकृत टेंडर को बढ़ाकर 339 करोड़ किया गया है.
- पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से विश्वनाथ धाम में लगभग 40% हिस्से में हरियाली मौजूद रहेगी.
- विश्वनाथ धाम में सीवेज के ट्रीटमेंट के लिए 25 एमएलडी का एसटीपी भी बनाया जाएगा.
- जलासेन घाट स्थित सीवेज सिस्टम को अंडरग्राउंड करके धाम क्षेत्र की नालियों से जोड़ा जाएगा.
- 280 भवनों की रजिस्ट्री के बाद इन्हें पूरी तरह से ध्वस्त कर जमीन समतलीकरण का कार्य किया गया है.