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पितृपक्ष पर काशी में उमड़ी भीड़, दुकानदारों की चांदी - Pitru Paksha

वाराणसी में पितृ पक्ष के मौके पर श्राद्ध, कर्म और तर्पण करने आने वाले लोगों की भीड़ ने इस बार पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. ऐसे में पर्यटन कारोबार के साथ लोकल दुकानदारों की चांदी हो गई है.

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वाराणसी में पितृ पक्ष
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Published : Sep 15, 2022, 8:31 PM IST

वाराणसी: उत्तर प्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाएं और इन्हीं संभावनाओं को बल देने के लिए प्रदेश सरकार बहुत सी योजनाओं पर काम कर रही है, लेकिन वाराणसी में प्रदेश सरकार के प्रयासों से डेवलप किए गए तमाम स्पॉट अब यूपी के सबसे बड़े टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर बनते जा रहे हैं. शायद यही वजह है कि खास दिनों के साथ आम दिनों में भी अब बनारस हर वक्त पर्यटकों से भरा हुआ नजर आ रहा है.

हर वर्ष पितृ पक्ष के मौके पर श्राद्ध, कर्म और तर्पण करने आने वाले लोगों की भीड़ ने भी इस बार पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. हालात यह हैं कि बनारस में 2019 कोविड-19 के दौर के बाद 2 साल तक पितृ विसर्जन और पिंडदान के लिए जो भी नहीं आ पाए, वह इस साल बनारस पहुंचे हैं. इसी वजह से बनारस में हर तरफ से और से लोग ही नजर आ रहे हैं. ऐसे में पर्यटन कारोबार के साथ लोकल दुकानदारों की चांदी हो गई है.

आमतौर पर ऐसी भ्रांति बना दी गई है कि पितृपक्ष के मौके पर कोई भी खरीदारी नहीं की जाती, लेकिन बनारस इन सारी रुढ़िवादी बातों को तो होता नजर आ रहा है. इसकी बड़ी वजह यह है कि पितृपक्ष के मौके पर बनारस में इस बार श्राद्ध कर्म और पिंडदान करने वालों की जबरदस्त भीड़ आई है. यह ऐतिहासिक भीड़ शायद लंबे वक्त के बाद काशी में इस मौके पर देखने को मिल रही है, क्योंकि पितृपक्ष का मौका हमेशा सन्नाटे और दुकानदारों के लिए बेहद मायूसी भरा माना जाता था.

पढ़ेंः वाराणसी में इस बार 7 नवंबर को देव दीपावली और गंगा महाआरती महोत्सव

15 दिन का यह पखवारा लोगों को मायूस करके जाता था, लेकिन इस बार वाराणसी में पितृपक्ष के मौके पर भी जबरदस्त भीड़ है. एक तरफ जहां विश्वनाथ धाम में दर्शन करने के लिए भक्तों की लंबी-लंबी कतार सुबह से शाम तक देखने को मिल रही है, तो वहीं शहर के गोदौलिया, लक्सा, चौक, मैदागिन, बांस फाटक समेत शहर के उन इलाकों में लोगों की जबरदस्त भीड़ है, जहां श्राद्ध, कर्म और तर्पण का कार्य किया जाता है. पिशाच मोचन समेत गंगा घाटों पर कर्म और तर्पण करने के बाद दर्शन करने पहुंचे और वहां से निकल कर खरीदारी भी करते दिखाई दे रहे हैं.

पूजा पाठ के सामान बेचने वाली दुकानों से लेकर माला फूल साड़ी कपड़े और अन्य तरह की चीजों को खरीदने वालों की भीड़ हर तरफ देखी जा रही है. दुकानदारों का भी यही मानना है कि शायद यह ऐसा पहला मौका होगा, जब पितृपक्ष के समय इतनी भीड़ काशी में दिख रही है और हर कोई दर्शन पूजन के साथ ही खरीदारी भी करता दिखाई दे रहा है. लोगों का भी यही मानना है कि बनारस में डेवलप हो रहे टूरिस्ट प्वाइंट्स और विश्वनाथ धाम की वजह से काशी आने वाला हर व्यक्ति अब पूरा मस्ती के मूड में दिखाई देता है.

पढ़ेंः वाराणसी में गंगा पार चार महीने के लिए बसेगी टेंट सिटी, ये सुविधाएं मिलेंगी

यही वजह है कि पूजा-पाठ, श्राद्ध, कर्म और तर्पण करने आने वाले लोग पितृपक्ष के मौके पर भी व्यापारियों को बड़ा फायदा पहुंचा रहे हैं. यहां के होटल रेस्टोरेंट से लेकर छोटी मोटी दुकानें और बड़े शोरूम हर तरफ लोगों की भीड़ है और पर्यटन कारोबार अपनी बुलंदियों पर पहुंच रहा है.

