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कोरोना वायरस से अछूती नहीं रही कामकाजी महिलाओं की जिंदगी

कोरोना वायरस पूरे देश में अपना पैर पसार चुका है. कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते हुए संक्रमण का महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. इस महामारी के कारण महिलाओं के स्वास्थ्य से लेकर उनकी आर्थिक स्थिति और सामाजिक सुरक्षा पर काफी बुरा असर पड़ा है. आइए देखते हैं वाराणसी से खास रिपोर्ट...

ccovid-19 effect on woman
कोरोना ने महिलाओं की जिंदगी पर डाला असर
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Published : Aug 7, 2020, 10:59 PM IST

वाराणसी: पूरे देश में दिन प्रतिदिन कोरोना वायरस का खतरा बढ़ता ही जा रहा है. हर दिन कोरोना के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. सरकार व प्रशासन इस बीमारी से निजात दिलाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते हुए संक्रमण का महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. अगर बात करें कामकाजी महिलाओं की तो उनके दिमाग में ऑफिस की मीटिंग से लेकर किचन के सब्जी में पड़ने वाले नमक तक की चिंता होती है.

महिलाओं की जिंदगी पर कोरोना ने डाला असर.

महिलाएं परिवार की धुरी, समाज की सृजन हैं. जिनके बिना समाज, परिवार, सृष्टि किसी भी चीज की परिकल्पना नहीं की जा सकती है. कोविड-19 का दौर चल रहा है. इस बीमारी से कोई भी वर्ग अछूता नहीं है. सभी के ऊपर शारीरिक, मानसिक, आर्थिक चिंताएं बनी हुई हैं. इन सब में सबसे ज्यादा महिलाएं प्रभावित हो रही हैं. खासतौर पर जब हम कामकाजी महिलाओं की बात करते हैं तो उनके सामने चुनौती और चिंताएं सबसे ज्यादा हैं.

कोरोना काल में मिली नई चुनौती
शिक्षिका अंजना चतुर्वेदी बताती हैं कि एक कामकाजी महिला होने के नाते हमेशा से बहुत सारी चुनौतियां सामने होती हैं. मैं पेशे से शिक्षक हूं और इन दिनों कई सारी चुनौतियां बढ़ गई हैं. इससे मानसिक तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है. हमारी सैलरी भी पहले की तुलना में कम आ रही है. पहले बच्चों के एक्स्ट्रा खर्च कोई ज्यादा असर नहीं डालते थे लेकिन अब उसके लिए भी सोचना पड़ता है. बच्चे छोटे हैं तो आप उनको समझा नहीं सकते. इन सबके कारण बच्चों के साथ, परिवार के साथ तालमेल बैठाकर चलना थोड़ा मुश्किल सा नजर आ रहा है. ऐसे ही रहा तो फिर लग रहा है कि शायद किसी दूसरे व्यवसाय की ओर ध्यान देना पड़ेगा. क्योंकि इससे हम मानसिक रूप से काफी प्रभावित हो रहे हैं. हमें हर दिन नए-नए तरह के तनाव का सामना करना पड़ रहा है.

'घर और परिवार दोनों की करनी पड़ती है फिक्र'
स्कूल एडमिनिस्ट्रेटर आकांक्षा आलोक मिश्रा ने बताया कि आप भले ही कामकाजी महिला हैं, लेकिन आप एक परिवार की धुरी भी हैं. अब बच्चे की मां भी हैं तो काम के साथ-साथ वह सब जिम्मेदारियां भी आपको वहन करनी पड़ रही है. जब सभी लोग परिवार में एक साथ रहते हैं तो इससे परिवार में थोड़ा तनावपूर्ण माहौल भी होता है. ऐसे तनाव को मैनेज करना भी अपने आप में एक चैलेंज है. इन दिनों सभी लोग एक प्रकार की मानसिक कुंठा से जूझ रहे हैं. एक तो कोरोना वायरस ऊपर से बढ़ता खर्च हमारे सामने मुसीबत बन कर खड़ा हो गया है.

