वाराणसी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर देवताओं के दर्शन और पूजा करने की अनुमति मांगने वाली 5 महिलाओं द्वारा दायर एक याचिका सुनवाई की. सुनवाई के बाद कोर्ट ने प्रदेश की योगी सरकार, मस्जिद समिति और काशी विश्वनाथ मंदिर के न्यासी बोर्ड से इस पर जवाब मांगा है.
दरअसल, 5 महिलाओं, राखी, लक्ष्मी, सीता, मंजू और रेखा ने याचिका दायर कर कोर्ट से यह घोषणा करने की मांग की कि वे मस्जिद के भीतर दर्शन, पूजा और देवताओं के लिए सभी अनुष्ठान करने के हकदार हैं. याचिका को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने एक रिपोर्ट मांगी और निर्देश दिया कि 3 दिनों के भीतर जिला मजिस्ट्रेट, वाराणसी और पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी किया जाए. साथ ही कोर्ट ने यूपी सरकार, मस्जिद समिति और काशी विश्वनाथ मंदिर के न्यासी बोर्ड से इस पर जवाब मांगा है.
दायर याचिका में कोर्ट से यह घोषणा करने की मांग की गई कि वे ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर मां श्रीनिगर गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान और अन्य दृश्यमान और अदृश्य देवताओं के दर्शन, अनुष्ठान और पूजा करने की हकदार हैं.
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दायर याचिका में यह तर्क दिया गया था कि मस्जिद के पुराने परिसर के भीतर देवी गंगा, भगवान हनुमान, श्री गौरी शंकर, भगवान गणेश, श्री महाकालेश्वर, श्री महेश्वर, श्री देवी श्रृंगार गौरी और अन्य देवताओं की दृश्य और अदृश्य दोनों छवियां दिखाई दी हैं.
वादियों ने कोर्ट से की ये मांगें
- वादी मस्जिद के पुराने परिसर के भीतर मां श्रीनिगर गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान और अन्य दृश्यमान और अदृश्य देवताओं के दर्शन, पूजा और सभी अनुष्ठान करने के हकदार हैं.
- प्रतिवादियों को इस तरह के दैनिक दर्शन, पूजा, आरती, भोग और भक्तों द्वारा अनुष्ठानों के पालन में कोई प्रतिबंध लगाने, कोई बाधा या हस्तक्षेप करने से रोका जाए.
- प्रतिवादियों को पुराने परिसर के भीतर भगवान गणेश, भगवान हनुमान, नंदी जी और अन्य दृश्यमान और अदृश्य देवताओं के साथ भगवान आदि विशेश्वर के स्थान पर देवी मां श्रृंगार गौरी की छवियों को नष्ट करने, क्षतिग्रस्त करने या किसी भी तरह की क्षति पहुंचाने से रोका जाए.
- उत्तर प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन को हर सुरक्षा व्यवस्था करने और मंदिर परिसर के भीतर भगवान गणेश, भगवान हनुमान, नंदी जी और अन्य छवियों और देवताओं के साथ मां श्रृंगार गौरी के भक्तों द्वारा दैनिक दर्शन, पूजा, आरती, भोग की सुविधा प्रदान करने का निर्देश दिया जाए.
वहीं कोर्ट में दायर याचिका में यह आग्रह किया गया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 द्वारा नागरिकों को दिए गए धर्म के मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है, क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार और प्रदेश के अधिकारियों को प्रतिबंध लगाने का कोई अधिकार या शक्ति नहीं है. कोई भी हिंदुओं द्वारा धार्मिक अधिकार का प्रयोग, पूजा-दर्शन को वर्ष में एक दिन तक सीमित नहीं कर सकता है.