वाराणसीः यदि आपसे यह कहा जाए कि आप बनारस जाने वाले हैं और आपके हर मूवमेंट पर किसी तीसरे की नजर है. यह सुनकर आप हैरान हो जाएंगे, लेकिन यही हकीकत है. बनारस इन दिनों साइबर अपराधियों के टारगेट पर है. इस टारगेट में सबसे ज्यादा शिकार काशी आने वाले पर्यटक हो रहे हैं. ये पर्यटक सबसे ज्यादा ऑनलाइन होटल बुकिंग के नाम पर शिकार बन रहे हैं.
साइबर अपराधियों के निशाने पर हैं काशी आने वाले पर्यटक. बता दें कि बीते सात दिन में ऑनलाइन होटल बुकिंग के नाम पर 50 से ज्यादा पर्यटकों के साथ ठगी की घटना सामने आई है. हैरान करने वाली बात यह है कि इस ठगी में एक या दो लाख नहीं, बल्कि 10 लाख से अधिक का मामला सामने आया है. यह ठगी पर्यटकों के साथ बनारस आने के पहले ही हो जा रही है. ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें लोगों ने होटल बुक किया लेकिन उसके बाद ही उनके खाते से पैसे गायब हो गए.इस बारे में ट्यूरिज्म वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष राहुल मेहता ने बताया कि पर्यटक जब होटल्स के लिए वेब सर्च करते हैं तो उनको कई अलग-अलग नाम की वेबसाइट्स मिलती हैं. उन्हीं में से एक होती है इन हैकर्स की वेबसाइट. हैकर्स इसके साथ ही सर्च इंजन पर अपना मोबाइल नंबर भी फ्लैश कराते हैं. ये काम हैकर्स विज्ञापन के जरिए करते हैं. वे लगातार अपना विज्ञापन सर्च इंजन पर चलाते रहते हैं, जिससे कोई होटल्स खोजे तो उनकी फर्जी वेबसाइट तक पहुंच जाए. मोबाइल नंबर पर संपर्क होते ही खाता साफउन्होनें बताया कि फर्जी होटलों की वेबसाइट पेज और फर्जी मोबाइल नंबर के जरिए हैकर्स ग्राहकों तक पहुंच जाते हैं. जैसे ही ग्राहक इन मोबाइल नंबरों पर संपर्क करता है ये हैकर्स एक्टिव हो जाते हैं. जब कोई भी ग्राहक होटल्स की फाइनल बुकिंग के लिए अपना अकाउंट डिटेल और डेबिट कार्ड या अन्य जानकारियां देता है, हैकर्स उनसे ओटीपी लेकर या अन्य माध्यम से उनके बैंक खातों से रुपये साफ कर देते हैं. ये सारा खेल फर्जी तरीके से पेमेंट लेकर होता है. उन्होनें बकायदा पर्यटकों से अपील करते हुए कहा कि कोई भी पर्यटक इन चक्करो में न पड़े. वो होटल की ओरिजनल वेबसाइट पर जाकर ही होटल बुक करें.हाल ही में आए ऐसे दो मामलेहोटल्स के नाम की फर्जी बेवबाइट से ठगी के हाल ही में तीन मामले सामने आए हैं. पहला कानपुर के लोगों के साथ और दूसरा कोलकाता के लोगों के साथ. कोलकाता के एक परिवार ने वाराणसी के एक होटल के नाम की वेबसाइट पर कमरा बुक किया था. उस समय आधा पेमेंट भी कर दिया. जब वे उसी नाम के होटल पर पहुंचे तो उनके नाम से कोई कमरा ही बुक नहीं था.कानपुर के परिवार के साथ भी हुई ठगीवहीं, कानपुर के पर्यटकों के साथ भी ऐसा ही हुआ. इस परिवार ने कैंटोनमेंट एरिया के होटल क्लार्क में कमरा बुक किया था. इन्होंने भी इसका आधा भुगतान कर दिया था और आधा पेमेंट कमरा लेते समय करना था. ये परिवार जब वाराणसी आया तो पता चला कि इस होटल में इनके नाम से कोई भी कमरा बुक नहीं है और न ही किसी तरह का कोई पेमेंट रिसीव किया गया है. अपनी तरफ से सावधानी ही फ्रॉड से बचाव है
इस पूरे मामले में एडिशनल सीपी संतोष सिंह ने बताया कि आज के दौर में ऑनलाइन पेमेंट अधिक हो रहे हैं. ऐसे में हर तरह के लेनदेन में साइबर फ्रॉड के लोगों की नजर रहती है. लोगों को ऐसे में सावधानी बरतनी चाहिए. सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है. उन्होंने कहा कि इस तरह की किसी भी साइबर क्राइम की जानकारी मिलते ही साइबर सेल और संबंधित पुलिस एक्टिव हो जाती है. जांच के बाद फर्जीवाड़ा पकड़े जाने पर कई पीड़ितों के पैसे वापस कराए गए हैं.
इन बातों का रखें ध्यान
1. होटल्स के कस्टमर केयर का नंबर आधिकारिक वेबसाइट से ही लें.
2. अनजान या अज्ञात मोबाइल नंबर से भेजी गई लिंक पर क्लिक न करें.
3. वॉलेट और केवाईसी का अपडेट ऑथराइज्ड सेंटर पर जाकर ही कराएं.
4. बैंक खातों का पासवर्ड स्ट्रांग बनाएं, जिसमें नंबर अक्षर और चिह्न तीनो हों.
5. बैंक खातों या मोबाइल ऐप में टू-स्टेप-वेरीफिकेशन का प्रयोग जरूर करें.
6. कभी भी ओटीपी / सीवीवी / पिन नंबर की जानकारी होटल वालों को न दें.
7. वेबसाइट पर अपनी बैंक की जानकारी देने से पहले अच्छी तरह जांच कर लें.
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