'सुरक्षा के साथ खोलती हूं दुकान'
बुटीक संचालिका बबीता पाण्डेय बताती हैं कि मैं बुटीक जाती हूं तो मन में बहुत डर लगता है. लेकिन काम है तो वह भी करना पड़ेगा. हालांकि हम लोग सारे प्रिकॉशंस लेते हैं और बच्चों को भी समझाते हैं कि वह किस तरीके से रहें. फिर भी बीमारी को लेकर एक मानसिक तनाव है ही. साथ ही हमारी रूटीन लाइफ बहुत प्रभावित हो रही है.

लॉकडाउन में बढ़े घरेलू हिंसा के मामले
इस बारे में समाज सेविका पूनम राय कहती हैं कि महिलाओं को इस समय मानसिक रूप से स्वस्थ होने की जरूरत है. काम करने वाली महिला को ना चाहते हुए भी घर के बाहर जाकर काम करना पड़ रहा है. उनको किचन भी संभालना पड़ रहा. दोनों के बीच तालमेल बैठाना अपने आप में एक कठिन चुनौती है. लॉकडाउन में घरेलू हिंसा व कलह के सबसे ज्यादा केस रिकॉर्ड किए गए हैं.

योग का लें सहारा
काउंसलर पुष्पांजलि शर्मा ने बताया कि कोविड-19 ने हमारे मानसिक स्थिति पर गहरा प्रभाव छोड़ा है. वर्किंग वूमेन के लिए काफी दिक्कत भी हो रही है. ऐसे में महिलाओं को योगा का भी सहारा लेना चाहिए. इसके साथ ही यदि वह सुबह या शाम जब भी उनको समय मिले 10 मिनट यदि मेडिटेशन करती हैं तो उनके तनाव में काफी राहत मिलेगी. मेरे पास भी ऐसे बहुत सारे महिलाओं की घरेलू तनाव, कलह के केस आ रहे हैं. हम सभी यही सुझाव दे रहे हैं कि वह शांति व संयम के साथ साथ अपने खान-पान पर ध्यान रखें. यदि आपकी इम्युनिटी स्ट्रांग होगी तो बीमारी से सुरक्षित रहेंगी और उनको चिड़चिड़ापन भी कम होगा. यदि पति-पत्नी के बीच कोई विवाद होता है तो उसके लिए उस त्वरित समय में यदि एक व्यक्ति शांत हो जाए तो शायद तनाव कुछ कम होगा. बाद में यदि सभी लोग बैठ कर आपसी सहमति से बात कर लेंगे तो इस तनाव से मुक्ति मिल सकती है और यदि जरूरत हो तो काउंसलर की भी मदद ले सकते हैं.

वाराणसी: पूरे देश में दिन प्रतिदिन कोरोना वायरस का खतरा बढ़ता ही जा रहा है. हर दिन कोरोना के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. सरकार व प्रशासन इस बीमारी से निजात दिलाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते हुए संक्रमण का महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. अगर बात करें कामकाजी महिलाओं की तो उनके दिमाग में ऑफिस की मीटिंग से लेकर किचन के सब्जी में पड़ने वाले नमक तक की चिंता होती है.

महिलाओं की जिंदगी पर कोरोना ने डाला असर.

महिलाएं परिवार की धुरी, समाज की सृजन हैं. जिनके बिना समाज, परिवार, सृष्टि किसी भी चीज की परिकल्पना नहीं की जा सकती है. कोविड-19 का दौर चल रहा है. इस बीमारी से कोई भी वर्ग अछूता नहीं है. सभी के ऊपर शारीरिक, मानसिक, आर्थिक चिंताएं बनी हुई हैं. इन सब में सबसे ज्यादा महिलाएं प्रभावित हो रही हैं. खासतौर पर जब हम कामकाजी महिलाओं की बात करते हैं तो उनके सामने चुनौती और चिंताएं सबसे ज्यादा हैं.

