चंदौली : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव नजदीक है. ऐसे में सभी पार्टियां जातिगत भिन्नता के आधार पर मतदाताओं को साधने में जुटी है. हर कोई अपने मतदाताओं को रिझाने के लिए जायज नाजायज मांग कर खुद को उनका मसीहा साबित करने में जुटा है.
चाहे बात पिछड़ा आरक्षण की हो या फिर अल्पसंख्यक और दलित की. इन सबके के बीच एक वर्ग (सवर्ण) ऐसा भी है जो इस राजनीतिक बयार में खुद को ठगा महसूस कर रहा है.
इसी क्रम में पूर्व सैनिक अंजनी सिंह ने सवर्णों के हक की आवाज को बुलंद करते हुए सरकार से सवर्ण आयोग का गठन करके उनके मान-सम्मान एवं हितों की सुरक्षा की मांग की.
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इस बाबत जिलाधिकारी के माध्यम से देश के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के नाम मांग पत्र सौंपा. उनका तर्क था कि पिछड़ों, दलितों और अन्य जातियों के हक के साथ सवर्णों के उत्पीड़न, शोषण को रोकने का कानूनी प्रबंध होना चाहिए. जो सवर्ण आयोग के गठन के साथ ही पूरा हो सकेगा.
अंजनी सिंह ने कहा कि जिस प्रकार देश में अनुसूचित, पिछड़ा व अल्पसंख्यक आयोग का गठन करके समाज के लोगों के विकास की योजनाएं संचालित की जा रही हैं, ठीक उसी प्रकार सवर्ण आयोग का भी गठन जरूरी है. भारत सबका है और सबको एक बराबरी में बोलने, रहने व जीवन जीने का संवैधानिक अधिकार है.
समाज के दबे कुचले अनुसूचित पिछड़े अल्पसंख्यक समाज को विकास की दरकार है. उनका विकास उनकी मदद बेहद जरूरी है. लेकिन सवर्ण समाज को हाशिए पर रखकर मजबूत भारत के निर्माण की कल्पना बेमानी होगी.