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पूरी रात पिता की लाश के साथ बैठी रही बेबस बेटी...नहीं दिया कोई साथ तो सोशल मीडिया पर मांगी ये मदद - वाराणसी में मानवता शर्मसार

वाराणसी में एक बेटी ने पिता को कंधा देकर बेटे का फर्ज पूरा किया. बेटी ने श्मशान घाट तक जाकर पिता का रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार किया.

पिता की अर्थी को बेटी ने दिया कंधा और चिता को मुखाग्नि
पिता की अर्थी को बेटी ने दिया कंधा और चिता को मुखाग्नि
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Published : Jul 26, 2021, 11:06 PM IST

Updated : Jul 27, 2021, 3:14 PM IST

वाराणसी: कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच हर किसी ने मानवता को शर्मसार होते देखा. अपनों की मौत के बाद अपनों ने ही लोगों से दूरी बनाई, लेकिन अब जब कोविड-19 का यह संक्रमण काल धीरे-धीरे खत्म होने लगा है तो एक बार फिर से ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं. जो इंसानियत को झकझोर देने के लिए काफी हैं. ताजा मामला पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के पांडेयपुर इलाके का है. यहां, लंबी बीमारी के बाद ऑटो चालक पिता की रविवार की रात मौत हो गई. आलम ये रहा कि उनके शव को कंधा देने के लिए न तो पड़ोसी पास आए और न ही रिश्तेदार.

जब पूरी रात भीषण गर्मी और उमस में डेड बॉडी घर के अंदर ही पड़ी रही तो बेटी ने थक हार कर बनारस के समाजसेवी अमन कबीर की मदद ली. अमन अपने सहयोगी मोनू बाबा के साथ मिलकर पांडेयपुर की बेटी की मदद की. जब एक बेटी ने बाप की अर्थी को कंधा दिया तो अपनों के मुंह पर करारा तमाचा भी मारा. जो सुख में तो साथ थे, लेकिन जब दुखों का पहाड़ टूटा तो मुंह फेर लिया. डबडबाती आखें लिए बेटी ने मणिकर्णिका घाट पर रीति-रिवाज से बेटे का फर्ज निभाते हुए पिता को मुखाग्नि दी.

पिता की अर्थी को बेटी ने दिया कंधा और चिता को मुखाग्नि
दरअसल, पांडेयपुर इलाके के रहने वाले राम कुमार गुप्ता (55) की बीते कई दिनों से तबियत खराब थी. पत्नी की पहले ही मौत हो चुकी है. घर पर पिता रामकुमार के अलावा उनकी 25 साल की बेटी प्रेमलता गुप्ता रहती थी. आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से बेटी ने पढ़ाई-लिखाई छोड़कर आसपास के घरों में चौका बर्तन करना शुरू कर दिया, लेकिन घर का खर्च चलाने के लिए ही ये पैसे खर्च हो जा रहे थे. इसी बीच बीमारी से जूझ रहे पिता ने रविवार रात 9 बजे दम तोड़ दिया. पूरी रात बेटी लोगों से मदद की गुहार लगाती रही, लेकिन किसी ने मदद नहीं की.

इसे भी पढे़ं-बेटियों ने बाप की अर्थी को दिया कंधा, 'लॉकडाउन' में इलाज न मिलने से हुई मौत

सोशल मीडिया के जरिए अमन कबीर तक बेटी प्रेमलता की पुकार पहुंची. अमर ने पांच हजार रुपये की आर्थिक मदद देकर अंतिम संस्कार के लिए सामाग्री जुटाई. घर से अर्थी सजाकर बेटी ने पिता के शव को कंधा दिया. मणिकर्णिका घाट पर पहुंच कर पूरे रीति-रिवाज से बेटी ने एक बेटे का फर्ज निभाते हुए पिता को मुखाग्नि दी.

अमन का कहना है कि शव की हालत बुरी थी, जिसके बाद उन्होंने तुरंत अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू की और बेटी की मदद कर मानवता का परिचय देने की कोशिश की. निश्चित तौर पर आज के समय में मानवता को शर्मसार करने वाली ऐसी घटनाएं इंसानियत पर सवाल उठाने के लिए काफी हैं.

वाराणसी: कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच हर किसी ने मानवता को शर्मसार होते देखा. अपनों की मौत के बाद अपनों ने ही लोगों से दूरी बनाई, लेकिन अब जब कोविड-19 का यह संक्रमण काल धीरे-धीरे खत्म होने लगा है तो एक बार फिर से ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं. जो इंसानियत को झकझोर देने के लिए काफी हैं. ताजा मामला पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के पांडेयपुर इलाके का है. यहां, लंबी बीमारी के बाद ऑटो चालक पिता की रविवार की रात मौत हो गई. आलम ये रहा कि उनके शव को कंधा देने के लिए न तो पड़ोसी पास आए और न ही रिश्तेदार.

जब पूरी रात भीषण गर्मी और उमस में डेड बॉडी घर के अंदर ही पड़ी रही तो बेटी ने थक हार कर बनारस के समाजसेवी अमन कबीर की मदद ली. अमन अपने सहयोगी मोनू बाबा के साथ मिलकर पांडेयपुर की बेटी की मदद की. जब एक बेटी ने बाप की अर्थी को कंधा दिया तो अपनों के मुंह पर करारा तमाचा भी मारा. जो सुख में तो साथ थे, लेकिन जब दुखों का पहाड़ टूटा तो मुंह फेर लिया. डबडबाती आखें लिए बेटी ने मणिकर्णिका घाट पर रीति-रिवाज से बेटे का फर्ज निभाते हुए पिता को मुखाग्नि दी.

पिता की अर्थी को बेटी ने दिया कंधा और चिता को मुखाग्नि
दरअसल, पांडेयपुर इलाके के रहने वाले राम कुमार गुप्ता (55) की बीते कई दिनों से तबियत खराब थी. पत्नी की पहले ही मौत हो चुकी है. घर पर पिता रामकुमार के अलावा उनकी 25 साल की बेटी प्रेमलता गुप्ता रहती थी. आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से बेटी ने पढ़ाई-लिखाई छोड़कर आसपास के घरों में चौका बर्तन करना शुरू कर दिया, लेकिन घर का खर्च चलाने के लिए ही ये पैसे खर्च हो जा रहे थे. इसी बीच बीमारी से जूझ रहे पिता ने रविवार रात 9 बजे दम तोड़ दिया. पूरी रात बेटी लोगों से मदद की गुहार लगाती रही, लेकिन किसी ने मदद नहीं की.

इसे भी पढे़ं-बेटियों ने बाप की अर्थी को दिया कंधा, 'लॉकडाउन' में इलाज न मिलने से हुई मौत

सोशल मीडिया के जरिए अमन कबीर तक बेटी प्रेमलता की पुकार पहुंची. अमर ने पांच हजार रुपये की आर्थिक मदद देकर अंतिम संस्कार के लिए सामाग्री जुटाई. घर से अर्थी सजाकर बेटी ने पिता के शव को कंधा दिया. मणिकर्णिका घाट पर पहुंच कर पूरे रीति-रिवाज से बेटी ने एक बेटे का फर्ज निभाते हुए पिता को मुखाग्नि दी.

अमन का कहना है कि शव की हालत बुरी थी, जिसके बाद उन्होंने तुरंत अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू की और बेटी की मदद कर मानवता का परिचय देने की कोशिश की. निश्चित तौर पर आज के समय में मानवता को शर्मसार करने वाली ऐसी घटनाएं इंसानियत पर सवाल उठाने के लिए काफी हैं.

Last Updated : Jul 27, 2021, 3:14 PM IST
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