कोरोना काल में मिली नई चुनौती
शिक्षिका अंजना चतुर्वेदी बताती हैं कि एक कामकाजी महिला होने के नाते हमेशा से बहुत सारी चुनौतियां सामने होती हैं. मैं पेशे से शिक्षक हूं और इन दिनों कई सारी चुनौतियां बढ़ गई हैं. इससे मानसिक तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है. हमारी सैलरी भी पहले की तुलना में कम आ रही है. पहले बच्चों के एक्स्ट्रा खर्च कोई ज्यादा असर नहीं डालते थे लेकिन अब उसके लिए भी सोचना पड़ता है. बच्चे छोटे हैं तो आप उनको समझा नहीं सकते. इन सबके कारण बच्चों के साथ, परिवार के साथ तालमेल बैठाकर चलना थोड़ा मुश्किल सा नजर आ रहा है. ऐसे ही रहा तो फिर लग रहा है कि शायद किसी दूसरे व्यवसाय की ओर ध्यान देना पड़ेगा. क्योंकि इससे हम मानसिक रूप से काफी प्रभावित हो रहे हैं. हमें हर दिन नए-नए तरह के तनाव का सामना करना पड़ रहा है.

'घर और परिवार दोनों की करनी पड़ती है फिक्र'
स्कूल एडमिनिस्ट्रेटर आकांक्षा आलोक मिश्रा ने बताया कि आप भले ही कामकाजी महिला हैं, लेकिन आप एक परिवार की धुरी भी हैं. अब बच्चे की मां भी हैं तो काम के साथ-साथ वह सब जिम्मेदारियां भी आपको वहन करनी पड़ रही है. जब सभी लोग परिवार में एक साथ रहते हैं तो इससे परिवार में थोड़ा तनावपूर्ण माहौल भी होता है. ऐसे तनाव को मैनेज करना भी अपने आप में एक चैलेंज है. इन दिनों सभी लोग एक प्रकार की मानसिक कुंठा से जूझ रहे हैं. एक तो कोरोना वायरस ऊपर से बढ़ता खर्च हमारे सामने मुसीबत बन कर खड़ा हो गया है.

'सुरक्षा के साथ खोलती हूं दुकान'
बुटीक संचालिका बबीता पाण्डेय बताती हैं कि मैं बुटीक जाती हूं तो मन में बहुत डर लगता है. लेकिन काम है तो वह भी करना पड़ेगा. हालांकि हम लोग सारे प्रिकॉशंस लेते हैं और बच्चों को भी समझाते हैं कि वह किस तरीके से रहें. फिर भी बीमारी को लेकर एक मानसिक तनाव है ही. साथ ही हमारी रूटीन लाइफ बहुत प्रभावित हो रही है.

लॉकडाउन में बढ़े घरेलू हिंसा के मामले
इस बारे में समाज सेविका पूनम राय कहती हैं कि महिलाओं को इस समय मानसिक रूप से स्वस्थ होने की जरूरत है. काम करने वाली महिला को ना चाहते हुए भी घर के बाहर जाकर काम करना पड़ रहा है. उनको किचन भी संभालना पड़ रहा. दोनों के बीच तालमेल बैठाना अपने आप में एक कठिन चुनौती है. लॉकडाउन में घरेलू हिंसा व कलह के सबसे ज्यादा केस रिकॉर्ड किए गए हैं.

योग का लें सहारा
काउंसलर पुष्पांजलि शर्मा ने बताया कि कोविड-19 ने हमारे मानसिक स्थिति पर गहरा प्रभाव छोड़ा है. वर्किंग वूमेन के लिए काफी दिक्कत भी हो रही है. ऐसे में महिलाओं को योगा का भी सहारा लेना चाहिए. इसके साथ ही यदि वह सुबह या शाम जब भी उनको समय मिले 10 मिनट यदि मेडिटेशन करती हैं तो उनके तनाव में काफी राहत मिलेगी. मेरे पास भी ऐसे बहुत सारे महिलाओं की घरेलू तनाव, कलह के केस आ रहे हैं. हम सभी यही सुझाव दे रहे हैं कि वह शांति व संयम के साथ साथ अपने खान-पान पर ध्यान रखें. यदि आपकी इम्युनिटी स्ट्रांग होगी तो बीमारी से सुरक्षित रहेंगी और उनको चिड़चिड़ापन भी कम होगा. यदि पति-पत्नी के बीच कोई विवाद होता है तो उसके लिए उस त्वरित समय में यदि एक व्यक्ति शांत हो जाए तो शायद तनाव कुछ कम होगा. बाद में यदि सभी लोग बैठ कर आपसी सहमति से बात कर लेंगे तो इस तनाव से मुक्ति मिल सकती है और यदि जरूरत हो तो काउंसलर की भी मदद ले सकते हैं.

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