पर्यटन अधिकारी का भी कहना है कि यह पहला मौका है, जब पितृ पक्ष के मौके पर पर्यटन पर कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है. पहले हर साल यह 15 दिन बिल्कुल सन्नाटे के साथ आगे बीतते थे, लेकिन इस बार तो भीड़ ऐसी आई है जिसने पिछले सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं.

पढ़ेंः काशी में गंगा व वरुणा का रौद्र रूप घटा, अब कीचड़ और गंदगी बनी मुसीबत

वाराणसी: उत्तर प्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाएं और इन्हीं संभावनाओं को बल देने के लिए प्रदेश सरकार बहुत सी योजनाओं पर काम कर रही है, लेकिन वाराणसी में प्रदेश सरकार के प्रयासों से डेवलप किए गए तमाम स्पॉट अब यूपी के सबसे बड़े टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर बनते जा रहे हैं. शायद यही वजह है कि खास दिनों के साथ आम दिनों में भी अब बनारस हर वक्त पर्यटकों से भरा हुआ नजर आ रहा है.

हर वर्ष पितृ पक्ष के मौके पर श्राद्ध, कर्म और तर्पण करने आने वाले लोगों की भीड़ ने भी इस बार पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. हालात यह हैं कि बनारस में 2019 कोविड-19 के दौर के बाद 2 साल तक पितृ विसर्जन और पिंडदान के लिए जो भी नहीं आ पाए, वह इस साल बनारस पहुंचे हैं. इसी वजह से बनारस में हर तरफ से और से लोग ही नजर आ रहे हैं. ऐसे में पर्यटन कारोबार के साथ लोकल दुकानदारों की चांदी हो गई है.

आमतौर पर ऐसी भ्रांति बना दी गई है कि पितृपक्ष के मौके पर कोई भी खरीदारी नहीं की जाती, लेकिन बनारस इन सारी रुढ़िवादी बातों को तो होता नजर आ रहा है. इसकी बड़ी वजह यह है कि पितृपक्ष के मौके पर बनारस में इस बार श्राद्ध कर्म और पिंडदान करने वालों की जबरदस्त भीड़ आई है. यह ऐतिहासिक भीड़ शायद लंबे वक्त के बाद काशी में इस मौके पर देखने को मिल रही है, क्योंकि पितृपक्ष का मौका हमेशा सन्नाटे और दुकानदारों के लिए बेहद मायूसी भरा माना जाता था.

पढ़ेंः वाराणसी में इस बार 7 नवंबर को देव दीपावली और गंगा महाआरती महोत्सव

15 दिन का यह पखवारा लोगों को मायूस करके जाता था, लेकिन इस बार वाराणसी में पितृपक्ष के मौके पर भी जबरदस्त भीड़ है. एक तरफ जहां विश्वनाथ धाम में दर्शन करने के लिए भक्तों की लंबी-लंबी कतार सुबह से शाम तक देखने को मिल रही है, तो वहीं शहर के गोदौलिया, लक्सा, चौक, मैदागिन, बांस फाटक समेत शहर के उन इलाकों में लोगों की जबरदस्त भीड़ है, जहां श्राद्ध, कर्म और तर्पण का कार्य किया जाता है. पिशाच मोचन समेत गंगा घाटों पर कर्म और तर्पण करने के बाद दर्शन करने पहुंचे और वहां से निकल कर खरीदारी भी करते दिखाई दे रहे हैं.

पूजा पाठ के सामान बेचने वाली दुकानों से लेकर माला फूल साड़ी कपड़े और अन्य तरह की चीजों को खरीदने वालों की भीड़ हर तरफ देखी जा रही है. दुकानदारों का भी यही मानना है कि शायद यह ऐसा पहला मौका होगा, जब पितृपक्ष के समय इतनी भीड़ काशी में दिख रही है और हर कोई दर्शन पूजन के साथ ही खरीदारी भी करता दिखाई दे रहा है. लोगों का भी यही मानना है कि बनारस में डेवलप हो रहे टूरिस्ट प्वाइंट्स और विश्वनाथ धाम की वजह से काशी आने वाला हर व्यक्ति अब पूरा मस्ती के मूड में दिखाई देता है.

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यही वजह है कि पूजा-पाठ, श्राद्ध, कर्म और तर्पण करने आने वाले लोग पितृपक्ष के मौके पर भी व्यापारियों को बड़ा फायदा पहुंचा रहे हैं. यहां के होटल रेस्टोरेंट से लेकर छोटी मोटी दुकानें और बड़े शोरूम हर तरफ लोगों की भीड़ है और पर्यटन कारोबार अपनी बुलंदियों पर पहुंच रहा है.

पर्यटन अधिकारी का भी कहना है कि यह पहला मौका है, जब पितृ पक्ष के मौके पर पर्यटन पर कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है. पहले हर साल यह 15 दिन बिल्कुल सन्नाटे के साथ आगे बीतते थे, लेकिन इस बार तो भीड़ ऐसी आई है जिसने पिछले सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं.

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